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Health : करें टांसिल का घर में ही इलाज

seema
Published on: 10 Aug 2018 10:35 AM GMT
Health : करें टांसिल का घर में ही इलाज
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Health : करें टांसिल का घर में ही इलाज.........................

नई दिल्ली: गले के प्रवेश द्वार के दोनों तरफ मांस की एक गांठ सी होती है, जो लसिका ग्रंथि के समान होती है जिसे टांसिल कहते हैं। गले में छोटे-छोटे गोलाकार मांसल तन्तु टॉन्सिल कहलाते हैं। इनमें पैदा होने वाली सूजन को टाँन्सिलाइटिस कहा जाता है।

मैदा, चावल, आलू, चीनी, ज्यादा ठंडा, ज्यादा खट्टी चीजों का जरूरत से ज्यादा प्रयोग करना टांसिल के बढऩे का मुख्य कारण है। ये सारी चीजें अम्ल और गैस) बढ़ा देती है। जिससे कब्ज की शिकायत बढ़ जाती है। सर्दी लगने की वजह से भी टांसिल बढ़ जाते हैं। खून की अधिकता, मौसम का अचानक बदल जाना जैसे गर्म से अचानक ठंडा हो जाना, दूषित वातावरण में रहने से तथा खराब दूध पीने से भी टांसिल बढ़ जाते हैं।

टांसिल के लक्षण

गले में सूजन, दर्द, बदबूदार सांस, सिर में दर्द, गर्दन के दोनों तरफ लसिका ग्रंथियों का बढ़ जाना और उन्हें दबाने से दर्द होना, सांस लेने में परेशानी, आवाज का बैठ जाना और सुस्ती आदि लक्षण दिखाई देते हैं।

भोजन और परहेज

इस रोग में दूध रोटी, खिचड़ी, तोरई और लौकी का पानी, नींबू का पानी, अनन्नास का रस, मौसंबी का रस और आंवले की चटनी का सेवन करना चाहिए। बिना नमक की उबली सब्जियां खाने से टांसिल में जल्दी आराम आ जाता है।

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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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