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वैज्ञानिकों ने दी थी 7 महीने पहले ही भयंकर महामारी की चेतावनी, जाएंगी हजारों जानें
कोरोना वायरस से आज पूरी दुनिया में कई मौतें हो चुकी है और कई हजार लोग इस वायरस से संक्रमित भी हैं। इसे देखते हुए अधिकतर देशों मे लॉकडाउन जारी किया गया है।
नई दिल्ली: कोरोना वायरस से आज पूरी दुनिया में कई मौतें हो चुकी है और कई हजार लोग इस वायरस से संक्रमित भी हैं। इसे देखते हुए अधिकतर देशों मे लॉकडाउन जारी किया गया है। लेकिन क्या आपको पता है कि वज्ञानिकों ने पहले ही बता दिया था कि ऐसी महामारी आने वाली है जिसमें हजारों जानें जाएंगी। तो हम आपको बताते हैं पिछले साल सितंबर में दुनिया के कई अखबारों में रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी। इसमें द ग्लोबल प्रिपेयर्डनेस मॉनिटरिंग बोर्ड ने चेतवानी दी थी कि एक रहस्यमय बीमारी आने वाली है, जो देखते ही देखते पूरी दुनिया में फैल जाएगी। इससे बचना बहुत मुश्किल होगा।
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सितंबर में जब ये रिपोर्ट आई तब इसपर किसी ने ध्यान नहीं दिया था। तो पहले हम आपको द ग्लोबल प्रिपेयर्डनेस मॉनिटरिंग बोर्ड (जीपीएमबी) के बारे में बताते हैं। इस साइंटिस्ट बॉडी का गठन वर्ल्ड बैंक और वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन ने मिलकर अफ्रीका में इबोला बीमारी के फैलने के बाद किया था। उन्होंने अपनी पहली सालाना रिपोर्ट में कहा था कि दुनियाभर में तमाम देशों की सरकारें सावधान हो जाएं। इससे बचने के लिए बहुत व्यापक प्रयास करने होंगे।
कहा गया था कि महामारी आनी तय है
जीपीएमबी ने अपनी पहली सालाना रिपोर्ट में बताया कि, दुनिया पर महामारी का खतरा तय तौर पर मंडरा रहा है। इससे ना केवल बड़े पैमाने पर लोगों की जान जाएगी बल्कि इसका असर इकोनॉमी और सामाजिक तौर पर पड़ेगा। रिपोर्ट में आगे बताया गया कि दुनियाभर में महामारी फैलने का खतरा वास्तविक है।
आशंका जाहिर की थी इकोनॉमी हो जाएगी बर्बाद
रिपोर्ट में कहा गया था कि, बहुत तेजी से फैलने वाला पैथोगन करोड़ों लोगों को मार देगा, जिससे इकोनॉमी बहुत बुरा असर पड़ेगा और राष्ट्रीय सुरक्षा को अस्थिर कर देगा। रिपोर्ट में कहा था कि ये महामारी बहुत तेजी से ना केवल फैलेगी बल्कि 05 से 08 करोड़ लोगों को अपना शिकार बनाएगी। ये दुनिया की 05 फीसदी इकोनॉमी को तबाह कर देगी। रिपोर्ट में कहा गया कि ऐसी हालत में इच्छाशक्ति और नेतृत्व की जरूरत होगी। देशों को खराब से खराब स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए।
देशों ने दिखाई है स्वास्थ्य को लेकर लापरवाही
रिपोर्ट में कहा गया कि, सरकारों ने वर्ष 2014-16 के बीच पश्चिम अफ्रीका में फैली इबोला के बीच स्वास्थ्य को लेकर जो रुख दिखाया है, उसे कतई पर्याप्त नहीं कहा जा सकता। रिपोर्ट में 1918 में आई स्पेनिश फ्लू की भी चर्चा की गई, जिसमें 05 करोड़ लोगों की जान गई थी।
इस रिपोर्ट में जिस स्पेनिश फ्लू की चर्चा की गई है, उसका प्रकोप भारत में भी फैला था। जिसमें 1918 से 1920 के बीच पूरे देश में 1.8 करोड़ लोगों की जान गई थी। इस पर कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ने अपने संस्मरण में लिखा, जब मैं डालामऊ में नदी किनारे पहुंचा तो गंगा लाशों से पटी पड़ी थी। मेरे ससुराल से खबर आई कि मेरी पत्नी बीमारी का शिकार होकर गुजर गई। ये वही स्पेनिश फ्लू था, जिसने भारत में भी उन दिनों हाहाकार मचा दिया था।
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इस महामारी को डिजीज एक्स कहा गया था
उस समय साइंटिस्ट बॉडी ने इस महामारी को डिजीज एक्स कहा था। ये कहा था कि अभी उसके बारे में कुछ ज्यादा मालूम ही नहीं है। लेकिन ये जरूर है कि ये दुनिया के लिए नया खतरा जरूर है।
रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि, दुनिया में हेल्थ इमर्जेंसी जैसे हालात हैं। ये रिपोर्ट कहती है कि इस खतरे में हल्के में लेना कतई ठीक नहीं, क्योंकि ये खतरा वास्तविक है और दुनिया को इसकी चपेट में आना ही है।
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