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क्या AAP बन रही है 'तीसरा विकल्प'? बीजेपी-कांग्रेस के बाद अब राष्ट्रीय फलक पर चमकने को तैयार
AAP National Party: आम आदमी पार्टी के बेहतरीन प्रदर्शन ने उसे बीजेपी और कांग्रेस के विकल्प के तौर पर पेश किया है। लेकिन, ये सवाल कितना वाजिब है? पढ़ें यहां..
AAP National Party: देश की राजनीति लंबे समय तक कांग्रेस के इर्द-गिर्द ही घूमती रही। हालांकि, इस बीच कई छोटे-बड़े प्रयास होते रहे मगर कोई कांग्रेस का विकल्प मजबूत विकल्प नहीं बन पाया। 80 के दशक में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने भारतीय राजनीति में पदार्पण किया और आज केंद्र सहित कई राज्यों में उसकी सरकार है। अरसे बीत जाने के बाद भी किसी क्षेत्रीय क्षत्रप ने वो हिम्मत नहीं दिखाई जो इन दोनों पार्टियों को टक्कर दे सके या उनका 'विकल्प' बने। मगर, हालिया चुनाव परिणामों से लगता है कि आम आदमी पार्टी (AAP) कांग्रेस और बीजेपी का विकल्प बनने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है।
गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव हो या दिल्ली नगर निकाय चुनाव के नतीजे AAP का प्रदर्शन बेहतर रहा है। AAP की तरफ लोगों का बढ़ता रुझान राजनीतिक विशेषज्ञों को भी चौंका गया। चुनाव के रिजल्ट बताते हैं कि, AAP देश की दोनों बड़ी पार्टियों के समक्ष चुनौती पेश कर रही है। गुजरात में बीजेपी लगातार 7वीं बार सरकार बनाने में सफल रही। वहीं, हिमाचल प्रदेश में हर 5 साल में सत्ता बदलने का 'रिवाज' कायम रहा। पहाड़ी राज्य में कांग्रेस सत्ता में वापस लौटने में सफल रही। इन दोनों राज्यों में आम आदमी पार्टी (AAP) कुछ खास करामात नहीं कर पाई, लेकिन लोगों का दिल जीतने में कामयाब जरूर रही। हालांकि, MCD चुनाव में AAP की बल्ले-बल्ले रही।
AAP ने सीटें कम,..मगर दिल जीता
दिल्ली नगर निकाय चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) ने बेहतरीन प्रदर्शन किया। AAP ने यहां 15 साल से MCD की सत्ता में काबिज बीजेपी को उखाड़ फेंका। हिमाचल प्रदेश में भले ही आप को एक भी सीट नहीं मिली। लेकिन, गुजरात में पार्टी के 5 विधायक जीतने में जरूर सफल रहे। आम आदमी पार्टी को जीत भले ही न मिली हो लेकिन उसने दोनों ही राज्यों में अपनी उपस्थिति के संकेत तो दे ही दिए हैं।
AAP बनी National Party
इन चुनावों में सबसे बड़ी बात ये रही कि AAP को अब 'राष्ट्रीय पार्टी' (AAP National Party) का दर्जा हासिल हुआ। बता दें कि, निर्वाचन आयोग ने अभी तक भारतीय जनता पार्टी (BJP), कांग्रेस (Congress), तृणमूल कांग्रेस (TMC), बहुजन समाज पार्टी (BSP), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPI-M), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और नेशनल पीपुल्स पार्टी (National People's Party) को राष्ट्रीय दल की मान्यता दी है। अब इस कतार में आम आदमी पार्टी भी शामिल हो गई है।
इन राज्यों में 'स्टेट पार्टी' है AAP
आम आदमी पार्टी (AAP) तीन राज्यों में राज्य पार्टी का दर्जा हासिल किए हुए है। ये राज्य हैं दिल्ली, पंजाब और गोवा। इनमें दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार भी है। आपको बता दें, किसी भी दल को 'राज्य पार्टी' बनने के लिए विधानसभा चुनाव में कम से कम 6 प्रतिशत वोट और विधानसभा की 2 सीटें होना अनिवार्य है। इसी नियम के तहत AAP ने गुजरात में करीब 13 फीसदी वोट और 5 सीटें जीतकर स्टेट पार्टी का दर्जा हासिल कर चुकी है।
क्या AAP बन सकती है कांग्रेस-बीजेपी का 'विकल्प'?
अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (AAP) के लगातार बेहतर प्रदर्शन के बाद अब बड़ा सवाल ये है कि क्या AAP कांग्रेस और बीजेपी के बाद 'तीसरा विकल्प' बन सकती है। गुजरात में AAP के प्रदर्शन ने उसे राज्य में स्टेट पार्टी का दर्जा दिलाया। आम आदमी पार्टी को गुजरात में 12.92 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए हैं। यहां AAP की तारीफ इसलिए भी होनी चाहिए कि एक ऐसा दल जिसकी स्थापना महज 10 साल पहले हुई थी, आज वो राष्ट्रीय फलक पर चमक रहा है। खास बात ये भी है कि, AAP किसी अन्य पार्टी से अलग होकर भी नहीं बनी है। इस पार्टी की स्थापना के समय से ही ऐसे लोग जुड़े हैं जो सीधे-सीधे राजनीति से कोई वास्ता नहीं रखते थे। बावजूद आम आदमी पार्टी ने लिए राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा इतनी जल्दी हासिल कर लिया, ये कम छोटी उपलब्धि नहीं है।
पिछले 25 वर्षों की राजनीति पर नजर डालें तो ऐसा पहली बार हुआ है, जब गुजरात ने वास्तविक तौर पर 'तीसरी' शक्ति को भरते देखा है। इससे पहले कांग्रेस और भाजपा के अलावा तीसरी पार्टी जो गुजरात के लिए एक 'विकल्प' थी वो शंकर सिंह वाघेला की राष्ट्रीय जनता पार्टी (Rashtriya Janata Party) थी। RJP को 1998 के विधानसभा चुनाव में करीब 12 फीसदी वोट और 4 सीटें हासिल हुई थीं। यहां ये बात जानना आवश्यक है कि तब ये पार्टी बीजेपी से टूट कर बनी थी।
क्या कांग्रेस का विकल्प बन रही है 'AAP'
आम आदमी पार्टी (AAP) को लेकर ये बात तेजी से हो रही कि, क्या ये कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दलों पार्टी का विकल्प बनने जा रही है। AAP का जहां-जहां उदय हुआ है वहां उसने बीजेपी से अधिक कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया है। पिछले रिकॉर्ड पर नजर डालें तो दिल्ली में साल 2013, 2015 और 2020 विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का वोट शेयर तेजी से आगे बढ़ा। AAP ने सबसे ज्यादा कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी को झटका दिया। वोट शेयर पर नजर डालें तो AAP ने बीजेपी को अधिक नुकसान नहीं पहुंचाया। दरअसल, साल 2015 और 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनावों के बीच और 2017 तथा 2022 के MCD चुनावों में बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़ा है। AAP के पराभव ने सबसे बड़ा झटका कांग्रेस को दिया है। गुजरात विधानसभा चुनाव के रिजल्ट भी यही साबित करते हैं।
कमोबेश यही हालत पंजाब में भी दिखाई दी। मगर, पंजाब में AAP ने अकाली दल को ज्यादा नुकसान पहुंचाया। पंजाब के बाहर आप ने कांग्रेस को ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। AAP मुख्य रूप से कांग्रेस का विकल्प बनती जा रही है। अब आप सवाल कर सकते हैं कि, AAP का जादू हिमाचल प्रदेश में क्यों नहीं चला? यहां AAP की असफलता की मुख्य वजह ये रही कि कांग्रेस ने वहां कोई स्पेस ही नहीं दिया। AAP अभी भी ऐसी पार्टी नहीं है जो बीजेपी के मतदाताओं के दिलों में जगह बना सके। स्पष्ट कहें तो AAP हिंदुत्व समर्थकों को लुभाने में नाकामयाब रही है।