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कोरोना से भी खतरनाक थे ये वायरस, जो हर सौ साल में बने मानव जाति के काल

वर्तमान दौर में पूरा विश्व कोरोना वायरस की दहशत से जूझ रहा है। सब खुद को और दूसरों को बचाने के लिए परेशान हैं लेकिन क्या आपको पता है हर सौ साल पर एक महामारी आती रही है। और मानव जाति का विनाश करके जाती रही है। या महामारी अपने नए रूप में विनाश का दर्दनाक इतिहास लिखती रही है। लेकिन यह अद्भुत संयोग है कि जब जब ईसवी सन के इकाई दहाई के अंक में 20 आता है। मानव जाति सिहर जाती है।

राम केवी
Published on: 24 March 2020 6:32 PM IST
कोरोना से भी खतरनाक थे ये वायरस, जो हर सौ साल में बने मानव जाति के काल
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वर्तमान दौर में पूरा विश्व कोरोना वायरस की दहशत से जूझ रहा है। सब खुद को और दूसरों को बचाने के लिए परेशान हैं लेकिन क्या आपको पता है हर सौ साल पर एक महामारी आती रही है। और मानव जाति का विनाश करके जाती रही है। या महामारी अपने नए रूप में विनाश का दर्दनाक इतिहास लिखती रही है। लेकिन यह अद्भुत संयोग है कि जब जब ईसवी सन के इकाई दहाई के अंक में 20 आता है। मानव जाति सिहर जाती है।

1520 प्लेग व चेचक

कहते हैं ईसा पूर्व की शताब्दियों में भी इसका उल्लेख है, लेकिन इसका कोई लिखित इतिहास नहीं है। अगर हम लिखित इतिहास को खंगालें तो यह 1520 से इसका उल्लेख मिल जाता है। 15वीं सदी में जब 20 ईसवी सन आया तो अफ्रीकी गुलामों के कारण यूरोप में चेचक और प्लेग का प्रकोप हुआ जिस के कारण काफी बड़ी संख्या में लोग मारे गए थे।

1620 में प्लेग फैला

अगर इसको संयोग मानें तो इसके बाद 16वीं सदी में जब ईसवी सन 20 आया तो फिर इसी तरह का जानलेवा संक्रमण फैला और मानव जीवन को नुकसान पहुंचा कर चला गया। यहां तक कि 1620 में केवल इटली में ही 17 लाख लोग प्लेग से मारे गए थे। इसके अलावा उत्तरी अफ्रीका में 50000 लोग मारे गए थे। इसी साल बुबानिक प्लेग ने भी फ्रांस में लगभग एक लाख लोगों की जान ली।

1720 में प्लेग का वायरस फिर फैला

वर्ष 1720 में फ्रांस के मार्सिले शहर से प्लेग महामारी फैली जो बाद में वैश्विक आपदा बनी। इसमें कुल एक लोगों की जान गई। यह संख्या उस समय दुनिया की जनसंख्या का 20 फीसद थी। इसका खौफ इतना था कि लोग किसी भी चीज को छूने तक से घबराते थे। यहां तक कि लाशों को भी कफन नसीब नहीं होता था।

1820 में हैजा कालरा का वायरस फैला

1820 में जानलेवा बीमारी हैजा (कॉलरा) ने सबसे पहले थाईलैंड, इंडोनेशिया और फिलीपींस को अपनी चपेट में लिया। अकेले जावा द्वीप पर हैजा फैलने से एक लाख लोगों की मौत हुई।

वर्ष 1910 और 1911 के बीच भारत में शुरू छठी कॉलरा महामारी फैली। इसके बाद मध्य पूर्व, अफ्रीका और पूर्वी यूरोप और रूस तक यह महामारी फैली थी, जिससे करीब 8 लाख से ज़्यादा लोग मारे गए होंगे। विब्रियो कॉलरा नाम के बैक्टीरिया से होने वाले हैजा रोग इंसानी शरीर के गंदे अवशेष, पानी या खाने या फिर किसी दूसरे के हाथों तक पहुंचते हैं। इस बीमारी में दस्त और उल्टियां होती हैं, जिससे मरीज शरीर का सारा पानी खो देते हैं। साफ पानी न मिलने पर मरीज की मौत घंटों के अंदर-अंदर हो सकती है। कई सालों के शोध के बाद पता चला कि हैजा रोग सबसे पहले बांग्लादेश से शुरू हुई थी।

1920 में स्पेनिश फ्लू ने लीं आठ करोड़ जानें

1920 में दुनिया के सबसे खतरनाक वायरस यानी स्पेनिश फ्लू (एन्फ्लुएंजा) ने तबाही मचाई। स्पेनिश फ्लू ने दुनिया की करीब एक तिहाई आबादी को अपना शिकार बना लिया था। यह वायरस सबसे पहले यूरोप, यूनाइटेड स्टेट्स और एशिया के कुछ हिस्सों में फैला और करीब आठ करोड़ लोगों की जिंदगी खत्म कर दी थी। यह वायरस एच1एन1 फ्लू था, जो कि खांसी, छींकने के दौरान निकलने वाली ड्रॉपलेट्स के संपर्क में आने से फैलता है। इस वायरस ने सबसे ज्यादा स्पेन में तबाही मचाई थी, जिस वजह से इसे स्पेनिश फ्लू के नाम से जाना जाने लगा।



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राम केवी

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