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रिश्वत लेकर संसद में सवाल पूछने पर 11 पूर्व सांसदों सहित 12 लोगों पर भ्रष्टाचार का आरोप तय

रिश्वत लेकर संसद में सवाल करने के के मामले में अब भ्रष्टाचार की बात तय हो गई है।वर्ष 2005 में तत्कालीन 11 सांसद इस मामले में दोषी पाए गए हैं और अदालत

Anoop Ojha
Published on: 8 Dec 2017 12:58 PM IST
रिश्वत लेकर संसद में सवाल पूछने पर 11 पूर्व सांसदों सहित 12 लोगों पर भ्रष्टाचार का आरोप तय
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नई​दिल्ली: रिश्वत लेकर संसद में सवाल करने के के मामले में अब भ्रष्टाचार की बात तय हो गई है।वर्ष 2005 में तत्कालीन 11 सांसद इस मामले में दोषी पाए गए हैं और अदालत ने उन पर मुक़दमा चलाने की अनुमति दी है। देश की संसद में भ्रष्टाचार के इस अति संवेदनशील मामले में भ्रष्टाचार तय होने में 12 वर्ष लग गए। इन सांसदों में 10 लोकसभा से तथा एक उच्च सदन यानि राज्यसभा के सदस्य रहे हैं। इनमें सर्वाधिक छह सांसद भाजपा के ही रहे हैं। एक अन्य रवींद्र कुमार नामक व्यक्ति पर भी आरोप तय हुए है , जबकि विजय फोगाट की मृत्यु के कारण उनका नाम आरोपियों में से हटा दिया गया है। 12 वर्ष में यह मामला यहां तक आया है , लेकिन दोषी लोगों को सजा कब मिलेगी ,यह अभी देखना ही है।

अदालत ने इन सभी के खिलाफ अभियोग तय करते हुए कहा इन सभी के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त साक्ष्य है। विशेष न्यायाधीश किरण बंसल ने आरोपियों से पूछा कि आप सभी के खिलाफ भ्रष्टाचार व आपराधिक षडयंत्र के तहत मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त साक्ष्य है। क्या वे अपना अपराध स्वीकार कर रहे है। इस पर आरोपियों ने स्वयं को निर्दोष बताते हुए अपना अपराध स्वीकार करने से इंकार कर दिया। इस पर उन्होंने कहा कि वे मुकदमा लडना चाहते है। अदालत ने सभी को 12 जनवरी 2018 को पेश होने का निर्देश देते हुए अभियोजन पक्ष को अपने गवाहों को पेश करने को कहा है।

उल्लेखनीय है कि तत्कालीन सांसदों के खिलाफ दो पत्रकारों ने एक स्टिंग ऑपरेशन किया था। इस संबंध में एक निजी न्यूज चैनल पर 12 दिसंबर 2005 को समाचार भी प्रसारित किया गया। स्टिंग में सांसदों को संसद में सवाल उठाने के लिए नकद राशि लेते दिखाया गया था। इस खबर में प्रसारण के बाद देश राजनीति में भूचाल जैसी स्थिति आ गयी। उस समय केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार थी।

इस मामले की गम्भीरता को देखते हुए लोकसभा में पवन बंसल की अगुवाई में एक जांच कमिटी बनायी गयी थी। राज्यसभा की तरफ से भी एक कमिटी बनायीं गयी थी। दोनों ही कमेटियां तथ्यों से सहमत थीं। इसके बाद सांसदों को 23 दिसंबर 2005 को बर्खास्त कर दिया था। दिसंबर 2005 में ही लोकसभा ने अपने 10 सदस्यों को निष्कासित कर दिया था, जबकि लोढा को राज्यसभा से हटा दिया गया था। अभियोजन पक्ष ने सीडी-डीवीडी पर भरोसा किया, जिसमें आरोपी और अन्य लोगों के बीच बातचीत हुई थी।

इस मामले में अदालत ने पिछले 10 अगस्त को सभी के खिलाफ अभियोग तय करने का निर्णय किया था लेकिन सभी आरोपियों के पेश न होने पर सुनवाई स्थगित कर दी थी। दिल्ली पुलिस ने मामले में आरोप पत्र 2009 में दायर किया था। पुलिस ने मामले में स्टिंग करने वाले दो पत्रकारों को भी भ्रष्टाचार के लिए उकसाने पर आरोपी बनाया था लेकिन हाईकोर्ट ने सुनवाई पर रोक लगा दी थी।

पूरे प्रकरण पर एक नजर

12 दिसंबर 2005 को एक निजी समाचार चैनल ने स्टिंग ऑपरेशन 'दुर्योधन' में देश के 11 सांसदों को संसद में सवाल पूछने के बदले में नकद स्वीकार करते दिखाया था।

इस गंभीर मामले में 23 दिसंबर 2005 को संसद ने एक ऐतिहासिक वोटिंग में 11 सांसदों को निष्कासित करने के लिए मतदान किया था।

लोकसभा के तत्कालीन नेता प्रणब मुखर्जी ने दागी सांसदों को बर्खास्त करने का प्रस्ताव रखा। तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राज्यसभा में यही प्रस्ताव रखा।

इन प्रस्तावों पर पार्टियों के बीच लंबी बहस चली। भाजपा, बसपा और समाजवादी पार्टी सांसदों के निष्कासन के खिलाफ थीं। भाजपा ने मामले में वोट नहीं किया। आखिरकार सांसदों की सदस्यता खत्म कर दी गई।

बर्खास्त हुए सांसदों ने संसद के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। जनवरी, 2007 में सुप्रीम कोर्ट ने संसद के फैसले को बरकरार रखा।

किस पर कितने का आरोप

छत्रपाल सिंह लोढ़ा, भाजपा, ओडिशा, (राज्य सभा), 15 हजार

नरेंद्र कुशवाहा, बसपा, मिर्जापुर (उत्तरप्रदेश), 55 हजार

अन्नासाहेब एम के पाटिल, भाजपा, एरांडोल (महाराष्ट्र), 45 हजार

वाईजी महाजन, भाजपा, जलगांव (महाराष्ट्र), 35 हजार

मनोज कुमार, राष्ट्रीय जनता दल, पलामू (झारखंड), 1.10 लाख

सुरेश चंदेल, भाजपा, हमीरपुर (हिमाचल प्रदेश), 30 हजार

राजाराम पाल, बसपा, बिल्हौर (उत्तर प्रदेश), 35 हजार

लालचंद्र कोल, भाजपा, रॉबर्ट्सगंज (उत्तर प्रदेश), 35 हजार

प्रदीप गांधी, भाजपा, राजनंदगांव (छत्तीसगढ़), 55 हजार

चंद्रप्रताप सिंह, भाजपा, सीधी (मध्य प्रदेश), 35 हजार

रामसेवक सिंह, कांग्रेस, ग्वालियर (मध्य प्रदेश), 50 हजार

सांसद राम के तत्कालीन पीए रविन्द्र कुमार के खिलाफ भी अभियोग तय किए गए है। बिचोलिए विजय फोगट की मृत्यु होने पर उनके खिलाफ सुनवाई बंद कर दी गई थी।



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Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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