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50 साल पहले जब ‘अपोलो 11’ ने रखा था चांद पर कदम...
चांद पर पहली बार कदम रखने वाले अमेरिका के ‘अपोलो 11’ अभियान के रोमांचक और दिलचस्प किस्से अभियान के 50 साल बाद भी याद किये जाते हैं।
अंतरिक्ष विज्ञान के इतिहास में 20 जुलाई 1969 का वह दिन बेहद अहम दिन होने वाला था, तभी अचानक ह्यूस्टन स्थित मिशन के नियंत्रण से यान का रेडियो संपर्क टूट गया।
यान में एडविन ‘‘बज’’ आल्ड्रिन और मिशन कमांडर नील आर्मस्ट्रांग मौजूद थे। यान का लूनर मॉड्यूल ‘ईगल’ आधा रास्ता तय कर चांद पर उतरने ही वाला था कि तभी यान में खतरे की घंटी बज उठी।
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‘ईगल’ यान के मुख्य हिस्से कमांड मॉड्यूल ‘कोलंबिया’ से दो घंटे पहले ही अलग हो चुका था जिसमें चालक दल के तीसरे सदस्य माइकल कोलिंस मौजूद थे।
बेहद प्रतिभाशाली टेस्ट पायलट और एयरोनॉटिकल इंजीनियर रहे आर्मस्ट्रांग के लिये यह बहुत तनावपूर्ण समय था, जो बहुत कम बोलने के लिये मशहूर थे।
उनके नीचे चंद्रमा के क्रेटर (गड्ढे) बड़ी तेजी से घूम रहे थे। आर्मस्ट्रांग ने सोचा कि इस तरह से तो वो लोग तय जगह से मीलों दूर उतरेंगे।
उन्होंने तुरंत नयी जगह तलाश करनी शुरू कर दी, लेकिन उपयुक्त स्थान तलाश करने में उन्हें मुश्किल हो रही थी।
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उन्होंने आल्ड्रिन से कहा, ‘‘बहुत चट्टानी क्षेत्र है।’’
आल्ड्रिन कम्प्यूटर पर उन्हें लगातार यान की गति और ऊंचाई का माप बता रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘हम अच्छी तरह से नीचे आ रहे हैं।’’
आर्मस्ट्रांग ने पूछा, ‘‘क्या इस क्रेटर पर उतरना सही होगा?’’
इस बीच यान का ईंधन भी तेजी से कम हो रहा था।
समय निकलता जा रहा था और ह्यूस्टन से लगातार ईंधन की खपत संदेश भेजे जा रहे थे। अंतत: वहां से संदेश भेजा गया, ‘‘मात्र 30 सेकंड बचे’’ हैं। दरअसल, 20 सेकंड शेष रहने पर या तो ‘ईगल’ को चांद पर कदम रखता या फिर उसे अपना मिशन खत्म करना पड़ता।
आर्मस्ट्रांग शांत भाव से ध्यान केंद्रित करते हुए अपने समूचे अनुभव का इस्तेमाल कर रहे थे कि तभी आल्ड्रिन की आवाज आयी, ‘‘कॉन्टैक्ट लाइट’’, जिसका अर्थ था यान के पहिये के फुट सेंसर ने चांद की सतह को छू लिया था। इंजन भी बंद हो चुका था।
आर्मस्ट्रांग ने संदेश ह्यूस्टन, ट्रांक्यूलिटी बेस को संदेश भेजा, ‘‘ईगल चांद पर कदम रख चुका है...’’ और इस तरह इतिहास के पन्नों में इन तीन वैज्ञानिकों का नाम दर्ज हो गया।
(एएफपी)
वॉशिंगटन : चांद पर पहली बार कदम रखने वाले अमेरिका के ‘अपोलो 11’ अभियान के रोमांचक और दिलचस्प किस्से अभियान के 50 साल बाद भी याद किये जाते हैं। ‘अपोलो 11’ यूं तो योजना मुताबिक चंद्रमा की यात्रा पर निकला था, लेकिन यान के चांद पर कदम रखने से पहले के वो 20 मिनट बड़े तनावपूर्ण थे क्योंकि यान के दल को एक साथ कई समस्याओं का सामना करना पड़ा था।