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दस करोड़ बच्चों की जिंदगी खतरे में, लॉकडाउन के कारण रुका सबसे जरूरी काम

कोरोना वायरस के चलते दुनिया भर के बच्चों के लिए एक बड़ा खतरा पैदा हो गया है। इस वायरस के खिलाफ जंग के तहत कई देशों ने अपने यहां राष्ट्रीय टीकाकरण के कार्यक्रम स्थगित कर दिए हैं।

Vidushi Mishra
Published on: 15 April 2020 5:40 PM IST
दस करोड़ बच्चों की जिंदगी खतरे में, लॉकडाउन के कारण रुका सबसे जरूरी काम
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दस करोड़ बच्चों की जिंदगी खतरे में, लॉकडाउन के कारण रुका सबसे जरूरी काम

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली। कोरोना वायरस के चलते दुनिया भर के बच्चों के लिए एक बड़ा खतरा पैदा हो गया है। इस वायरस के खिलाफ जंग के तहत कई देशों ने अपने यहां राष्ट्रीय टीकाकरण के कार्यक्रम स्थगित कर दिए हैं। इससे दुनिया भर के करीब 10 करोड़ से अधिक बच्चों को खसरे का खतरा हो सकता है। कई वैश्विक स्वास्थ्य संगठनों के प्रतिनिधियों ने बच्चों के लिए पैदा हुए इस खतरे पर गंभीर चिंता जताई है।

कोरोना के चलते टीकाकरण रुका

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक टीकाकरण का काम रोकने वाले देश इसके जरिए कोरोना वायरस के संक्रमण का कोई खतरा नहीं मोल लेना चाहते। टीकाकरण का काम रोकने वाले देशों में मैक्सिको, नाइजीरिया,कंबोडिया सहित कम और मध्यम आय वाले 24 देश शामिल हैं। इन देशों ने बच्चों को खसरा और रूबेला से बचाने के लिए चलाए जा रहे टीकाकरण कार्यक्रम को पूरी तरह रोक दिया है।

सरकारी अस्पतालों में नहीं लग रहे टीके

दुनिया के अमीर देशों के मुकाबले कम आय वर्ग वाले देशों के हालात बिल्कुल अलग हैं। यहां आम तौर पर काफी कम संख्या में बच्चों के माता-पिता टीका लगवाने के लिए क्लीनिक या निजी अस्पतालों में जाते हैं। 80 देशों में नवजात और बच्चों को टीका लगवाने के लिए सरकारी अस्पताल ही सहारा होते हैं मगर कोरोना की जंग के चलते सरकारी अस्पतालों में टीका लगाने का काम पूरी तरह ठप पड़ा है।

यूनिसेफ ने मानी सच्चाई

यूनिसेफ के लिए टीकाकरण के प्रमुख डॉ रॉबिन नंदी ने इस बात को स्वीकार किया कि कोरोना वायरस के चलते बीमारियों से बचाव के टीके लगाना काफी मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहा कि कोरोना के संक्रमण के खतरे से हर कोई डर रहा है। हम नहीं चाहते कि बच्चों को टीका लगाते समय कोरोना जैसी खतरनाक बीमारी का खतरा पैदा हो जाए।

डॉ नंदी ने कहा कि इसके साथ ही हम यह भी नहीं चाहते कि जो देश कोरोना संकट से उबर रहे हैं वहां खसरा या डिप्थीरिया जैसी नई बीमारियों का संकट खड़ा हो जाए। उन्होंने कहा कि यह सच्चाई है कि टीके न लगने के कारण इन बीमारियों के फैलने का खतरा भी पैदा हो गया है।

टीकाकरण की अनुमति दें सरकारें

डॉ नंदी ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने टीकाकरण से जुड़े दिशा निर्देश जारी किए थे और सार्वजनिक स्वास्थ्य संगठनों ने इनका समर्थन भी किया था। इसलिए टीकाकरण को स्थगित करने वाले देशों की सरकारों से मेरा आग्रह है कि वह कोरोना वायरस के खिलाफ जंग के साथ ही टीके और सिरिंज की व्यवस्था भी सुनिश्चित करें और अपने यहां टीकाकरण की अनुमति प्रदान करें।

इसके लिए सरकारों को यदि चार्टर विमानों का भी इंतजाम करना पड़े तो इसके लिए भी उन्हे तैयार रहना चाहिए क्योंकि हम किसी भी बच्चे की जिंदगी को खतरे में नहीं डाल सकते।

आंखें खोलने वाले हैं ये आंकड़े

विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों पर गौर फरमाया जाए तो 2017 में दुनिया भर में खसरा के 75 लाख 85 हजार नौ सौ मामले सामने आए थे और इस बीमारी ने एक लाख 24 हजार बच्चों की जान ले ली थी। 2018 में खसरा के 97 लाख 69 हजार चार सौ मामले सामने आए और इस बीमारी ने एक लाख 42 हजार तीन सौ बच्चों की जान ले ली।

भारत में भी हो रही कठिनाई

जहां तक भारत का सवाल है तो यहां भी कई शहरों में सरकारी टीकाकरण अभियान करीब-करीब बंद पड़ा है। यहां भी गरीब वर्ग से ताल्लुक रखने वाली बड़ी आबादी टीकाकरण के लिए सरकारी अस्पतालों का ही सहारा लेती है। लॉकडाउन के कारण वैसे ही भी लोगों का घरों से बाहर निकलना संभव नहीं हो पा रहा है। ऐसे में यहां भी काफी संख्या में बच्चों को इस तरह का खतरा पैदा हो गया है।



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Vidushi Mishra

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