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Heart Disease Affects Children: सांस फूलना और अधिक पसीना आना बच्चों में हो सकता है हृदय रोग के लक्षण
Heart Attack Symptoms in Child: हार्ट अटैक से जुड़ी खबरें लगातार सुर्खियों में बनी हुई है। सेलिब्रिटी हो या आम लोग हार्ट अटैक के शिकार लाखों लोग हो रहे हैं।
Heart Disease Affects Children: हार्ट अटैक से जुड़ी खबरें लगातार सुर्खियों में बनी हुई है। सेलिब्रिटी हो या आम लोग हार्ट अटैक के शिकार लाखों लोग हो रहे हैं। वयस्क से लेकर बच्चों तक में हृदय रोग का मामला तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में जरूरी है कि अपनी हेल्थ को लेकर कोई लापरवाही ना बरतें। हृदय से संबंधित कोई भी परेशानी होने पर डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
दरअसल बच्चों में सबसे आम हृदय रोग जन्मजात हृदय रोग हैं, जिसके साथ बच्चा पैदा होता है। दरअसल गर्भावस्था के दौरान ही भ्रूण की इकोकार्डियोग्राफी द्वारा हृदय रोगों का पता लगाया जा सकता है। इसके बाद बच्चे के जन्म के बाद, गंभीर हृदय रोगों का निदान किया जा सकता है और जन्म के कुछ घंटे के भीतर उनका इलाज किया जा सकता है। बच्चों में हृदय रोग संबंधी परेशानी होने पर कुछ लक्षण नजर आते हैं, जैसे: बच्चों का ठीक से भोजन न करना, भोजन करते समय थकान होना, वजन कम होना और बहुत अधिक पसीना आना, सांस फूलना आदि जन्मजात हृदय रोग के संकेत हैं। इसके अलावा रोते समय कुछ शिशुओं और शिशुओं के होंठ, जीभ और नाखूनों का रंग नीला पड़ जाना। साथ ही बड़े बच्चों को बार-बार निमोनिया हो सकता है, थकान हो सकती है और मेहनत करने पर सांस फूलने की समस्या बढ़ सकती है।
दरअसल हृदय रोग संबंधित मामला बच्चों में लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में इसके लिए बच्चों को एक बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श करने और दी गई उपचार सलाह का पालन करने की आवश्यकता है। बता दे कि आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान किसी भी स्वास्थ्य समस्या या गलतियों के कारण हृदय रोग की समस्या नहीं होती। डॉक्टर्स की मानें तो सभी बच्चों को नियमित हार्ट संबंधी टेस्ट की आवश्यकता नहीं होती है। इसके अलावा बच्चों को अपने डॉक्टर से संपर्क कर नियमित स्वास्थ्य जांच करवानी चाहिए, और अगर बाल रोग विशेषज्ञ को बच्चे में हृदय रोग का संदेह है, तो उन्हें बाल रोग विशेषज्ञ के पास ही भेजा जाता है। तब बाल रोग विशेषज्ञ बच्चे का पूरी तरह से आकलन कर और हृदय रोग का निदान करने और उपचार शुरू करने के लिए एक इकोकार्डियोग्राम करते हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि सामान्य आबादी में, 1000 में से केवल 8 से 10 बच्चे ही हृदय रोग के साथ पैदा होते हैं। ऐसे में सभी बच्चों में से लगभग 1% को जन्मजात हृदय रोग है।
बता दे कि बच्चों को आउटडोर खेल खेलने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और उनका स्क्रीन समय और टीवी देखने का समय सीमित होना चाहिए। इसके अलावा रोज 1 से 2 घंटे की बाहरी गतिविधि जीवन के शुरुआती दिनों से एक हेल्दी लाइफस्टाइल को विकसित करने और प्रोत्साहित करने में सहायक होती है। लेकिन हृदय रोग वाले बच्चों को बाल रोग विशेषज्ञ से इसको लेकर चर्चा करने की आवश्यकता है। हृदय रोग संबंधी संकेत नजर आने पर इग्नोर करने से बचना चाहिए और डॉक्टर से संपर्क कर जल्द से जल्द इसका इलाज शुरू करवाना चाहिए।