×

सौ साल के इतिहास का गवाह है यह छापाखाना

तस्‍वीर में ऊपर दिख रही यह हैंडप्रेस मशीन और इसके ऊपर बना क्राउन इस बात का तस्‍दीक कर रहा है यह अंग्रेजों के जमाने की बनी है।

Roshni Khan
Published on: 12 March 2020 1:12 PM IST
सौ साल के इतिहास का गवाह है यह छापाखाना
X
सौ साल के इतिहास का गवाह है यह छापाखाना

दुर्गेश पार्थसारथी

अमृतसर: तस्‍वीर में ऊपर दिख रही यह हैंडप्रेस मशीन और इसके ऊपर बना क्राउन इस बात का तस्‍दीक कर रहा है यह अंग्रेजों के जमाने की बनी है। देश को आजाद हुए बेशक आज 70 साल से अधिक का समय हो गया है लेकिन अंग्रेजों की बनाई कुछ चीजें ऐसी हैं जो आज भी हमारे काम आती हैं।

ये भी पढ़ें:यूपी शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड की विशेष ऑडिट की फाइल चोरी, केस दर्ज

जी हां! हम बात कर रहे हैं अमृतसर म्‍युनिसिपल कॉरोपोरेशन (नगर निगम) अमृतसर के प्रिंटिंग प्रेस की। ब्रिटिश इंडिया के जमाने का यह प्रिंटिंग प्रेस आज भी उतनी ही शिद्दत के साथ काम रहा है जैसा कि तब। हां इतना जरूर है अब इसके-रख रखाव में थोड़ी परेशानी अवश्‍य आ रही है। लेकिन, इतिहास को सहेजने के लिए इतना करना ही पड़ेगा।

1920-21 में लगाई गई थी प्रिंटिंग प्रेस

अमृतसर के रामबाग गेट (थाने के सामने) में लगे इस प्रिंटिंग प्रेस और इसके ऐतिहासिक महत्‍व की जानकारी शायद ही लोगों को हो। अमृतसर और इसके बनते बिगड़ते इतिहास की जानकारी रखने वाले सुरेंद्र कोछड़ का कहना है कि यह प्रिंटिंग 1920-21 में लगाया गया था। तब अमृतसर म्‍युनिसिपल कमेटी के अध्‍यक्ष सेठ राधा कृष्‍ण हुआ करते थे। उस समय यह मशीनें लंदन से मंगवाई थीं।

पांच सदस्‍य होते थे म्‍युनिसिपल कमेटी के

नगर निगम अमृतसर के संयुक्‍त कमिश्‍नर रहे डॉ: डीपी गुप्‍ता कहते हैं कि अंग्रेजों 1862 में अमृतसर में टाउन कमेटी बनाया। इसका कार्यालय टाउन हाल में हुआ करता था। उस समय इसके पांच सदस्‍य होते थे। इनमें दो भारतीय और तीन अंग्रेज अधिकारियों को शामिल किया जाता था। इसके बाद 1865 में इसे म्‍युनिसिपल कमेटी बनाया गया। फिर 1977 में इसे नगर निगम का दर्जा दिया गया।

प्रदेश की आठ निगमों का इकलौता प्रेस

प्रदेश की आठ नगर निगमों में अमृतसर एक मात्र ऐसा निगम है जिसके पास खुद की अपनी प्रेस है। इसी प्रेस से निगम के तमाम दस्‍तावेज

1921 से अब तक छापे जा रहे हैं। इनमें चा‍हे निगम का रजिस्‍टर हो या फिर बिलबुक सब कुछ यहीं पर छपता है।

मशीनों के रखरखाव में आ रही है पेरशानी

नगर निगम के प्रेस सुपरिंटेंडेंट बलदेव सिंह के मुताबिक इस प्रेस में चार ट्रेडर मशीनें हैं। एक हैंड प्रेस कटिंग मशीन है। कटिंग मशीन को छोड़ कर बाकी सभी मशीनें चालू हालत हैं। इन्‍हीं मशीनों से निगम की संबंधित स्‍टेशनरी छापी जाती है। बलदेव सिंह कहते हैं कि इन ट्रेडर मशीनों के रखरखाव में थोड़ी परेशानी जरूर आती है। लेकिन, इतिहास को जिंदा रखने के लिए इतना तो करना पड़ता है। मशीन का कोई कलपुर्जा खराब होता है तो उसे आर्डर देकर दिल्‍ली से मंगवाना पड़ता है। आजकल इस मशीन के कारिगर भी कम हैं। फिलहाल यहां चार कर्मचारी काम कर रहे हैं।

देश विभाजन के समय भी बंद नहीं हुई थी छपाई

बताया जाता है कि देश छोड़ कर अंग्रेजों के लंदन जाने और देश विभाजन के समय भी ब्रिटिश इंडिया के शासन काल में लगाया गया यह प्रिंटिंग प्रेस बंद नहीं हुआ। वेशक समय के थपेड़ों को सहते हुए यूएसए की बनी इन प्रिंटिंग मशीनों की चकम फीकी पड़ गई हो लेकिन पिछले सौ सालों से इसकी छपाई अनवरत जारी रही। यह बात दिगर है कि अंग्रेजों ने गजेटियर प्रकाशित करने में इस प्रिंटिंग प्रेस का इस्‍तेमाल की नहीं किया।

कभी महाराजा रणजीत सिंह की कोतवाली था रामबाग गेट

ऐतिहाक मामलों के जानकार रमन कुमार के मुताबकि रामबाग गेट महाराजा रणजीत सिंह कोतवाली थी। जब भी वह अमृतसर आते थे तो यहीं से वह सभी मामले देखते थे। इसी लिए इसे रामबार्ग फोर्ट भी कहा जाता है। क्‍योंकि यहां पर महाराजा के सैनिक और उनके घोड़े आदि बांधे जाते हैं। और यहीं से महाराजा रणजीत सिंह श्री हरिमंदिर साहिब पैदल जाया करते थे। पंजाब पर अंग्रेजों की हूकुमत कायम होने के बाद ब्रिटिश सरकार ने रामबाग और महासिंह गेट को 1892 में गिरावा दिया था। अब जिस स्‍थान पर नगर निगम का प्रेस है वह रामबाग की ड्योढ़ी है।

ये भी पढ़ें:शेयर बाजार में भारी गिरावट बरकरार, सेंसेक्स 2700 अंक और निफ्टी 800 अंक तक टूटा

सीआइए स्‍टाफ का ऑफिस भी रहा है यहां

सिख-एंग्‍लो शासन का केंद्र रहा रामबाग गेट न केवल महाराजा रणजीत सिंह की कोतवाली रहा। बल्कि जिस हिस्‍से में करीब 100 साल के इतिहास को संजोए नगर निगम का प्रेस है। वहां पंजाब पुलिस के सीआईए स्‍टाफ का दफ्तर भी रहा है। लेकिन मौजूदा समय में संग्रहालय के रूप में तब्‍दील कर दिया गया है। हृदय प्रोजेक्‍ट के तहत संवारे गए इस ऐतिहासिक इमारत में महाराजा रणजीत सिंह शासन काल से जुड़ी वस्‍तुओं को सहेज कर रखा गया है।

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Roshni Khan

Roshni Khan

Next Story