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Independence Day 2022: मोदी ने सेट किया 130 करोड़ की टीम इंडिया का एजेंडा - 25 साल में भारत को बनाना है विकसित राष्ट्र
Independence Day 2022: मोदी ने कहा कि आज दुनिया का भारत को लेकर नजरिया बदल चुका है। दुनिया भारत की धरती पर समाधान देखने लगी है। 75 साल की अनुभव यात्रा का यह परिणाम है।
Independence Day 2022: 76वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 130 करोड़ देशवासियों की "टीम इंडिया" का आह्वान किया कि वह देश को आगे ले जाये और सुनिश्चित करे कि अगले 25 वर्षों में भारत एक विकसित राष्ट्र हो जाएगा।
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में 'अमृत काल' के लिए पांच संकल्प, या "पंच प्राण" रखे : एक विकसित भारत की दिशा में काम करने के लिए उपनिवेशवाद के किसी भी अवशेष को हटा दें, अपनी जड़ों को बनाए रखें, विविधता में एकता सुनिश्चित करें, और नागरिकों के कर्तव्य निभाते रहें। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भ्रष्टाचार और वंशवादी राजनीति, भारत में दो सबसे बड़ी चुनौतियां थीं।
पीएम मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत ये कहते हुए की कि यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक दिन है क्योंकि यह एक नए संकल्प के साथ एक नया रास्ता अपनाता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत की ताकत इसकी विविधता में निहित है, इसे "लोकतंत्र की जननी" कहा जाता है।
लाल किले से अपने भाषण से पहले, पीएम मोदी ने स्वदेशी रूप से विकसित होवित्जर तोप द्वारा 21 तोपों की सलामी के बीच राष्ट्रीय ध्वज फहराया। इसके बाद हेलीकॉप्टर से फूलों की पंखुड़ियों की बौछार की गई। इससे पहले सुबह पीएम मोदी राजघाट पहुंचे और बापू को श्रद्धांजलि दी।
प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि आकांक्षी समाज किसी भी देश की अमानत होती है। आज समाज के हर वर्ग में, हर तबके में आकांक्षाएं उफान पर हैं। देश का हर नागरिक चीजें बदलना चाहता है, इंतजार करने को तैयार नहीं है, अपनी आंखों के सामने चाहता है। 75 साल में बचे सपने पूरा करने के लिए उतावला है। ऐसे में सरकारों को भी समय के साथ दौड़ना पड़ता है। केंद्र हो या राज्य या कोई और शासन व्यवस्था हो, हर किसी को आकांक्षाओं को पूरा करना होगा। हमारे समाज ने काफी इंतजार किया है। लेकिन अब वह आने वाली पीढ़ी को इंतजार करवाने के लिए तैयार नहीं है।
मोदी ने कहा कि आज दुनिया का भारत को लेकर नजरिया बदल चुका है। दुनिया भारत की धरती पर समाधान देखने लगी है। 75 साल की अनुभव यात्रा का यह परिणाम है। विश्व भी उम्मीदें लेकर जी रहा है, उम्मीदें पूरी करने का सामर्थ्य कहां पड़ा है। त्रिशक्ति के रूप में मैं इसे देखता हूं-
1. एसपिरेशन
2. पुनर्जागरण
3. विश्व की उम्मीदें
आज दुनिया में विश्वास जगने में देशवासियों की भूमिका है। 130 करोड़ लोगों ने दशकों के अनुभव करने के बाद स्थिर सरकार का महत्व, राजनीतिक स्थिरता और इसके कारण दुनिया में असर, नीतियों को लेकर भरोसा जताया है। हमने सबका साथ सबका विकास के मंत्र लेकर चले थे लोगों ने सबका विश्वास सबका प्रयास किया।
पीएम ने पांच प्रण शक्तियों की बात की। उन्होंने कहा कि पहला प्रण अब देश बड़े संकल्प लेकर चलेगा और वो बड़ा संकल्प है विकसित भारत। अब उससे कम नहीं होना चाहिए।
दूसरी प्रण शक्ति - किसी भी कोने में, हमारे मन के भीतर गुलामी का एक भी अंश अगर है तो उसे किसी भी हालत में बचने नहीं देना है। सैकड़ों साल की गुलामी ने हमारे मनोभाव को बांध कर रखा है, हमें गुलामी की छोटी सी छोटी चीज भी नजर आती है हमें उससे मुक्ति पानी होगी।
तीसरी प्रण शक्ति - हमें हमारी विरासत पर गर्व होना चाहिए क्योंकि यही विरासत है जिसने कभी भारत को स्वर्णिम काल दिया था।
चौथी प्रण शक्ति - एकता और एकजुटता, 130 करोड़ देशवासियों में एकता, न कोई अपना न कोई पराया। एकता की ताकत एक भारत श्रेष्ठ भारत के सपनों के लिए है।
पांचवीं प्रण शक्ति - नागरिकों का कर्तव्य, इसमें पीएम और सीएम भी आते हैं। ये हमारे आने वाले 25 साल के सपनों को पूरा करने के लिए बहुत बड़ी प्राणशक्ति है।
विकसित भारत
पीएम ने कहा कि आज जब अमृत काल की पहली प्रभात है तो हमें इन 25 साल में विकसित भारत बनाकर रहना है। देश के नौजवानों, जब देश की आजादी का 100 साल मनाएगा तो आप 50-55 साल के होंगे। आप संकल्प लेकर मेरे साथ चल पड़िए, तिरंगे की शपथ लेकर चल पड़िए। बड़ा संकल्प मेरा देश विकसित होगा। हम मानवकेंद्री व्यवस्था को विकसित करेंगे।
हर तरफ तिरंगे
आज पूरा लाल किले तिरंगे के रंगों से सराबोर नजर आया। ठीक 7.30 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ध्वजारोहण किया। इसके बाद राष्ट्रगान की धुन हुई। मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत करते हुए कहा, "आज का दिवस ऐतिहासिक दिवस है। एक पुण्य पड़ाव, एक नई राह, एक नए संकल्प और नए सामर्थ्य के साथ कदम बढ़ाने का यह शुभ अवसर है। आजादी की जंग में गुलामी का पूरा कालखंड संघर्ष में बीता है। भारत का कोई कोना ऐसा नहीं था, जब देशवासियों ने सैकड़ों सालों तक गुलामी के खिलाफ जंग न किया हो। जीवन न खपाया हो, आहुति न दी हो। आज हम सब देशवासियों के लिए ऐसे हर महापुरुष के लिए नमन करने का अवसर है।"
प्रधानमंत्री ने कहा, आज हम सभी कृतज्ञ हैं पूज्य बापू के, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बाबा साहब आंबेडकर, वीर सावरकर के, जिन्होंने कर्तव्य पथ पर जीवन को खपा दिया। यह देश कृतज्ञ है मंगल पांडे, तात्या टोपे, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, चंद्रशेखर आजाद, अशफाक उल्ला खां, राम प्रसाद बिस्मिल। ऐसे क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला दी।
आजादी की जंग लड़ने वाले और आजादी के बाद देश बनाने वाले डॉ. राजेंद्र प्रसाद हों, नेहरू जी हों, सरदार वल्लभ भाई पटेल, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, लाल बहादुर शास्त्री, दीनदयाल उपाध्याय, जय प्रकाश नारायण, लोहिया, विनोबा भावे, नानाजी देशमुख, सुब्रमण्यम भारती ऐसे अनगिनत महापुरुषों को आज नमन करने का अवसर है। भगवान बिरसा मुंडा, सीताराम राजू, गोविंद गुरु अनगिनत नाम हैं जिन्होंने आजादी के आंदोलन की आवाज बनकर दूर जंगलों में आदिवासियों में मातृभूमि के लिए जीने मरने की प्रेरणा जगाई। एक रूप यह भी रहा जिसमें नारायण गुरु हो, स्वामी विवेकानंद हो, महर्षि अरविंदों हो, टैगोर हो ऐसे अनेक महापुरुष भारत की चेतना को जगाते रहे।
अमृत महोत्सव
पीएम ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव के दौरान उन सभी महापुरुषों को याद करने का प्रयास किया गया जिनको किसी न किसी कारण से इतिहास में जगह न मिली, या उन्हें भुला दिया गया। कल 14 अगस्त को भारत ने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस भी बड़े भारी मन से हृदय के गहरे घावों को याद करके मनाया।
पीएम ने कहा कि जब आजादी की लड़ाई अंतिम चरण में थी तो देश को डराने के लिए तमाम कोशिशें की गई, अंग्रेज चले जाएंगे तो देश बिखर जाएगा लेकिन उन्हें पता नहीं था कि ये हिंदुस्तान की मिट्टी है। इस मिट्टी में वो सामर्थ्य है जो शासकों से भी परे सामर्थ्य का एक अंतर प्रवाह लेकर जीता रहा है। उसी का परिणाम है। कभी अन्न का संकट झेला, युद्ध का शिकार हो गए, आतंकवाद ने चुनौतियां पैदा की। निर्दोषों को मारा गया। छद्म युद्ध चलते रहे। प्राकृतिक आपदाएं आती रही। न जाने कितने पड़ाव आए लेकिन इन सबके बीच भारत आगे बढ़ता रहा।
आजादी के बाद जन्मा
पीएम ने कहा कि जिनके जेहन में लोकतंत्र होता है वे जब संकल्प लेकर चल पड़ते हैं वो सामर्थ्य दुनिया की बड़ी सल्तनतों के लिए संकट का काल लेकर आती है। ये लोकतंत्र की जननी हमारे भारत ने सिद्ध कर दिया कि हमारे पास अनमोल सामर्थ्य है। 75 साल की यात्रा में उतार चढ़ाव आए। 2014 में देशवासियों ने मुझे दायित्व दिया। आजादी के बाद जन्मा मैं पहला व्यक्ति था जिसे लाल किले से देशवासियों का गौरव गान करने का अवसर मिला। मैंने अपना पूरा कालखंड देश के उन लोगों को सशक्त बनाने में खपाया- दलित, शोषित, किसान, महिला, युवा हो, हिमालय की कंदराएं हों समुद्र का तट हो। हर कोने में बापू का जो सपना था आखिरी इंसान को सामर्थ्य बनाने की, मैंने अपने आप को उसके लिए समर्पित किया।
सामूहिक चेतना
पीएम मोदी ने कहा, भारत में सामूहिक चेतना का पुर्नजागरण हुआ है। ये चेतना का जागरण ये हमारी सबसे बड़ी अमानत है। पिछले तीन दिनों के भीतर जिस प्रकार से तिरंगे झंडे को लेकर चल पड़ा है। बड़े बड़े सोशल साइंस के एक्सपर्ट भी इसकी कल्पना नहीं कर सकते कि देश के भीतर कितना बड़ा सामर्थ्य है, देश के झंडे ने दिखा दिया है। जब देश का हर कोना जनता कर्फ्यू के लिए निकल पड़ता है, थाली-ताली बजाकर कोरोना योद्धाओं के साथ खड़ा होता है, दीया जलाकर योद्धाओं को शुभकामनाएं देता है तो उस चेतना की अनुभूति होती है।