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सुप्रीम कोर्ट भी उलझ गया शादी और लिव इन रिलेशन के पेंचीदा मामले में
नई दिल्ली: दो अव्यस्क की शादी और उनके अब 'लिव इन' में रहने के मामले को लेकर देश का सर्वोच्च न्यायालय उलझ गया है। 20 साल की उम्र में प्रेम विवाह करने वाले एक युवक ने खुद को वयस्क होने के मौलिक अधिकार से जोड़कर सुप्रीम कोर्ट को असमंजस में डाल दिया है।
हिंदू मैरिज एक्ट में शादी के लिए लड़के की उम्र 21 व लड़की की 18 साल होना आवश्यक है। सुप्रीम कोर्ट के सामने इसी मसले से जुड़ा एक ऐसा अजीबोगरीब मामला आया है। इस मामले में 18 बरस पार कर चुकी लड़की के साथ रहने को 20 साल के उसके प्रेमी ने इस रिश्ते को इस आधार पर सही ठहराया है कि वह वयस्क हो चुका है और इस उम्र में मौलिक अधिकारों के तहत दोनों आपसी रंजामंदी से साथ रह सकते हैं इस पर कोई रोक नहीं लगाई जा सकती।
सुप्रीम कोर्ट भी असमंजस में
सुप्रीम कोर्ट इस बात को लेकर असमंजस में है कि शादी की उम्र में आ चुकी लड़की को स्वेच्छा से किसी युवक जिससे वह शादी कर चुकी है, के साथ रहने से कैसे वंचित किया जाएगा? क्या वाकई इससे किसी नागरिक के मौलिक अधिकार का अतिक्रमण हो रहा है?
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केरल सरकार और लड़की के माता-पिता को नोटिस
हिंदू युवक नंद कुमार की याचिका के बाद देश की सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में मौलिक अधिकार के दृष्टिकोण से लिव इन रिलेशन के मुद्दे को बीच में रखते हुए केरल सरकार और युवक से शादी करने वाली लड़की के माता-पिता को नोटिस जारी किए हैं।
लड़की के पिता ने बताया था शादी अवैध
केरल की 19 बरस की तुशारा के पिता ने केरल हाईकोर्ट में इस बात की याचिका दायर की थी कि उनकी बेटी से शादी करने वाला युवक कानूनन शादी की उम्र तक नहीं पहुंचा है। ऐसी सूरत में दोनों की शादी अवैध है। लड़की के पिता बीनू कुमार ने पुलिस में पिछले 10 अप्रैल को अपनी बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज करा दी थी। मामला जब सुनवाई के लिए आया तो लड़के की कम उम्र को देखते हुए केरल हाईकोर्ट ने लड़की को उसके माता-पिता के घर भेजने का आदेश दे दिया।
मंदिर में गुपचुप की थी शादी
बता दें, कि युवा जोड़ों ने घर वालों की मर्जी के खिलाफ 12 अप्रैल को तिरुवनंतपुरम के एक मंदिर में गुपचुप शादी रचा ली थी। बाद में पुलिस ने लड़के के अवयस्क होने की स्थिति में लड़की के पिता की शिकायत के बाद दोनों को केरल हाईकोर्ट में पेश किया था। हाईकोर्ट ने लड़के की कम आयु के आधार पर शादी करने के कदम को गैर कानून करार देकर लड़की को उसके माता-पिता के सुपुर्द कर दिया।
याचिका में ये कहा गया है
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एके सीकरी व अशोक भूषण के सामने पेश याचिका में केरल हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए कहा गया, कि 'हाईकोर्ट ने युवक नंद कुमार की 18 बरस की आयु पूरी करने के आधार को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया। जबकि ऐसे किन्हीं भी दो अजनबी लोगों को मौलिक अधिकार के तहत एक-दूसरे के साथ रहने के हक से वंचित नहीं किया जा सकता। केरल हाईकोर्ट के आदेश में कहा गया है कि वयस्क लड़की से शादी करने वाला युवक नंद कुमार 30 मई 2018 को 21 बरस की आयु पूरी करेगा, लिहाजा उनकी शादी गैरकानूनी है।'