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26/11 की 10वीं बरसी: धीमी कार्रवाई को लेकर भारत ने पाक को लगाई फटकार

मुंबई में हुए 26/11 आतंकी हमले की 10वीं बरसी पर भारत ने पाकिस्तान को हमले के साजिशकर्ता और इससे जुड़े अन्य आतंकियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई न करने को लेकर फटकार लगाई है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि जिन लोगों ने 166 लोगों को मौत के घाट के उतारा है, वे अब भी खुले घूम रहे हैं।

Rishi
Published on: 26 Nov 2018 1:40 PM GMT
26/11 की 10वीं बरसी: धीमी कार्रवाई को लेकर भारत ने पाक को लगाई फटकार
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नई दिल्ली : मुंबई में हुए 26/11 आतंकी हमले की 10वीं बरसी पर भारत ने पाकिस्तान को हमले के साजिशकर्ता और इससे जुड़े अन्य आतंकियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई न करने को लेकर फटकार लगाई है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि जिन लोगों ने 166 लोगों को मौत के घाट के उतारा है, वे अब भी खुले घूम रहे हैं। 26/11 की साजिश रचने वाले अब भी पाकिस्तान में बेखौफ घूम रहे हैं।

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विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान के पूर्व पीएम ने भी इस बात को स्वीकार किया था कि इस हमले को अंजाम देने वाले आतंकी पाकिस्तान की जमीन से भेजे गए थे। हम कई बार इस भयंकर हमले को अंजाम देने वाले लोगों को न्याय के कटघरे में खड़ा करने की मांग कर चुके हैं।



ये है 26/11 का पूरा घटनाक्रम:-

1. नाव से कराची के रास्ते मुंबई में घुसे: मुंबई हमलों की छानबीन से जो कुछ सामने आया है, वह बताता है कि 10 हमलावर कराची से नाव के रास्ते मुंबई में घुसे थे। इस नाव पर चार भारतीय सवार थे, जिन्हें किनारे तक पहुंचते-पहुंचते ख़त्म कर दिया गया। रात के तक़रीबन आठ बजे थे, जब ये हमलावर कोलाबा के पास कफ़ परेड के मछली बाज़ार पर उतरे। वहां से वे चार ग्रुपों में बंट गए और टैक्सी लेकर अपनी मंज़िलों का रूख किया।



2. मछुवारों को था शक: कहते हैं कि इन लोगों की आपाधापी को देखकर कुछ मछुवारों को शक भी हुआ और उन्होंने पुलिस को जानकारी भी दी। लेकिन इलाक़े की पुलिस ने इस पर कोई ख़ास तवज्जो नहीं दी और न ही आगे बड़े अधिकारियों या खुफिया बलों को जानकारी दी।

3. दो हमलावरों ने उतार दिया था 52 लोगों को मौत के घाट: रात के तक़रीबन साढ़े नौ बजे मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनल पर गोलीबारी की ख़बर मिली। मुंबई के इस ऐतिहासिक रेलवे स्टेशन के मेन हॉल में दो हमलावर घुसे और अंधाधुंध फ़ायरिंग शुरू कर दी। इनमें एक मुहम्मद अजमल क़साब था जिसे अब फांसी दी जा चुकी है। दोनों के हाथ में एके47 राइफलें थीं और पंद्रह मिनट में ही उन्होंने 52 लोगों को मौत के घाट उतार दिया और 109 को ज़ख़्मी कर दिया।

4. मुंबई में कई जगह हुई थी गोलीबारी: लेकिन आतंक का यह खेल सिर्फ शिवाजी टर्मिनल तक सीमित न था। दक्षिणी मुंबई का लियोपोल्ड कैफे भी उन चंद जगहों में से एक था जो तीन दिन तक चले इस हमले के शुरुआती निशाने थे। यह मुंबई के नामचीन रेस्त्रांओं में से एक है, इसलिए वहां हुई गोलीबारी में मारे गए 10 लोगों में कई विदेशी भी शामिल थे जबकि बहुत से घायल भी हुए।



1871 से मेहमानों की ख़ातिरदारी कर रहे लियोपोल्ड कैफे की दीवारों में धंसी गोलियां हमले के निशान छोड़ गईं। 10:40 बजे विले पारले इलाके में एक टैक्सी को बम से उड़ाने की खबर मिली जिसमें ड्राइवर और एक यात्री मारा गया, तो इससे पंद्रह बीस मिनट पहले बोरीबंदर में इसी तरह के धमाके में एक टैक्सी ड्राइवर और दो यात्रियों की जानें जा चुकी थीं। तकरीबन 15 घायल भी हुए।

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5. 26/11 के तीन बड़े मोर्चे : लेकिन आतंक की कहानी यही खत्म हो जाती तो शायद दुनिया मुंबई हमलों से उतना न दहलती। 26/11 के तीन बड़े मोर्चे थे मुंबई का ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल और नरीमन हाउस। जब हमला हुआ तो ताज में 450 और ओबेरॉय में 380 मेहमान मौजूद थे। खासतौर से ताज होटल की इमारत से निकलता धुंआ तो बाद में हमलों की पहचान बन गया।



6. लाइव मीडिया कवरेज से आतंकियों को मिली मदद: हमलों की अगली सुबह यानी 27 नवंबर को खबर आई कि ताज से सभी बंधकों को छुड़ा लिया गया है, लेकिन जैसे-जैसे दिन चढ़ा तो पता चला हमलावरों ने कुछ और लोगों को अभी बंधक बना रखा है जिनमें कई विदेशी भी शामिल हैं। हमलों के दौरान दोनों ही होटल रैपिड एक्शन फोर्ड (आरपीएफ़), मैरीन कमांडो और नेशनल सिक्युरिटी गार्ड (एनएसजी) कमांडो से घिरे रहे। एक तो एनएसजी कमांडो के देर से पहुंचने के लिए सुरक्षा तंत्र की खिंचाई हुई तो हमलों की लाइव मीडिया कवरेज ने भी आतंकवादियों की ख़ासी मदद की। कहां क्या हो रहा है, सब उन्हें अंदर टीवी पर दिख रहा था।

7. लगातार 3 दिन तक आतंकियों से जूझते रहे सुरक्षा बल : तीन दिन तक सुरक्षा बल आतंकवादियों से जूझते रहे. इस दौरान, धमाके हुए, आग लगी, गोलियां चली और बंधकों को लेकर उम्मीद टूटती जुड़ती रही और ना सिर्फ भारत से सवा अरब लोगों की बल्कि दुनिया भर की नज़रें ताज, ओबेरॉय और नरीमन हाउस पर टिकी रहीं।

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8. हमले के वक्त होटल में कई लोग थे मौजूद : हमले के वक्त ताज में अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर यूरोपीय संघ की संसदीय समिति के कई सदस्य भी शामिल थे, हालांकि इनमें से किसी को कोई नुकसान नहीं हुआ। हमलों की जब शुरुआत हुई तो यूरोपीय संसद के ब्रिटिश सदस्य सज्जाद करीम ताज की लॉबी में थे तो जर्मन सांसद एरिका मान को अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर छिपना पड़ा। ओबेरॉय में मौजूद लोगों में भी कई जाने माने लोग थे। इनमें भारतीय सांसद एनएन कृष्णादास भी शामिल थे जो ब्रिटेन के जाने माने कारोबारी सर गुलाम नून के साथ डिनर कर रहे थे।



9. हमलावरों ने नरीमन पॉइंट को भी कब्जे में कर लिया था : उधर, दो हमलावरों ने मुंबई में यहूदियों के मुख्य केंद्र नरीमन पॉइंट को भी कब्ज़े में ले रखा था। कई लोगों को बंधक बनाया गया। फिर एनएसजी के कमांडोज़ ने नरीमन हाउस पर धावा बोला और घंटों चली लड़ाई के बाद हमलावरों का सफ़ाया किया गया लेकिन एक एनएसजी कमांडो की भी जान गई।

हमलावरों ने इससे पहले ही रब्बी गैव्रिएल होल्ट्जबर्ग और छह महीने की उनकी गर्भवती पत्नी रिवकाह होल्ट्जबर्ग समेत कई लोगों को मौत के घाट उतार दिया। बाद में सुरक्षा बलों को वहां से कुल छह बंधकों की लाशें मिली।



10. 160 से ज्यादा लोगों की जानें चली गईं : 29 नवंबर की सुबह तक नौ हमलावरों का सफाया हो चुका था और अजमल क़साब के तौर पर एक हमलावर पुलिस की गिरफ्त में था। स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में आ चुकी थी लेकिन लगभग 160 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी थी।

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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