TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

2G केस: जवाब देने में देरी होने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने 15 हजार पेड़ लगाने का दिया आदेश

दिल्ली हाईकोर्ट ने 2जी मामले में आरोपितों को सजा के तौर पर 15 हजार पेड़ लगाने का आदेश दिया है। दरअसल, 2जी मामले में इन्हें अदालत ने बरी कर दिया था।

Aditya Mishra
Published on: 7 Feb 2019 3:14 PM IST
2G केस: जवाब देने में देरी होने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने 15 हजार पेड़ लगाने का दिया आदेश
X

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने 2जी मामले में आरोपितों को सजा के तौर पर 15 हजार पेड़ लगाने का आदेश दिया है। दरअसल, 2जी मामले में इन्हें अदालत ने बरी कर दिया था। प्रवर्तन निदेशालय ने कोर्ट के इस फैसले को चुनौती दी थी। बृहस्पतिवार को सुनवाई के दौरान नाराज दिल्ली हाई कोर्ट ने जवाब देने पर देरी पर सजा सुनाते हुए सभी आरोपितों से कहा कि वे दक्षिण दिल्ली के रिज एरिया में 15 हजार पेड़ लगाएं।

यहां पर बता दें कि कोर्ट ने जिन आरोपितों को पेड़ लगाने की सजा सुनाई है, उनमें इस मामले में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा और डीएमके प्रमुख एम. करुणानिधि की बेटी और राज्यसभा सांसद कनिमोझी शामिल नहीं हैं।

मालूम हो कि देश के सबसे बड़े 2जी घोटाले में सीबीआई की विशेष अदालत ने दिसंबर, 2018 में सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। जज ने एक लाइन में अपना फैसला सुनाया था। जज ओ. पी. सैनी ने कहा था कि अभियोजन पक्ष मामले को साबित करने में नाकाम रहा।

ये भी पढ़ें...सर्वोच्च न्यायालय और सीबीआई अदालत में दायर 2जी मामले अलग : जी. एस. सिंघवी

26 मार्च को होगी अगली सुनवाई

1.गुरुवार को मामले में सुनवाई करते हुए जस्टिस नजमी वजीरी ने याचिकाकर्ताओं को साउथ दिल्ली में 15 हजार पेड़ लगाने का आदेश दिया। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 26 मार्च की तारीख दी है।

2.कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा है कि वे पेड़ लगाने के लिए 15 फरवरी तक स्थानीय वन अधिकारियों से संपर्क करें। जस्टिस वजीरी ने सभी याचिकाकर्ताओं को जवाब देने के लिए आखिरी मौका दिया है।

3.कोर्ट ने मामले में स्वान टेलिकॉम प्राइवेट लिमिटेड के प्रमोटर शाहिद बलवा, कुसेगांव फ्रूट्स एंड वेजिटेबल्स प्रा. लि. के डायरेक्टर राजीव अग्रवाल के अलावा तीन कंपनियों फर्म्स डायनामिक रियलिटि, डीबी रियलिटि लिमिटेड और निहार कंस्ट्रक्शन प्रा. लि. को यह 15 हजार पेड़ लगाने का आदेश दिया है।

4.पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा और द्रमुक सांसद कनिमोझी समेत दो व्यक्तियों और तीन कंपनियों को ईडी के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ट्रायल कोर्ट ने बरी कर दिया था।

क्या है 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला?

2010 में आई एक सीएजी रिपोर्ट में 2008 में बांटे गए स्पेक्ट्रम पर सवाल उठाए गए थे। इसमें बताया गया था कि स्पेक्ट्रम की नीलामी के बजाए 'पहले आओ, पहले पाओ' के आधार पर इसे बांटा गया था। इससे सरकार को एक लाख 76 हजार करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। इसमें इस बात का जिक्र था कि नीलामी के आधार पर लाइसेंस बांटे जाते तो यह रकम सरकार के खजाने में जाती। दिसंबर 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में विशेष अदालत बनाने पर विचार करने को कहा था।

2011 में पहली बार स्पेक्ट्रम घोटाला सामने आने के बाद अदालत ने इसमें 17 आरोपियों को शुरुआती दोषी मानकर 6 महीने की सजा सुनाई थी। इस घोटाले से जुड़े केस में एस्सार ग्रुप के प्रमोटर रविकांत रुइया, अंशुमान रुइया, लूप टेलीकॉम के प्रमोटर किरण खेतान उनके पति आई पी खेतान और एस्सार ग्रुप के निदेशक विकास सरफ भी आरोपी हैं।

ये भी पढ़ें...नई दिल्ली: स्वामी का आरोप-2जी केस में गंभीरता से काम नहीं हुआ

जानिए 2 जी घोटाले में कब क्या हुआ

16 मई 2007: डीएमके नेता ए राजा को दूसरी बार दूरसंचार मंत्री नियुक्त किया गया।

25 अक्तूबर 2007: केंद्र सरकार ने मोबाइल सेवाओं के लिए टू-जी स्पेक्ट्रम की नीलामी की संभावनाओं को खारिज किया।

सितम्बर-अक्तूबर 2008: दूरसंचार कंपनियों को स्पेक्ट्रम लाइसेंस दिए गए।

15 नवंबर 2008: केंद्रीय सतर्कता आयोग ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में खामियां पाईं और दूरसंचार मंत्रालय के कुछ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की।

21 अक्तूबर 2009: सीबीआई ने टू-जी स्पेक्ट्रम मामले की जांच के लिए मामला दर्ज किया।22 अक्तूबर 2009: मामले के सिलसिले में सीबीआई ने दूरसंचार विभाग के कार्यालयों पर छापेमारी की।

17 अक्तूबर 2010: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने दूसरी पीढ़ी के मोबाइल फोन का लाइसेंस देने में दूरसंचार विभाग को कई नीतियों के उल्लंघन का दोषी पाया।

नवंबर 2010: दूरसंचार मंत्री ए राजा को हटाने की मांग को लेकर विपक्ष ने संसद की कार्यवाही ठप की।

14 नवम्बर 2010: राजा ने इस्तीफा दिया।

15 नवम्बर 2010: मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल को दूरसंचार मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया।

नवम्बर 2010: टू जी स्पेक्ट्रम आवंटन की जांच के लिए जेपीसी गठित करने की मांग को लेकर संसद में गतिरोध जारी रहा।

13 दिसम्बर 2010: दूरसंचार विभाग ने उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश शिवराज वी पाटिल समिति को स्पेक्ट्रम आवंटन के नियमों एवं नीतियों को देखने के लिए अधिसूचित किया. इसे दूरसंचार मंत्री को रिपोर्ट सौंपने को कहा गया।

24 और 25 दिसम्बर 2010: राजा से सीबीआई ने पूछताछ की।

31 जनवरी 2011: राजा से सीबीआई ने तीसरी बार फिर पूछताछ की। एक सदस्यीय पाटिल समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी।

2 फरवरी 2011: टू-जी स्पेक्ट्रम मामले में राजा, पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा और राजा के पूर्व निजी सचिव आर के चंदोलिया को सीबीआई ने गिरफ्तार किया।

21 दिसबंर 2017: पटियाला हाऊस कोर्ट स्थित सीबीआइ की विशेष अदालत ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में सभी आरोपीयों को बरी किया।

ये भी पढ़ें...CBI में ताबड़तोड़ तबादले, 2जी केस के इन-चार्ज समेत 20 अधिकारी शामिल



\
Aditya Mishra

Aditya Mishra

Next Story