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विश्व कैंसर दिवस 2019: कैंसर के इन लक्षणों को न करें अनदेखा
आज 4 फरवरी को वर्ल्ड कैंसर डे है। इस गंभीर बीमारी से पूरे विश्व में हर साल लगभग 1 करोड़ 80 लाख से भी ज्यादा लोग प्रभावित होते हैं। वहीं अगर भारत की बात करें तो हर साल लगभग 14 लाख केस कैंसर के सामने आते हैं। आधुनिक समय में दिनचर्या में आए व्यापक बदलाव के कारण लोगों में कैंसर का ख़तरा बढ़ता जा रहा है।
आज 4 फरवरी को वर्ल्ड कैंसर डे है। इस गंभीर बीमारी से पूरे विश्व में हर साल लगभग 1 करोड़ 80 लाख से भी ज्यादा लोग प्रभावित होते हैं। वहीं अगर भारत की बात करें तो हर साल लगभग 14 लाख केस कैंसर के सामने आते हैं। आधुनिक समय में दिनचर्या में आए व्यापक बदलाव के कारण लोगों में कैंसर का ख़तरा बढ़ता जा रहा है। इस बीमारी के चार चरण होते हैं। कैंसर एक ऐसी बीमारी है जोकि शुरूआती चरण में समझ में ही नहीं आती। इसी कारण कई बार लोग इसके प्रारम्भिक लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं।
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तंबाकू का सेवन करने से कैंसर जैसी घातक बीमारी अपना विस्तार कर रही है। मध्यप्रदेश में तंबाकू जनित बीमारियों से हर साल 90 हजार लोग काल के गाल में समा जाते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, मध्य प्रदेश में 28.1 प्रतिशत लेाग किसी न किसी रूप में चबाने वाले तंबाकू उत्पादों का उपभोग करते हैं, जिसमें 38़ 7 प्रतिशत पुरुष एवं 16़ 8 प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं। तंबाकू के उपयोग के चलते मुंह, फेफड़े का कैंसर हो जाता है और राज्य में हर साल कैंसर व तंबाकू जनित अन्य बीमारियों के कारण 90 हजार लोग मौत के मुंह में समा जाते हैं।
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ग्लोबल एडल्ट तंबाकू सर्वेक्षण, 2017 के अनुसार, 10़ 7 प्रतिशत वयस्क भारतीय (15 वर्ष और उससे अधिक) धूम्रपान करते हैं, जबकि चबाने वाले तंबाकू का सेवन 21़ 4 प्रतिशत लोग करते हैं। देश में पान मसाला का विज्ञापन जारी है, जो समान नाम के तंबाकू उत्पादों के लिए भी विपणन को प्रोत्साहन (सरोगेट एडवरटिजमेंट) दे रहे हैं। सिगरेट और तंबाकू उत्पाद अधिनियम (कोटपा) के प्रावधानों के अनुसार, तंबाकू उत्पादों का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष विज्ञापन प्रतिबंधित है।
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़ों के अनुसार, भारत में प्रति वर्ष 50,000 महिलाओं में से एक में स्तन कैंसर का मामला सामने आता है। 2030 तक हर वर्ष 50000 महिला पर यह संख्या 2 से अधिक होने की आशंका है। भारत में स्तन कैंसर से पीड़ित हर दो महिलाओं में से एक महिला की मौत हो जाती है। इन मौतों के लिए सबसे बड़ा कारण बीमारी को लेकर जागरूकता की कमी और लापरवाही है क्योंकि अधिकांश रोगी उस वक्त डॉक्टर के पास पहुंचते हैं, जब कैंसर अंतिम चरण में पहुंच चुका होता है।
कैंसर और इसके लक्षणों के बारे में
हमारे शरीर की कोशिकाएं सामान्य रूप से विभाजित होती रहती हैं. लेकिन कई बार ऐसा होता है जब कोशिकाएं अनियमित रूप से विभाजित होती लगती हैं। इस वजह से शरीर में गांठ जैसा बन जाता है।
इस गांठ को बिनाइन और मैलिग्नेंट कहा जाता है। मैलिग्नेंट गांठ बाद में कैंसर का रूप ले लेती हैं वहीं बिनाइन गांठ हानिकारक नहीं होती है।
अगर अचानक से आपका वजन कम होने लगे और कमर का आकार घटने लगे तो बिना देर किए डॉक्टर से परामर्श लें। ये कैंसर का प्रारंभिक लक्षण भी हो सकता है।
पूरी नींद लेने के बावजूद अगर आपको दिन भर नींद आती है या लगातार शरीर में थकान बनी रहती है तो डॉक्टर से अपनी जांच करवाएं।
कब्ज की समस्या या फिर पेट फूलना भी कैंसर का एक लक्षण हो सकता है।