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व्यस्कों से अलग है नवजात में होने वाली पीलिया का कारण

आमतौर पर माना जाता है कि पीलिया लिवर में गड़बड़ी होने की वजह से होता है।लेकिन पैदा हुए बच्चों में पीलिया होने का कारण अलग है। वयस्कों की तरह नवजात बच्चों में पीलिया रोग मां के ब्लड ग्रुप या भ्रूण में हुई दिक्कतों से होता है। 

Manali Rastogi
Published on: 18 Dec 2018 4:16 PM IST
व्यस्कों से अलग है नवजात में होने वाली पीलिया का कारण
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व्यस्कों से अलग है नवजात में होने वाली पीलिया का कारण

लखनऊ: आमतौर पर माना जाता है कि पीलिया लिवर में गड़बड़ी होने की वजह से होता है।लेकिन पैदा हुए बच्चों में पीलिया होने का कारण अलग है। वयस्कों की तरह नवजात बच्चों में पीलिया रोग मां के ब्लड ग्रुप या भ्रूण में हुई दिक्कतों से होता है।

क्यों होता है पीलिया?

पीजीआई की बल रोग विशेषज्ञ डॉ पियाली भट्टाचार्य ने बताया कि जब शरीर में लाल रक्त कोशिकायें एक तय अंतराल यानि 120 दिन में टूटती हैं तो बिलिरूबिन नाम का एक बाईप्रॉडक्ट बनता है। यह पदार्थ पहले लिवर में और फिर धीरे-धीरे मल-मूत्र के साथ शरीर से निकल जाता है, लेकिन अगर किसी कारण से लाल रक्त कोशिकायेँ 120 दिनों से पहले टूट जाती हैं तो लिवर में बिलिरूबिन की मात्रा बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि नवजात में पीलिया होने के निम्न कारण होते हैं।

  • यदि माँ और बच्चे दोनों का ब्लड ग्रुप नेगेटिव है।
  • अगर माँ का ब्लड ग्रुप “o” है और बच्चे का ‘A’, ‘AB’ या ‘B’ है।
  • माँ के गर्भ में कोई इन्फेक्शन है।
  • बच्चे में G-6 PD की कमी है G-6 PD एक एंजाइम होता है जो कि लाल रक्त कोशिकाओं के लिए ज़रूरी होता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 60 प्रतिशत समय पर जन्मे नवजात शिशुओं व 80 प्रतिशत समय से पूर्व जन्मे नवजात शिशुओं में ये समस्या ज़्यादातर देखी जाती है। इस विषय में और जानकारी देते हुए क्वीन मेरी की डॉ रेखा वर्मा ने बताया कि नवजात शिशुओं में पीलिया दो प्रकार के होते हैं।

फिसिओलोजिकल पीलिया अर्थात सामान्य पीलिया

  • पैदा होने के 24 घंटे बाद होता है।
  • अधिकतम तीव्रता यह चौथे दिन स्वस्थ बच्चे में और 7वें दिन समय पूर्व जन्मे बच्चों में देखने को मिलती है।
  • बिलिरूबिन 15 mg/dl से ज्यादा नहीं होता है।
  • 14 दिन में बच्चा सही हो जाता है। इलाज की जरूरत नहीं होती है लेकिन बच्चे को निगरानी में रखा जाता है।
  • पेथोलोजिकल पीलिया अर्थात गंभीर पीलिया
  • यह जन्म होने के 24 घंटे के अंदर हो जाता है।
  • बिलिरूबिन 15 mg/dl से अधिक हो जाता है।
  • स्वस्थ बच्चे में 2 सप्ताह से ज्यादा व समय पूर्व जन्में बच्चे में 3 सप्ताह से ज्यादा होता है। हाथ व पैर पीले दिखाई देते हैं।

डफरिन अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ सलमान ने बताया कि लोगों में यह भ्रांति है कि पीलिया लि‍वर में खराबी के कारण होता है जबकि नवजात में तो यह माँ के खून के टूटने से बनता है। सूरज की रोशनी इसके लिए लाभदायक होती है। फोटोथेरपी, विशेष प्रकार की रोशनी जो कि बिलिरूबिन को तोड़ती है, के द्वारा इसका इलाज किया जाता है।

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पीलिया को सूरज की रोशनी में देखना चाहिए न कि कमरे की रोशनी में। अगर किसी महिला के पहले बच्चे को पीलिया हुआ है तो दूसरे बच्चे को भी पीलिया होने की संभावना अधिक होती है। इसलिए डॉक्टर से उसकी जांच ज़रूर करवाएं। पीलिया सिर से पैर की तरफ बढ़ता है। अगर बच्चे के हाथ और पैरों में पीलापन हो तो उसे डॉक्टर के पास ज़रूर ले जाएं।अगर इन बातों का ध्यान रखा जाए तो नवजात को पीलिया से होने वाले खतरे से बचाया जा सकता है।

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