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Scented Candles Ke Nuksan: घरों में बढ़ रहा सेंटेड कैंडल के इस्तेमाल का चलन, ये शौक बन न जाए कई बीमारियों की वजह
Scented Candles Ke Nuksan: क्या आप भी अपने घर को खुशबूदार बनाये रखने के लिए सेंटेड कैंडल का इस्तेमाल करते हैं तो सतर्क हो जाइये आइये जानते हैं हम ऐसा क्यों कह रहे हैं।
Scented Candles Ke Nuksan: घरों के वातावरण को सुगंधित बनाए रखने के लिए पुराने समय से चिक और खस के साथ इत्र आदि का इस्तेमाल किया जाता रहा है। वहीं समय में बदलाव के साथ अब कई विकल्प बाजार में भरे पड़े हैं। आज कल घरों से लेकर रेस्टोरेंट और बड़े-बड़े रिजॉर्ट में सेंटेड कैंडल का इस्तेमाल किया जा रहा है। ये सेंटेड कैंडल अपनी भीनी खुशबू से माहौल में जान फूंकने के साथ ही सजावट के लिए भी खासा डिमांड में रहती है। लेकिन स्वास्थ के लिहाज से ये सैंडल बिल्कुल भी अनुकूल नहीं साबित होती । स्वास्थ विशेषज्ञ भी घरों में सेंटेड कैंडल रखने के लिए मना करते हैं। इनके लगातार इस्तेमाल से हमें कई गंभीर बीमारियों का खतरा रहता है। आइए जानते हैं सेंटेड कैंडल के इस्तेमाल से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में।
स्वास्थ के लिए हानिकारक साबित होते हैं कई सेंटेड कैंडल
जलती हुई मोमबत्तियाँ आपको तनाव और चिंता से लड़ने में बहुत मदद कर सकती हैं। मोमबत्तियों में शांत करने वाले गुण होते हैं। यह दो गुना है, क्योंकि टिमटिमाती रोशनी आपको शांत महसूस कराती है क्योंकि माहौल अधिक शांत होता है, और मोमबत्ती से निकलने वाली विशेष खुशबू भी आपको आराम देने में मदद करती है। यही वजह है घरों से लेकर होटल और इस तरह के कई प्रतिष्ठानों में इसका इस्तेमाल बढ़ गया है। लेकिन सेंटेड कैंडल का चलन कई तरह से हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित होता है। घर में सेंटेड कैंडल्स रखने से पहले हमें उसकी गुणवत्ता के बारे में जान लेना चाहिए। सुगंधित मोमबत्तियों में न केवल मोम की गुणवत्ता खराब होती है, बल्कि उनमें रंग और कृत्रिम सुगंध भी होती है, जो जलने पर कई तरह के रसायन छोड़ती है।
सिंथेटिक परफ्यूम और सुगंधित मोमबत्तियों में इस्तेमाल होने वाले 95þ रसायनों का स्रोत पेट्रोलियम है औरअसल में सेंटेड कैंडल में कई हानिकारक तत्व होते हैं, जैसे कि बेंज़ीन, टोल्यूनि, फ़ॉर्मलाडेहाइड, एसीटोन, फ़िनोल, जाइलिन और क्रेसोल जैसे तत्व जलाने पर हवा में मिल जाते हैं। जो कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं। शरीर के हॉर्मोन सिस्टम को भी प्रभावित करते हैं। सेंटेड कैंडल जलाने से घर के अंदर की हवा की गुणवत्ता खराब होने के साथ ही सांस की समस्याएं और अस्थमा, सिरदर्द, त्वचा की एलर्जी, कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। मोमबत्ती में मौजूद ये सुगंध, वीओसी सभी रेस्पिरेटरी डिजीज को ट्रिगर कर सकते हैं और सांस लेने में समस्या पैदा कर सकते हैं। वीओसी, जैसे एसीटोन बेंजीन और टोल्यूनि, अस्थमा और एलर्जी वाले लोगों के लिए हानिकारक हैं।
बरते ये सावधानियां
अगर आप सुगंधित कैंडल जलाते हैं, तो लंबे समय के जोखिम से बचने के लिए कभी भी बंद कमरे में इसका इस्तेमाल न करें। इसको जलाने के बाद अपने घर की खिड़की को खुला रखें। ताकि उस कैंडल से निकलने वाली फ्यूम शरीर पर कोई प्रभाव न दिखा सके। इसके अलावा सेंटेड कैंडल्स की जगह सोया या मुधमुक्खी के छत्ते में पाये जाने वालो वैक्स से बने नैचुरल कैंडल का इस्तेमाल करना स्वास्थ वर्धक साबित होता है।