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Independence Day 2022: क्या इस बार भी बुलेट प्रूफ स्क्रीन इस्तेमाल नहीं करेंगे मोदी?

Independence Day 2022: मोदी अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन को बुलेटप्रूफ शीशे की बजाय एक खुले पोडियम से देने का विकल्प चुनते हैं। हालांकि इस बार व्यवस्था कुछ बदल सकती है। 11 अगस्त को जारी एक तस्वीर में कामगारों को लाल किले पर बुलेट प्रूफ घेरा तैयार करते दिखाया गया है।

Neel Mani Lal
Published on: 14 Aug 2022 7:35 AM IST (Updated on: 14 Aug 2022 7:35 AM IST)
Independence Day
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लाल किले में बुलेट प्रूफ पोडियम तैयार करते कर्मी (फोटों सोशल मीडिया)

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PM Narendra Modi Independence Day 2022: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर साल, स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से अपना भाषण देने के बाद बच्चों का अभिवादन करने के लिए अपने सुरक्षा घेरे से बाहर निकलते हैं। एक और उल्लेखनीय बदलाव यह रहा है कि प्रधानमंत्री बुलेट प्रूफ घेरों को हटवा देते रहे हैं। मोदी अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन को बुलेटप्रूफ शीशे की बजाय एक खुले पोडियम से देने का विकल्प चुनते हैं। हालांकि इस बार व्यवस्था कुछ बदल सकती है। 11 अगस्त को जारी एक तस्वीर में कामगारों को लाल किले पर बुलेट प्रूफ घेरा तैयार करते दिखाया गया है।

तो मोदी के प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद से यह अभूतपूर्व कदम होगा। वैसे, बुलेट प्रूफ स्क्रीन हटाये जाने का मतलब ये नहीं है कि जोखिम कम है या सुरक्षा घटा दी जाती है। बल्कि बुलेट प्रूफ स्क्रीन हटाये जाने के बाद सुरक्षा इंतजामात और भी व्यापक कर दिए जाते हैं। अपनी सुरक्षा व्यवस्था प्रोटोकॉल को खारिज करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में लाल किले की प्राचीर से पीएम के रूप में अपने पहले स्वतंत्रता दिवस भाषण के दौरान बुलेट-प्रूफ घेरे का इस्तेमाल नहीं किया था। तबसे वह बुलेट प्रूफ शीशे के घेरे का प्रयोग नहीं कर रहे हैं। बताया जाता है कि 2014 में सुरक्षा एजेंसियां बुलेट प्रूफ स्क्रीन इंस्टाल करवाई थी।

लेकिन पीएम मोदी द्वारा आपत्ति जताये जाने के बाद बेहद गोपनीय ढंग से भाषण के चंद घंटों पहले ये स्क्रीन हटवा दी गई। इसके बाद के वर्षों में भी ऐसा ही हुआ। दरअसल, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद, बुलेट प्रूफ शीशा एक परंपरा बन गया और तब से सभी प्रधानमंत्रियों ने कांच के पीछे से राष्ट्र को संबोधित किया था। बुलेट प्रूफ घेरे पहली बार 1985 में गणतंत्र दिवस पर नजर आए थे जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे। तबसे यह व्यवस्था चलती रही लेकिन 1990 में वीपी सिंह ने स्वतंत्रता दिवस के लिए ऐसे आधे घेरे का विकल्प चुना। इसके अगले साल पीएम पीवी नरसिम्हा राव के लिए बुलेट प्रूफ स्क्रीन को फिर से ऊंचा कर दिया गया।



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Prashant Dixit

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