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Parliament News:...तो इसलिए निलंबन के बाद भी 141 विपक्षी सांसदों को मिलता रहेगा वेतन, जानें क्यों नहीं कटेंगे इनके पैसे?
Parliament News: लोकसभा और राज्यसभा से निलंबित विपक्ष के सांसदों को लेकर कई लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि यदि कोई सरकारी कर्मचारी निलंबित किया जाता है तो उसकी तनख्वाह आधी हो जाती है, लेकिन क्या सांसदों के साथ भी ऐसा है...
Parliament News: विपक्ष ने संसद के शीतकालीन सत्र के 12वें दिन यानी मंगलवार को सांसदों के निलंबन को लेकर दोनों सदनों में जमकर हंगामा किया। विपक्षी सांसदों ने संसद के अंदर से लेकर सदन के गेट और परिसर में नारेबाजी की और विरोध जताया। इस दौरान लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही सुबह से तीन बार स्थगित की गई। इसके बाद लोकसभा से विपक्ष के 49 सांसदों को निलंबित कर दिया गया। इस तरह अब कुल 141 सांसद सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले सकेंगे। यही नहीं, लोकसभा की प्रश्न सूची से 27 सवाल भी हटा दिए गए हैं। ये सभी सवाल निलंबित सांसदों की ओर से पूछे गए थे। अब तक लोकसभा से 95 और राज्यसभा से 46 सांसद सस्पेंड हो चुके हैं।
अब यहां सांसदों के निलबंन होने के बाद कई लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि यदि कोई सरकारी कर्मचारी निलंबित किया जाता है, तो उसकी तनख्वाह आधी हो जाती है, लेकिन क्या सांसदों के साथ भी ऐसा ही है। तो आइए जानते हैं कि निलंबित होने के बाद सांसदों की वेतन पर क्या प्रभाव पड़ता है।
ससबे पहले जानें क्यों होता है निलंबन
जब लोकसभा अध्यक्ष द्वारा बार-बार समझाने और चेतावनी देने पर भी सांसदों द्वारा हंगामा करना या काम में बाधा पहुंचाया जाता है तो अध्यक्ष ऐसे सांसदों को निलंबित कर देता है। लेकिन यह निलंबन कितने दिनों के लिए होगा, यह संसद के रूल बुक के मुताबिक तय किया जाता है। इस बुक के रूल संख्या 373 के तहत लोकसभा अध्यक्ष सांसद को तुरंत सदन से हटने का निर्देश दे सकते हैं। वहीं रूल नंबर 374ए में सांसदों की निलंबन की अवधि के बारे में बताया गया है।
इधर, राज्यसभा में नियम 255 के तहत राज्यसभ का सभापति हंगामा या बुरा व्यवहार करने वाले सदस्य के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं। सभापति सांसद को तुरंत सदन से बाहर जाने को कह सकते हैं। रूल 256 के तहत सभापति उस सांसद का नाम दे सकते हैं, जिसने नियमों की अनदेखी की हो। इसके बाद सदन उस सांसद को सस्पेंड करने के लिए एक प्रस्ताव लाया जाता है। इसके बाद सांसद को अधिकतम पूरे सत्र के लिए सस्पेंड किया जा सकता है।
निलंबन के बाद छिन जाते हैं ये अधिकार-
एक सांसद के निलंबन के बाद उसके कई अधिकार छिन जाते हैं। जैसे निलंबित सदस्य सदन कक्ष में प्रवेश नहीं कर सकते हैं। वे अलग-अलग समितियों की होने वाली बैठकों में शामिल नहीं हो सकते हैं और न वे किसी तरह की चर्चा का हिस्सा बन सकते हैं। उनके पास किसी को नोटिस देने का अधिकार तक नहीं होता। वह अपने सवालों के जवाब पाने का अधिकार भी खो देता है। सरकार से सवाल भी नहीं कर सकतंे।
इस तरह से खत्म हो सकता है निलंबन
वैसे तो एक सांसद का निलंबन संसद के पूरे सत्र के लिए होता है, अगर वे चाहें तो निलंबन खत्म किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए उन्हें माफी मांगनी होती है। अगर वो अध्यक्ष और सभापति से माफी मांगते हैं और उन्हें लगता है कि मामला माफ करने लायक है तो वे सांसद का निलंबन वापस ले सकते हैं। इसके अलावा निलंबन के खिलाफ प्रस्ताव भी सदन में लाया जा सकता है। यदि प्रस्ताव सदन में पास हो जाता है, तो सांसद का निलंबन रद्द हो सकता है।
कोई सांसद कोर्ट के प्रति उत्तरदायी नहीं होता है-
संविधान के आर्टिकल 105 (2) के तहत भारत में संसद में किए गए किसी भी व्यवहार के लिए कोई सांसद किसी कोर्ट के प्रति उत्तरदायी नहीं होता है। यानी सदन में कही गई किसी भी बात को कोर्ट में चैलेंज नहीं किया जा सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सांसदों को संसद में कुछ भी करने की छूट मिली हुई है। एक सांसद जो कुछ भी कहता है, वह राज्यसभा और लोकसभा की रूल बुक से नियंत्रित होता है। इस पर केवल लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा के सभापति ही कार्रवाई कर सकते हैं।
...तो इसलिए निलंबित सांसद को मिलती है पूरी सैलेरी-
निलंबन के दौरान सांसदों की सैलरी किसी सरकारी कर्मचारी की तरह नहीं काटी जाती। सदन की कार्यवाही के दौरान निलंबित सांसदों को पूरी सैलरी मिलती है। लेकिन संसद सदस्य को दैनिक भत्ते का भुगतान तभी किया जाता है, जब वो लोकसभा-राज्यसभा सचिवालय में रखे रजिस्टर में हस्ताक्षर करते हैं। हालांकि, काफी समय से ‘काम नहीं तो वेतन नहीं‘ की मांग की जा रही है। इस पर कोई फैसला नहीं हो सका है।
अब सवाल ये-
अब सवाल यह है कि निलंबन के बाद कितनी तरह के भत्ते रोक दिए जाएंगे। इसका जवाब है कि सांसदों के निलंबन के बाद उन्हें निर्वाचन क्षेत्र अलाउंस, कार्यालय और स्टेशनरी समेत अलग-अलग भत्ते मिलते रहेंगे। केवल वही भत्ता नहीं मिलेगा, जो बतौर सांसद सदन की कार्यवाही में शामिल होने के लिए मिलता है। चूंकि इस दौरान वो सदन में एंट्री नहीं कर सकते, इसलिए उन्हें कार्यवाही के लिए दिया जाने वाला भत्ता नहीं मिलेगा।