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साइकिलिंग से कोरोना के बाद आई फेफड़ों में नई जान, खोया स्टैमिना लौटा

World Bicycle Day : साइकिलिंग सर्वश्रेष्ठ व्यायाम है। साइकिल चलाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

Ramkrishna Vajpei
Written By Ramkrishna VajpeiPublished By Shraddha
Published on: 3 Jun 2021 12:43 PM IST
आज मनाया जा रहा विश्व साइकिल दिवस
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विश्व साइकिल दिवस (कॉन्सेप्ट फोटो सौ. से सोशल मीडिया)

World Bicycle Day : साइकिलिंग सर्वश्रेष्ठ व्यायाम है। कहा जाता है कि सुबह के समय साइकिल चलाने (cycling) के बहुत फायदे होते हैं या फिर सुबह साइकिल चलाना सबसे अधिक फायदेमंद है लेकिन मैने यह देखा कि साइकिल जब भी चलाएं वह आपकी रोग प्रतिरोधक (Immunity) क्षमता को बढ़ाती है। आपके फेफड़ों में नई जान डाल देती है। हृदयरोग (heart disease) का खतरा कम कर देती है। कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से बचाती है। गठिया जैसे रोग को पास फटकने से रोकती है। टाइप-2 मधुमेह (type 2 diabetes) जैसे जोखिम को कम करती है। खास बात मोटापे को रोकती है। साइकिल चलाने की एक्सरसाइज का अपना अनुभव बता रहा हूं जनवरी से लेकर अब तक साइकिल चलाने से मेरा वजन तकरीबन 17 किलो कम हुआ है। यह पांच महीने की साइकिलिंग का चमत्कार है।

दरअसल कोरोना काल में तमाम तरह के बचावों को अपनाने के बावजूद मुझे दिसंबर की शुरुआत में कोरोना का संक्रमण हुआ। साधरण जुकाम से हुई शुरुआत को मैने मौसमी मानकर नजरअंदाज किया लेकिन कमजोरी बढ़ती देखकर जांच करायी जिसमें पाजिटिव रिपोर्ट आ गई। इसी के साथ मेरे पास सीएमओ आफिस से फोन आया कि आपकी उम्र 55 साल है अतः आपको सुरक्षा के लिहाज से भर्ती हो जाना चाहिए। मुझे एरा मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया जहां पता चला कि मुझे निमोनिया का संक्रमण शुरू हो चुका था।


अस्पताल में साफ सफाई और डाक्टरों की व्यवस्था तारीफ के काबिल थे लेकिन मुझे अपने भय पर काबू पाने में तीन दिन लगे। इसके बाद मेरी हालत लगातार सुधरती गई। लेकिन रिपोर्ट पॉजिटिव आती रही। अंत में 14 दिन बाद मुझे डिस्चार्ज कर दिया गया। मुझे दवाएं बहुत ही कम दी गई थी। कोरोना के लक्षण धीरे धीरे जा रहे थे। 4 जनवरी को मेरी निगेटिव रिपोर्ट आई। 20 जनवरी के आसपास मैं सिविल अस्पताल अपनी पोस्ट कोविड जांच के लिए गया।

डॉ. अशोक यादव ने मेरी जांच रिपोर्ट देखने के बाद बताया कि मुझे शुगर हो गई थी। वह काफी बढ़ी हुई थी उन्होंने शुगर का तत्काल इलाज शुरू किया। कोरोना काल में मेरा वजन दस किलो से अधिक कम हुआ था लेकिन मोटापा हावी था उन्होंने मुझसे कहा कि वजन ज्यादा होने के कारण पैदल अधिक न चलूं। साइकिलिंग करूं। मैने साइकिलिंग शुरू की। पहले ही दिन मुझे सुधार दिखा। मुझे फेफड़ों में नई जान महसूस हुई। इस बीच कोरोना की दूसरी लहर शुरू हो गई जिससे साइकिलिंग में कुछ व्यवधान आया लेकिन आज मैं तकरीबन दस किलोमीटर प्रतिदिन साइकिलिंग करता हूं। जिसमें लगभग एक घंटा लगता है। मेरा वजन इस दौरान तकरीबन सात किलो कम हुआ है। लेकिन मेरी एक्टिविटी बहुत बढ़ गई है। कोरोना पूर्व की ताकत लौट आई है।



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Shraddha

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