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Maharashtra: आदित्य ठाकरे ने शिंदे सरकार को बताया अवैध और असंवैधानिक, बागी नेताओं को वापस आने का दिया संदेश

Maharashtra Politics: शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने पार्टी के बागी नेताओं को एकबार फिर से पार्टी में आने का संदेश दिया है।

Krishna Chaudhary
Published on: 24 July 2022 1:15 PM IST
aditya Thackeray
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आदित्य ठाकरे (photo: social media ) 

Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में सत्ता की लड़ाई गंवाने वाला ठाकरे परिवार अब किसी तरह से पार्टी (शिवसेना) को बचाने की कवायद में लगा हुआ है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (CM Eknath Shinde) गुट को मजबूत होता देख ठाकरे परिवार के तेवर नरम पड़ते नजर आ रहे हैं। यही वजह है कि शिवसेना (Shiv sena) प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के बेटे आदित्य ठाकरे (Aditya Thackeray) ने पार्टी के बागी नेताओं को एकबार फिर से पार्टी में आने का संदेश दिया है। पूर्व मंत्री और विधायक आदित्य ठाकरे ने कहा कि जो लोग पार्टी छोड़कर गए हैं, यदि वह वापस आना चाहते हैं तो उनका स्वागत है।

हालांकि, इस दौरान वह बागी गुट के नेता और राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर हमलावर रहे। उन्होंने शिंदे सरकार को अवैध और असंवैधानिक करार दिया है। ज्ञात हो कि एकनाथ शिंदे के बगावत के कारण उद्धव ठाकरे की सरकार चली गई थी। बाद में बीजेपी के मदद से वह खुद सीएम बने। उद्धव ठाकरे ने शिंदे को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाते हुए सभी पदों से मुक्त कर दिया है। लेकिन एकनाथ शिंदे का कहना है कि उन्हीं का गुट असली शिवसेना है।

शिंदे गुट को अधिकतर सांसदों और विधायकों का समर्थन

शिंदे गुट के पास पार्टी के 55 में से 40 विधायकों और 18 लोकसभा सांसदों में से 12 सांसदों का समर्थन है। मुंबई मेट्रोपोलिटन एरिया की महानगरपालिकाओं से बड़ी संख्या में कॉर्पोरेटर भी शिंदे का समर्थन करने का ऐलान कर चुके हैं। इसके अलावा रामदास कदम जैसे कई अन्य वरिष्ठ शिवसैनिक भी उद्धव का साथ छोड़ शिंदे कैंप में शामिल हो चुके हैं। यही वजह है कि ठाकरे परिवार अब केवल सीएम एकनाथ शिंदे और उनके करीबी नेताओं पर निशाने साध रहा है और अन्य बागी नेताओं की पार्टी में फिर से वापसी की कोशिश कर रहा है।

1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई

दोनों गुटों के बीच शिवसेना पर कब्जे की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुकी है। 1 अगस्त को मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की बेंच इस मामले पर सुनवाई करेगी। अदालत के फैसले के बाद ही शिवसेना पर फैसला होगा। शिंदे गुट को अगर कोर्ट से राहत मिलती है तो वह चुनाव आयोग के पास जाएगी। हालांकि शिवसेना पर कब्जा इतना आसान भी नहीं है। इसकी वजह पार्टी का सांगठनिक स्ट्रक्चर है। शिवसेना के संविधान के अनुसार, शिवसेना प्रमुख के बाद 13 सदस्यों की कार्यकारी समिति पार्टी को लेकर कोई निर्णय ले सकती है। राष्ट्रीय कार्यकारी समिति में अधिकतर नेता ऐसे हैं जो अभी भी उद्धव ठाकरे के वफादार हैं।



Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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