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वैज्ञानिकों की इस बड़ी खोज से होगा मलेरिया का खात्मा

आस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी कैनबरा के प्रो. कियारन का दावा है कि आज मलेरिया से निपटने का नया तरीका खोज लिया गया है। वर्तमान में प्रचलित दवाओं के प्रति तेजी से प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने वाले परजीवी को अब नए-नए ढंग से टारगेट किया जाएगा।

Aditya Mishra
Published on: 1 March 2019 3:38 PM IST
वैज्ञानिकों की इस बड़ी खोज से होगा मलेरिया का खात्मा
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लखनऊ: मानसून आते ही लोगों को मलेरिया का डर सताने लगता है। लोगों के मन में ये सवाल अक्सर उठता है कि मलेरिया होने पर क्या वे पूरी तरह से ठीक हो पाएंगे। कही ऐसा तो नहीं कि इसकी वजह से उनकी मौत हो जाएगी। लेकिन ऐसा सोचना गलत है। अगर सही समय पर ठीक तरह से इलाज किया जाए तो मलेरिया के मरीज को ठीक किया जा सकता है।

ये कहना है आस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी कैनबरा के प्रो. कियारन का। प्रो. कियारन का दावा है कि आज मलेरिया से निपटने का नया तरीका खोज लिया गया है। वर्तमान में प्रचलित दवाओं के प्रति तेजी से प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने वाले परजीवी को अब नए-नए ढंग से टारगेट किया जाएगा।

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उन्होंने बताया कि मेम्ब्रेन ट्रांसपोर्ट प्रोटीन एंटीमलेरियल दवा के टार्गेट के रूप में उपयोगी है। साथ ही ये भी बताया कि कैसे फीनोटाइपिक स्क्रीन में मेम्ब्रेन ट्रांसपोर्ट प्रोटीन को एंटीमलेरियल्स टारगेट्स के तौर पर पहचाना जा सकता है।

ड्रेक्सल यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिसिन फिलाडेल्फिया, अमेरिका के डॉ. अखिल वैद्य ने नई एंटीमलेरियल दवाओं के द्वारा सोडियम आयन और लिपिड होमियोस्टैसिस संतुलन को भंग करने के बारें में जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि मलेरिया परजीवी में सोडियम आयन संतुलन को भंग करने वाले कई यौगिकों में परजीवियों के ब्लड स्टेज पर ही सफाया करने की क्षमता है जिसका औषधि अनुसंधान में उपयोग किया जा सकता है।

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मेडिसिन फॉर मलेरिया वेंचर (एमएमवी) जिनेवा स्विट्जरलैंड के ड्रग डिस्कवरी प्रोग्राम के प्रमुख डॉ. जेरेमी एन. बुरुज ने बताया की उनकी संस्था किस तरह से मलेरिया पीड़ित देशों में मलेरिया के बोझ को कम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के सहयोग से नई, प्रभावी और सस्ती दवाओं के अनुसंधान और विकास के मिशन को पूरा कर रही है।

सीडीआरआइ के डॉ.अमित मिश्र के मुताबिक टीबी मुख्य रूप से फेफड़ों का एक रोग है । इस बीमारी के रोगियों को मुंह से निगलने के बजाय श्वास से लेने वाली इनहेलर दवाओं का सेवन करना चाहिए। उन्होंने प्रतिभागियों को दवा संवेदनशील और दवा प्रतिरोधी (एमडीआर) टीबी दोनों के लिए सूखे पाउडर आधारित इनहेलेबिल दवा संयोजनों (ड्रग कॉम्बीनेशन) के विकास के बारे में किए जा रहे शोध के बारें में जानकारी दी।

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Aditya Mishra

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