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झारखंड सरकार का सिर दर्द बने पारा शिक्षक, सत्तापक्ष के विधायकों का किया घेराव

झारखंड में पारा शिक्षकों की संख्या लगभग 65 हज़ार है। सेवा स्थायीकरण, नियामावली और वेतनमान की मांग को लेकर शिक्षक आंदोलनरत हैँ। यूपीए गठबंधन ने विधानसभा चुनाव के दौरान पारा शिक्षकों को स्थायी करने की बात कही थी।

Monika
Published on: 17 Jan 2021 7:10 PM IST
झारखंड सरकार का सिर दर्द बने पारा शिक्षक, सत्तापक्ष के विधायकों का किया घेराव
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झारखंड सरकार का सिर दर्द बनते पारा शिक्षक, सत्तापक्ष के विधायकों का किया गया घेराव

झारखंड: झारखंड में पारा शिक्षकों की संख्या लगभग 65 हज़ार है। सेवा स्थायीकरण, नियामावली और वेतनमान की मांग को लेकर शिक्षक आंदोलनरत हैँ। यूपीए गठबंधन ने विधानसभा चुनाव के दौरान पारा शिक्षकों को स्थायी करने की बात कही थी। हालांकि, सरकार गठन के एक साल बाद भी पारा शिक्षकों के हाथ खाली हैं। लिहाज़ा, एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने 17 जनवरी को सत्तापक्ष के तमाम विधायकों के आवास का घेराव किया। आगामी 24 जनवरी को मंत्रियों के आवास का घेराव होगा। 10 फरवरी को रांची स्थित मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने राज्यभर के पारा शिक्षक राजधानी पहुंचेंगे।

सीएम के साथ वार्ता बेनतीजा

15 जनवरी को एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के नेताओं ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की। प्रोजेक्ट भवन में हुई बातचीत के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने सीएम को विभिन्न समस्याओं से अवगत कराया। मुख्यमंत्री ने पारा शिक्षकों को उचित क़दम उठाने का भरोसा दिलाया। पारा शिक्षकों ने माना कि, मुख्यमंत्री का रुख सकारात्मक है। हालांकि, प्रतिनिधिमंडल ने साफ कर दिया कि, इस बार केवल आश्वासन से काम नहीं चलेगा। लिहाज़ा, मोर्चा ने आंदोलन का जो रुपरेखा तय किया है उसे अमली जामा पहनाया जाएगा। उसी के तहत 17 जनवरी को सत्तापक्ष के विधायकों के आवास का घेराव किया गया।

पारा शिक्षक

सत्तापक्ष के विधायक का समर्थन

मांडर से विधायक एवं राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री बंधु तिर्की ने पारा शिक्षकों की मांगों का समर्थन किया है। विधायक ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर पारा शिक्षकों के स्थायीकरण, वेतनमान और नियामावली में आ रही दिक्कतों को दूर करने का आग्रह किया है। पत्र में उन्होने लिखा है कि, राज्य में करीब 65 हज़ार पारा शिक्षक हैं। 17 से 18 साल सेवा देने के बाद पारा शिक्षक स्थायीकरण को लेकर आंदोलनरत हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान यूपीए के सभी घटक दलों ने पारा शिक्षकों के स्थायीकरण का वादा किया था।

पूर्व की सरकारों ने छला

पारा शिक्षकों के नेता संजय दूबे का आरोप है कि, पूर्व की सभी सरकार ने उन्हे छला है। लिहाज़ा, इस बार वे अपनी मांगों से पीछे नहीं हटेंगे। पूर्व की रघुवर दास की सरकार के समय में उच्च स्तरीय कमेटी का गठन भी किया गया। विभागीय मंत्री नीरा यादव के साथ कई दौर की वार्ता भी हुई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। वर्तमान हेमंत सोरेन की सरकार ने चुनाव के दौरान पारा शिक्षकों की समस्या दूर करने का वादा किया था। सरकार गठन के एक साल बाद भी पारा शिक्षकों की समस्याओं का निदान नहीं हुआ है। लिहाज़ा, पारा शिक्षक एकबार फिर से आंदोलनरत हैं।

शाहनवाज़ की रिपोर्ट

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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