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15 अगस्त को नहीं, अब इस तारीख को लांच होगी कोरोना की वैक्सीन
2021 से पहले कोरोना वायरस का टीका संभव नहीं है। ये बात संसदीय समिति को दी गई एक जानकारी में निकलकर सामने आई है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय से संबंधित संसदीय समिति को अधिकारियों ने उक्त जानकारी दी है।
नई दिल्ली: 2021 से पहले कोरोना वायरस का टीका संभव नहीं है। ये बात संसदीय समिति को दी गई एक जानकारी में निकलकर सामने आई है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय से संबंधित संसदीय समिति को अधिकारियों ने उक्त जानकारी दी है।
अधिकारियों की ओर से समिति को दी गई जानकारी के मुताबिक कम से कम इस साल कोरोना की वैक्सीन बनना भारत में मुमकिन नहीं है। ये वैक्सीन 2021 की शुरुआत में संभवत: आ सकती है।
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कोरोना पर चर्चा
प्राप्त जानकारी के अनुसार समिति को ये बताया गया है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद जयराम रमेश की अगुवाई में हुई संसदीय समिति की मीटिंग में यह बात सामने आई है। इस बैठक का मुख्य बिंदु कोरोना और दूसरी महामारी से भविष्य में निपटने की तैयारियों पर चर्चा करना था।
कोरोना संक्रमण के बीच लोगों को उम्मीद है कि जल्द इसका टीका आएगा जिससे इस महामारी से निजात मिल पाएगी। देश में कोरोना वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल का काम भी शुरू हो चुका है।
ऐसी भी उम्मीद जताई जा रही है कि 15 अगस्त से कोरोना का टीका उपलब्ध होना शुरू हो जाएगा लेकिन संसदीय समिति को दी गई एक जानकारी की मानें तो 2021 से पहले कोरोना का टीका संभव नहीं है।
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कोरोना की शुरुआत
बातें चाहे जो बताईं जा रहीं हों लेकिन सच्चाई यही है कि आज तक ठीक तरह से इस बात का पता नहीं चल सका है कि इस बीमारी की शुरुआत कहां से हुई। बताया जाता है कि शुरुआत चीन के एक मीट बाजार से हुई लेकिन जानवर से इंसान में संक्रमण का पहला मामला कौन सा था, यह आज भी रहस्य ही बना हुआ है।
वायरस की शक्ल
इस नए कोरोना वायरस के जेनेटिक ढांचे का पता तो चीनी वैज्ञानिकों ने रिकॉर्ड समय में लगा लिया था। 21 जनवरी को उन्होंने इस जानकारी को वैज्ञानिक जर्नल्स में प्रकाशित किया और तीन दिन बाद विस्तृत जानकारी भी दी। इसी के आधार पर दुनिया भर में वायरस को मारने के लिए टीके बनाने की मुहिम शुरू हुई है।
कैसी होगी वैक्सीन
कोरोना वायरस की सतह पर एस-2 नाम के प्रोटीन होते हैं जो इनसान के शेरी में प्रवेश करने के बाद सेल्स यानी कोशिकाओं से चिपक जाते हैं और संक्रमित व्यक्ति को बीमार करने के लिए जिम्मेदार होते हैं।
किसी भी तरह की वैक्सीन हो, उसका काम इस प्रोटीन को निष्क्रिय करना या किसी तरह ब्लॉक करना होगा। फिलवक्त, 6 से 18 महीने के बीच टीका आने की बात कही जा रही है। लेकिन अगर टीका इतनी बन भी जाए तो पूरी आबादी तक उन्हें पहुंचाने में भी वक्त लग जाएगा।
फिलहाल अलग अलग देशों में 160 वैक्सीन प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। टीबी की वैक्सीन को बेहतर बना कर इस्तेमाल लायक बनाने की कोशिश भी चल रही है।
भारत के सीरम इंस्टीट्यूट ने प्रोडक्शन की तैयारी कर ली है। इंतजार है तो सही फॉर्मूला मिल जाने का। जून 2020 के अंत तक पांच टीकों का ह्यूमन ट्रायल हो चुका है।
इंसानों पर टेस्ट का मकसद होता है यह पता करना कि इस तरह के टीके का इंसानों पर कोई बुरा असर तो नहीं होगा। हालांकि यह असर दिखने में भी काफी लंबा समय लग सकता है।