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Research Report on Cancer: 50 से कम उम्र वालों में डरावनी रफ्तार से बढ़ रहा कैंसर

Research Report on Cancer: शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला है कि जल्दी कैंसर होना एक उभरती हुई 'वैश्विक महामारी' है। 1990 के दशक से यही ट्रेंड है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 10 Sept 2022 3:51 PM IST
younger people and under 50 age more likely to affect cancer
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प्रतीकात्मक चित्र 

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Research Report on Cancer: कैंसर (Cancer) लंबे समय से मानव इतिहास का हिस्सा रहा है, लेकिन अब ये कम उम्र वालों को बहुत तेजी से शिकार बना रहा है। एक शोध के आंकड़े बताते हैं कि 1990 के बाद से दुनिया भर में 50 से कम उम्र के वयस्कों में कैंसर डेवलप होने की संख्या में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है।

शोधकर्ताओं ने कहा है, कि चिंता की बात यह है कि कम उम्र में कैंसर होने के ट्रेंड में कमी नहीं हो रही है। यह जोखिम प्रत्येक पीढ़ी के साथ बढ़ रहा है। शोधकर्ताओं में से एक, शुजी ओगिनो कहते हैं कि, 'हम भविष्यवाणी करते हैं कि यह जोखिम स्तर लगातार पीढ़ियों में बढ़ता रहेगा।'

1940-50 के बाद के आंकड़े चौंकाने वाले

शोधकर्ता पहले से ही जानते हैं कि 1940 और 1950 के दशक के बाद से लोगों में देर से शुरू होने वाले कैंसर में वृद्धि हुई है, जिसका अर्थ है 50 वर्ष की आयु के बाद कैंसर विकसित होना। लेकिन, शोधकर्ताओं की टीम यह पता लगाना चाहती थी कि क्या शुरुआती कैंसर या 50 साल से कम उम्र के लोगों में कैंसर की दर भी बढ़ रही थी? इसका जवाब पाने के लिए की गई समीक्षा में कैंसर के 14 प्रकारों में डेटा देखा गया। स्तन, कोलोरेक्टल (सीआरसी), एंडोमेट्रियल, एसोफेजल, एक्स्ट्रा हेपेटिक, पित्त नली, पित्ताशय की थैली, सिर और गर्दन, गुर्दे, यकृत, अस्थि मज्जा, पैंक्रियाज, प्रोस्टेट, पेट, और थायराइड कैंसर।

जल्दी कैंसर 'वैश्विक महामारी'

शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला है कि जल्दी कैंसर होना एक उभरती हुई 'वैश्विक महामारी' है। 1990 के दशक से यही ट्रेंड है। एक तर्क ये दिया जाता है कि कैंसर स्क्रीनिंग के व्यापक उपयोग ने कैंसर की बढ़ती पहचान दरों में योगदान दिया है।लेकिन शोधकर्ताओं टीम कहा है कि यह अपने आप में पूरी तरह सही नहीं है क्योंकि कैंसर उन देशों में भी बढ़ रहे हैं जिनके पास स्क्रीनिंग कार्यक्रम नहीं हैं।

जानें क्या है वजह?

ये सच्चाई है कि हमारे जीवन में बहुत बदलाव आया है। खासकर अत्यधिक प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों के उदय के बाद से। इसके अलावा, आहार, जीवन शैली, वजन, पर्यावरणीय जोखिम और माइक्रोबायोम का कॉम्बिनेशन भी हमारी जिंदगी से खेल कर रहा है। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल (Harvard Medical School) के महामारी विज्ञानी टोमोटका उगाई बताते हैं, कि जिन 14 प्रकार के कैंसर का उन्होंने अध्ययन किया उनमें से आठ पाचन तंत्र से संबंधित थे। हम जो भोजन खाते हैं वह हमारे आंत में सूक्ष्म जीवों को खिलाता है। आहार सीधे माइक्रोबायोम संरचना को प्रभावित करता है और अंततः ये परिवर्तन रोग के जोखिम और परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं।

जीवनशैली में बदलाव प्रमुख कारक

अन्य जोखिम वाले कारकों में मिठास वाले पेय, टाइप 2 मधुमेह, मोटापा, गतिहीन जीवन शैली और शराब का सेवन शामिल हैं। इन सभी में 1950 के दशक के बाद से काफी वृद्धि हुई है। एक दिलचस्प बात यह है कि पिछले कुछ दशकों में वयस्कों की नींद की अवधि में भारी बदलाव नहीं आया है, लेकिन बच्चों को दशकों पहले की तुलना में बहुत कम नींद आ रही है।

बहरहाल, यह समझने वाली बात है कि लोगों के जीवन में व्यापक परिवर्तन आये हैं। हर तरह के निदान और इलाज डेवलप होने के साथ साथ बीमारियां भी बढ़ती जा रही हैं। इसका कोई एक समाधान, फिलहाल किसी के पास नहीं है।

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Content Writer

अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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