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हर दो घंटे पर पुलिस एक पीड़ित महिला को न्याय से दूर करती है
नई दिल्ली: महिला जो पहले से ही यौन हमले या अपने विरुद्ध किये गए अपराध से बदहवासी की शिकार होती है। उसे केवल न्याय के लिए ही लड़ाई नहीं लड़नी पड़ती बल्कि पुलिस के बुरे बर्ताव से भी लड़ना पड़ता है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद खुलासा किया है कि प्रत्येक दो घंटे में क महिला पुलिस बर्ताव के खिलाफ शिकायत दर्ज कराती है। उसे या तो शिकायत दर्ज कराने से हतोत्साहित किया गया होता है। एफआईआर दर्ज नहीं होती या उसे प्रतिदिन पीड़ादायक स्थतियों से गुजरना पड़ता है।
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विश्लेषण में कहा गया कि प्रतिदिन 13 महिलाएं घरेलू हिंसा, दहेज, शोषण या यौन शोषण के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराना चाहती हैं। जिन्हें पुलिस द्वारा जानबूझकर या बहाने बाजी के जरिये हतोत्साहित किया जाता है। पिछले चार साल और दस महीने में यानी 1764 दिनों में पुलिस के रवैये के खिलाफ आयोग को 23 हजार 661 शिकायतें मिलीं। दिल्ली, हरयाणा और राजस्थान के अलावा अकेले उत्तर प्रदेश से 65 फीसदी ऐसी शिकायतें मिली हैं।
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विशेषज्ञों के अनुसार इसका एक बड़ा कारण पुलिस बल में महिलाओं का अनुपात कम होना है। 24 लाख के पुलिस बल में पुरुषों की संख्या 93 फीसदी है जबकि महिलाओं का रेशियो 6.6 फीसदी है। यह अनुपात तीन हजार पांच सौ 65 महिलाओं पर एक महिला पुलिसकर्मी का बैठता है।