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जम्मू-कश्मीर: 25 देशों के प्रतिनिधि आज मिलेंगे उप राज्यपाल और मुख्य न्यायाधीश से

जम्मू कश्मीर के श्रीनगर में दो दिवसीय दौरे पर अलग-अलग देश के राजनयिक पहले दिन पहुंचे। जहां सबकी अलग-अलग प्रतिक्रियाएं मिलीं।

Roshni Khan
Published on: 13 Feb 2020 4:41 AM GMT
जम्मू-कश्मीर: 25 देशों के प्रतिनिधि आज मिलेंगे उप राज्यपाल और मुख्य न्यायाधीश से
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जम्मू-कश्मीर: 25 देशों के प्रतिनिधि आज मिलेंगे उप राज्यपाल और मुख्य न्यायाधीश से

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर के श्रीनगर में दो दिवसीय दौरे पर अलग-अलग देश के राजनयिक पहले दिन पहुंचे। जहां सबकी अलग-अलग प्रतिक्रियाएं मिलीं। कुछ ने कहा कि वह पर्यटक के तौर पर कश्मीर आए हैं। वैसे तो कुछ ने यहां महसूस की गई जमीनी स्थिति को बयान किया।

25 विदेशी राजनयिकों का एक प्रतिनिधिमंडल बुधवार को श्रीनगर पहुंचा। इस दौरान कुछ प्रतिनिधियों ने दौरों को लेकर अलग-अलग विचार रखे। ज्यादातर राजनयिकों ने मीडिया से दूरी बनाए रखना ही उचित समझा। प्रतिनिधिमंडल में शामिल डोमनीक रिपब्लिक, लैटिन अमेरिका के राजनयिक फ्रैंक हैंज डनेनबर्ग केस्टेलेनोस ने कहा कि वह यहां पर्यटक के तौर पर आए हैं। कश्मीर एक खूबसूरत जगह है इसलिए हम यहां आए।

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अफगानिस्तान के राजनयिक ताहिर काद्री ने कहा कि उन्होने एयरपोर्ट से आते समय बस्ते लेकर स्कूल जाते बच्चे दिखाई दिए, इसे देखकर सब कुछ ठीक लगा, और यह हालात सामान्य होने के संकेत हैं। उन्होने कश्मीर के लोगों की मेहमान नवाज़ी की तारीफ करते हुए कहाए श्हम अफगान मेहमान नवाज़ होने का दावा करते हैं लेकिन कश्मीरी भी मेहमान नवाज़ हैं।

उन्होंने कहा कि एक प्रतिनिधिमंडल के सदस्य ने उन्हें जानकारी देते हुए बताया कि भारत के 80 प्रतिशत सेब की पैदावार जम्मू कश्मीर से आती है। और इस कारण यहां निवेश की संभावना है। इसलिए वह अपने देशों को व्यापार के प्रोत्साहित करें। डल झील की खूबसूरती की तारीफ करते हुए उन्होंने तैरने वाली दुकान से एक कश्मीरी अंगूठी भी खरीदी।

सुरक्षा मे 2000 जवान तैनात

प्रतिनिधिमंडल के दौरे की वजह से श्रीनगर शहर के साथ-साथ उनके दौरे के रूट प्लान को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए थे। श्रीनगर अंतररष्ट्रीय हवाई अड्डे से गुपकार और फिर होटल ग्रैंड ललित वाले रूट पर 2000 तैनात किए गए थे। डल झील की तरफ जाने वाले सभी रास्तों और उसके आस पास के इलाकों में सुरक्षाबलों को सतर्कता बरतने के निर्देश जारी किए गए थे। डल झील में भी CRPF और जम्मू कश्मीर पुलिस की वॉटर विंग के जवान मोटर बोट्स में पेट्रोलिंग करते दिखाई दिये।

एक घंटे की शिकारा राइड

विदेशी राजनयिकों ने स्थानीय प्रतिनिधिमंडलों से मिलने से पूर्व विश्व प्रसिद्ध डल झील में शिकारा राइड का आनंद लिया। राजनयिक नेहरू पार्क से अलग-अलग शिकारे में बैठे और करीब एक घंटे में ललित घाट पहुंचे। इस दौरान मोटर बोट्स में सुरक्षा कर्मी इन्हें एस्कॉर्ट करते दिखाई दिए। कुछ राजनयिकों ने शिकारा राइड के दौरान शिकारा में तैरती दुकानों में बिकने वाली चीज़ें भी खरीदी। उन्हें चार चिनारी और डल में स्थित मीना बाज़ार भी ले जाया गया।

पत्रकारों के दल से मिले

पत्रकारों के एक प्रतिनिधि मंडल ने इंटरनेट सुविधा के अभाव में पेश आने वाली दिक्कतों से विदेशी राजनयिकों के प्रतिनिधिमंडल को कराया गया अवगत। 12 सदस्यीय पत्रकारों के दल ने उनके सामने जमीनी हकीकत रखी।

विदेशी राजनयिक मिलेंगे उप राज्यपाल और मुख्य न्यायाधीश से

25 विदेशी राजनयिकों को आज राज्य के सुरक्षा हालात से अवगत कराया जाएगा। राजनयिकों की आज जम्मू-कश्मीर के मुख्य न्यायाधीश, उप राज्यपाल, जिला प्रशासन के अधिकारियों और सिविल सोसायटी के लोगों से मुलाकात भी होनी है।

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किसी भारतीय के जम्मू-कश्मीर जाने पर रोक नहीं: रेड्डी

गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने मंगलवार को सदन को बताया कि किसी भी भारतीय नागरिक के जम्मू-कश्मीर जाने पर किसी भी तरह का प्रतिबंध नहीं है। उनसे सवाल पूछा गया था कि सरकार भारतीय प्रतिनिधियों को जम्मू-कश्मीर जाने की मंजूरी कब देगी। जवाब में रेड्डी ने बताया कि ऐसी कोई रोक ही नहीं है। इसी क्रम में उन्होंने बताया कि 15 देशों के प्रमुखों ने 9 से 10 जनवरी के बीच जम्मू-कश्मीर की यात्रा की थी। इन देशों में अर्जेंटीना, बांग्लादेश, फिजी, गुयाना, मालदीव, मोरक्को, नाइजर, नाइजीरिया, नॉर्वे, फिलीपींस, पेरू, दक्षिण कोरिया, टोगो, अमेरिका और वियतनाम शामिल हैं।

गृह राज्यमंत्री ने लोकसभा में बताया देश में खास तौर पर जम्मू-कश्मीर में किसी प्रकार के डिरेडिकलाइजेशन शिविर के अस्तित्व की सूचना नहीं है। इससे पहले कश्मीर में डिरेडिकलाइजेशन सेंटर के विचार का जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने स्वागत किया था। सिंह ने ये बयान चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ जनरल बिपिन रावत के सुझाव पर दिया था। सिंह ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के कारगर मुकाबला करने के लिए विशेषज्ञों और सिविल सोसाइटी के सदस्यों को हाथ मिलाने की जरूरत है।

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