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उत्तराखंड का इतिहास: 20 साल में एक मुख्यमंत्री का कार्यकाल पूरा, रावत भी अब पीछे

इस प्रदेश को बसे हुई अभी बीस साल ही हुए हैं, लेकिन राज्य में मुख्यमंत्रियों का कार्यकाल पांच साल तक पूरा हो ही नहीं पाता। कार्यकाल पूरा होने से पहले ही उनको बदलने का एक रिवाज सा बना हुआ है। बीजेपी के शासनकाल में यह परंपरा सबसे ज्यादा देखने को मिली है। 

Shreya
Published on: 9 March 2021 2:16 PM IST
उत्तराखंड का इतिहास: 20 साल में एक मुख्यमंत्री का कार्यकाल पूरा, रावत भी अब पीछे
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ये बात  बेहद कम लोग ही जानते होंगे कि त्रिवेंद्र कई बार गिरफ्तार हुए और जेल भी गए। वे साल 1983 से 2002 तक आरएसएस के प्रचारक रहे हैं।

देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत आज राज्यपाल को अपना इस्तीफे सौंपेंगे। दरअसल, सीएम शाम चार बजे के आसपास राज्यपाल से मुलाकात करने वाले हैं, जिसके बाद उनके इस्तीफे को लेकर अटकलें और तेज हो गई हैं। हालांकि राज्य का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा इस बारे में अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है।

20 सालों में बने 11 मुख्यमंत्री!

आपको बता दें कि उत्तराखंड में एक अलग सा ही रिवाज बना हुआ है। दरअसल, इस प्रदेश को बसे हुई अभी बीस साल ही हुए हैं, लेकिन राज्य में मुख्यमंत्रियों का कार्यकाल पांच साल तक पूरा हो ही नहीं पाता। कार्यकाल पूरा होने से पहले ही उनको बदलने का एक रिवाज सा बना हुआ है। बीजेपी के शासनकाल में यह परंपरा सबसे ज्यादा देखने को मिली है।

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जानें कैसा रहा उत्तराखंड का इतिहास

अगर उत्तराखंड के इतिहास पर नजर डालें तो सबसे पहले साल 2000 में नित्यानंद स्वामी मुख्यमंत्री नियुक्त किए गए, लेकिन वो केवल एक साल तक ही इस कुर्सी पर विराजमान रह सके। क्योंकि उन्होंने अपना कार्यकाल 29 नवंबर, 2001 तक ही पूरा किया। उसके बाद प्रदेश को उसका नया मुख्यमंत्री मिला, 30 अक्टूबर 2001 जो कि थे भगत सिंह कोश्यारी।

bjp (फोटो- सोशल मीडिया)

उनका कार्यकाल तो केवल 122 दिन यानी करीब चार महीने तक ही रहा। दरअसल, यह अंतरिम विधानसभा थी। वहीं, जब उत्तराखंड दूसरी विधानसभा 2007 में बनी तो 7 मार्च 2007 को भाजपा की ओर से चंद्र खंडूरी को मुख्यमंत्री का पद भार दिया गया। खंडूरी का कार्यकाल भी केवल दो साल चार महीने तक ही चल सका। उसके बाद रमेश पोखरियाल को मुख्यमंत्री बना दिया गया।

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बीजेपी के पोखरियाल ने केवल दो साल तीन महीने तक ही पूरा कर पाए। जिसके बाद उनकी जगह पर फिर से भुवन चंद्र खंडूरी को उत्तराखंड का CM बनाया गया। हालांकि खंडूरी इस बार भी ज्यादा समय तक नहीं टिके, इस दौरान उनका कार्यकाल केवल छह महीने तक का ही रहा। दरअसल, BJP ने चुनाव से पहले नेतृत्व में फिर बदलाव कर दिया।

uttarakhand assembly (फोटो- सोशल मीडिया)

जब प्रदेश में लगाया गया राष्ट्रपति शासन

उसके बाद साल 2012 में उत्तराखंड में तीसरी बार विधानसभा चुनाव हुआ, जिसमें कांग्रेस ने जीत हासिल की और पार्टी की कद्दावर नेता विजय बहुगुणा को उत्तराखंड की कमान सौंपी गई। हालांकि वो भी दो साल तक ही इस पर रहीं और उनके बाद हरीश रावत को कांग्रेस ने उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बना दिया। वो भी दो साल दो महीने तक CM पद पर रहे, उसके बाद प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया।

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25 दिन तक राष्ट्रपित शासन लागू रहा, जिसके बाद 21 अप्रैल 2016 को फिर से उत्तराखंड को नया सीएम मिला, हरीश रावत के रूप में। लेकिन इस बार तो वो केवल एक ही दिन के लिए मुख्यमंत्री बने। उसके बाद फिर 19 दिन का राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। इसके बाद हरीश रावत एक बार फिर सीएम बने, इस बार उनका कार्यकाल एक साल तक रहा।

केवल इन्होंने पूरा किया अपना कार्यकाल

उत्तराखंड के इतिहास में केवल नारायण दत्त तिवारी ही ऐसे मुख्यमंत्री रहे, जिन्हें अपना कार्यकाल बिना किसी परेशानी के पूरा किया। नारायण दत्त तिवारी साल 2002 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री बने थे। वहीं, अगर त्रिवेंद्र रावत एक साल और पूरा कर लेते हैं तो वो राज्य के ऐसे दूसरे मुख्यमंत्री होंगे, जो अपना कार्यकाल बिना किसी फेरबदल के पूरा करेगा।

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