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वैक्सीनेशन के दो हफ्तों तक बरतें खास सावधानी, तुरंत नहीं बनती है इम्यूनिटी
वैक्सीन के बारे में ये जान लीजिए कि वह तत्काल असर नहीं दिखाती है। वैक्सीनेशन का असर दिखने में कुछ दिनों का समय लगता है।
लखनऊ: कोरोना वायरस (Coronavirus) से बचाव के लिए वैक्सीन लगवाना बेहद जरूरी है। अब तो बच्चों को भी वैक्सीनेशन के दायरे में ला दिया गया है। जबकि बच्चों के बारे में पहले ये माना जा रहा था कि उनके श्वास तंत्र में एक मेम्ब्रेन की वजह से वायरस उनको संक्रमित नहीं कर पाता है। लेकिन वायरस के नए म्यूटेशन ने ये धारणा गलत साबित कर दी है।
ऐसे में वैक्सीनेशन ही सहारा है। वैक्सीन के बारे में ये जान लीजिए कि वह तत्काल असर नहीं दिखाती है। वैक्सीनेशन के बाद उसके असर दिखने में कुछ दिनों का समय लगता है, लेकिन इस बीच कोई कोरोना वायरस के सीधे संपर्क में आए जाए, तो वह भी संक्रमित हुए भी बिना नहीं रह सकता है। ऐसे में यह मानकर बैठ जाना कि वैक्सीनेशन के तुरंत बाद कोई कोरोना रोधी बन जाएगा तो यह बड़ी गलतफहमी होगी।
वैक्सीन के बारे में ये बताया गया है कि पहली डोज़ के 14 दिन बाद इम्यूनिटी बनती है। दूसरी यानी बूस्टर डोज़ के भी 14 दिन पूर्ण इम्यूनिटी बनती है। वैक्सीनेशन के बाद के ये दो हफ्ते बहुत संभल कर रहना चाहिए और संक्रमण से बचने के सभी उपाय गंभीरता से पालन करने चाहिए।
अमेरिकी सीडीसी के अनुसार, विशेषज्ञों को अभी यह नहीं पता है कि वैक्सीन लेने के कितने समय तक दोबारा संक्रमण से बचाव संभव होगा। वैज्ञानिक यह पता लगाने के लिए लगातार अध्ययन कर रहे है कि कोरोना वैक्सीन लगाने के बाद कितने दिन तक के लिए शरीर में इम्यूनिटी विकसित होती है। इस बारे में हुए अध्ययन की सामग्री बहुत सीमित है, जिससे समझा जा सके कि कोरोना वैक्सीन से विकसित होने वाली इम्यूनिटी की समय सीमा क्या है।
पिछले तमाम अध्ययन सुझाते हैं कि व्यक्ति की इम्यूनिटी और शारीरिक प्रतिक्रिया पर निर्भर होगा कि वैक्सीन का असर कितने लंबे समय तक रहता है। इन हालातों को देखते हुए वैज्ञानिक द्वारा सलाह दी गई है कि वैक्सीनेशन के बाद भी कोरोना से सुरक्षा के लिए पारंपरिक साधन क्रमशः मास्क, हाथ धोने और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे नियमों का पालन किया जाए।