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Zombie Virus: भारत और दुनिया के लिए बड़ा खतरा है 48500 साल पुराना वायरस, हर तरफ छाई चिंता

Zombie Virus: दुनिया में अब तक कई महामारी आई है जिसने लाखों लोगों की जान छीन ली है। कोरोना का खतरा पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है इस बीच एक नए वायरस की खबर ने चिंता बढ़ा दी है।

Richa Vishwadeepak Tiwari
Published on: 28 Jan 2024 3:20 PM IST
Zombie Virus: भारत और दुनिया के लिए बड़ा खतरा है 48500 साल पुराना वायरस, हर तरफ छाई चिंता
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Zombie Virus :कुछ समय पहले ही कोरोनावायरस ने दुनिया भर में कोहराम मचा दिया था। कोरोनावायरस का खतरा अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है कि इसी बीच कई हजार साल पुराने एक और वायरस का खतरा बढ़ चुका है। वैज्ञानिकों को आर्कटिक की बर्फ में हजारों साल से दबे जॉम्बी वायरस के बाहर आने की जानकारी मिली है जिसकी चेतावनी जारी की गई है। वैज्ञानिकों ने बताया है कि कुछ सालों से आर्कटिक की बर्फ लगातार पिघल रही है ऐसे में यह वाइरस बाहर आ सकते हैं और अगर यह बाहर आ गए तो दुनिया के लिए बहुत बड़ा खतरा खड़ा हो सकता है। पिछले कुछ सालों में ग्लोबल वार्मिंग की वजह से तापमान लगातार बढ़ रहा है और वक्त गलती जा रही है जिस वजह से इस वायरस के बाहर आने का रिस्क है। कुछ साल पहले वैज्ञानिकों ने सैंपल लिया था और पता चला था कि आर्कटिक की बर्फ में कई हजार सालों से यह वाइरस नीचे जमा हुआ है।

48500 साल पुराना है वायरस

वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर इस तरह के वायरस मनुष्य में फैल जाते हैं तो यह काफी खतरनाक हो सकते हैं। इससे जुड़ी एक रिसर्च बताती है कि साइबेरिया इलाके से वायरस के कई तरह के सैंपल लिए गए थे जिसमें यह जानकारी मिली थी कि यह 48500 साल पुराना है। वैज्ञानिकों ने चिंता जाहिर की है की बर्फ के पिघलने की वजह से यह बाहर आ सकता है और अगर यह बाहर आएगा तो संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है और कोई नई महामारी आ सकती है।

Zombie Virus


आर्कटिक की होगी निगरानी

जोंबी वायरस कई हजार सालों से जमीन में दबे हुए हैं लेकिन ग्लोबल वार्मिंग की वजह से इनको बाहर आने का खतरा मंडरा रहा है और अगर बाहर आते हैं तो बहुत कुछ बिगड़ सकता है। इसी के चलते वैज्ञानिकों ने आर्कटिक निगरानी नेटवर्क स्थापित करने की योजना बनाई है। जिसके चलते इस वायरस के फैलने की शुरुआती स्तर पर ही पता चल सकेगा और इसकी रोकथाम की जा सकेगी।

Zombie Virus


क्या होगा खतरा

इस वायरस से होने वाले खतरे की बात करें तो पिछले कुछ सालों से अलग-अलग वायरस की जिनोम सीक्वेंसिंग बढ़ गई है और नहीं और पुराने वायरस की जानकारी मिल रही है। चिंता करने की बात यह है कि कहीं इलाकों में बर्फ पिघल रही है और अगर वहां पर कोई वायरस होता तो यह फैल सकता है। यह वाइरस हजारों साल से मौजूद है लेकिन फिलहाल यह एक्टिव नहीं है और उनकी मारक क्षमता खत्म हो चुकी है। एसएमएस वायरस के बारे में साफ तौर पर कुछ भी कह पाना मुश्किल है। फिलहाल यह जरूरी है कि वायरस के संक्रमण की रोकथाम पर ध्यान दिया जाए और किसी भी सैंपल के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ ना की जाए। इस पर रिसर्च करने के लिए कुछ किया जाएगा तो इसके फैलने का खतरा बढ़ सकता है।



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Richa Vishwadeepak Tiwari

Richa Vishwadeepak Tiwari

Content Writer

मैं रिचा विश्वदीपक तिवारी पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हूं। 2011 से मैंने इस क्षेत्र में काम की शुरुआत की और विभिन्न न्यूज चैनल के साथ काम करने के अलावा मैंने पीआर और सेलिब्रिटी मैनेजमेंट का काम भी किया है। साल 2019 से मैंने जर्नलिस्ट के तौर पर अपने सफर को शुरू किया। इतने सालों में मैंने डायमंड पब्लिकेशंस/गृह लक्ष्मी, फर्स्ट इंडिया/भारत 24, UT रील्स, प्रातः काल, ई-खबरी जैसी संस्थाओं के साथ काम किया है। मुझे नई चीजों के बारे में जानना, लिखना बहुत पसंद हैं , साथ ही साथ मुझे गाना गाना, और नए भाषाओं को सीखना बहुत अच्छा लगता हैं, मैं अपने लोकल भाषा से बहुत प्रभावित हु जिसमे , अवधी, इंदौरी, और बुंदेलखंडी आती हैं ।

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