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Delhi Politics: दिल्ली में 'आप' को क्यों बदलनी पड़ी मनीष सिसोदिया की सीट, पटपड़गंज से अवध ओझा के लिए क्या हैं चुनावी संभावनाएं

Delhi Politics: आप की दूसरी सूची में सबसे उल्लेखनीय पटपड़गंज विधानसभा सीट रही जहां से इस बार पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की जगह मशहूर टीचर और मोटिवेशनल स्पीकर अवध ओझा को चुनावी मैदान में उतारा गया है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 9 Dec 2024 4:33 PM IST
Manish Sisodias seat, what are the electoral prospects for Awadh Ojha from Patpadganj
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दिल्ली में 'आप' को क्यों बदलनी पड़ी मनीष सिसोदिया की सीट, पटपड़गंज से अवध ओझा के लिए क्या हैं चुनावी संभावनाएं: Photo- Social Media

Delhi Politics: दिल्ली के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी चुनावी तैयारयों के मामले में भाजपा और कांग्रेस से आगे दिख रही है। आप ने आज दिल्ली के चुनाव के लिए अपनी दूसरी सूची जारी कर दी। 20 उम्मीदवारों की दूसरी सूची में कई मौजूदा विधायकों का टिकट काट दिया गया है जबकि दूसरे दलों से आने वाले कई चेहरे टिकट पाने में कामयाब रहे हैं। आप ने 11 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची में भी भाजपा और कांग्रेस से आने वाले नेताओं को टिकट दिए थे।

आप की दूसरी सूची में सबसे उल्लेखनीय पटपड़गंज विधानसभा सीट रही जहां से इस बार पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की जगह मशहूर टीचर और मोटिवेशनल स्पीकर अवध ओझा को चुनावी मैदान में उतारा गया है। मनीष सिसोदिया इस बार पटपड़गंज की जगह जंगपुरा विधानसभा सीट से लड़ेंगे। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आप मनीष सिसोदिया की सीट बदलने पर क्यों मजबूर हुई और अवध ओझा के लिए पटपड़गंज में क्या चुनावी संभावनाएं हैं।

पिछले चुनाव में मुश्किल से जीते थे सिसोदिया

दिल्ली की सियासत पर बारीक नजर रखने वाले जानकारों की ओर से पहले से ही इस बात की संभावना जताई जा रही थी कि इस बार सिसोदिया पटपड़गंज विधानसभा सीट से चुनाव नहीं लड़ेंगे। दररसल पटपड़गंज विधानसभा सीट से मनीष सिसोदिया को जंगपुरा भेजने के पीछे बड़ा कारण है। 2020 में विधानसभा चुनाव के नतीजे को देखकर भी इस बात को समझा जा सकता है।

Photo- Social Media

पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया पिछले तीन विधानसभा चुनावों में जीत हासिल कर चुके हैं। इसके बावजूद उनके लिए इस बार यह सीट सुरक्षित नहीं मानी जा रही थी। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा के रविंद्र सिंह नेगी ने सिसोदिया को कड़ी चुनौती दी थी और सिसोदिया किसी तरह तीन हजार वोट से जीत हासिल करने में कामयाब हुए थे। इस बार भी भाजपा की ओर से तगड़ी चुनावी तैयारी की गई है जिस कारण सिसोदिया इस सीट पर फंस सकते थे।

अंतरिक्ष सर्वे में अच्छा फीडबैक नहीं

दिल्ली के शराब घोटाले में गिरफ्तारी के बाद मनीष सिसोदिया को काफी दिनों तक जेल में रहना पड़ा और इस दौरान वे अपने क्षेत्र से पूरी तरह कटे रहे। उनके क्षेत्र में विकास का काम भी प्रभावित हुआ। इसके साथ ही आप सिसोदिया को एंटी इनकंबेंसी से भी बचाना चाहती थी।

आप से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पार्टी की ओर से इस बार विभिन्न विधानसभा क्षेत्र में आंतरिक सर्वे कराया गया है। इस सर्वे के दौरान पटपड़गंज विधानसभा क्षेत्र में पार्टी को अच्छा फीडबैक नहीं मिला है। इस कारण पार्टी को इस बार मनीष सिसोदिया के लिए पटपड़गंज में अच्छी चुनावी संभावनाएं नहीं नजर आ रही थीं।

सिसोदिया के लिए जंगपुरा क्यों है सुरक्षित

पार्टी ने अपने बड़े चेहरे को चुनावी हार की संभावना से बचने के लिए जंगपुरा से लड़ाने का फैसला किया। जंगपुरा विधानसभा सीट को सिसोदिया के लिए सुरक्षित माना जा रहा है। आम आदमी पार्टी के प्रवीण कुमार ने 2015 और 2020 में इस सीट से जीत हासिल की थी। 2015 में वे करीब 16 हजार और 2020 में 23 हजार से अधिक वोटों से विजयी रहे थे। ऐसे में सिसोदिया के लिए जंगपुरा में अच्छी चुनावी संभावनाएं दिख रही हैं।

अवध ओझा के लिए क्या हैं चुनावी संभावनाएं

अवध ओझा को पटपड़गंज विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के पीछे भी महत्वपूर्ण कारण माना जा रहा है। दरअसल ओझा उत्तर प्रदेश के गोंडा के रहने वाले हैं और पटपड़गंज जिला के में पूर्वांचल और उत्तराखंड के लोगों की अच्छी खासी आबादी है। इन लोगों के बीच भाजपा ने अपनी मजबूत पकड़ बना रखी है और ऐसे में आप यहां अवध ओझा के रूप में नए चेहरे को उतार कर भाजपा को चुनौती देना चाहती है।

Photo- Social Media

शिक्षक के रूप में अवध ओझा की अच्छी इमेज रही है और वे युवाओं के बीच खासे लोकप्रिय रहे हैं। ऐसे में आप को उम्मीद है कि अवध ओझा को पटपड़गंज से चुनाव लड़ा कर पार्टी पूर्वांचल के मतदाताओं और युवाओं का समर्थन हासिल कर सकती है।

हालांकि आप के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष गोपाल राय ने दावा किया कि पूर्व डिप्टी सीएम सिसोदिया ने खुद पटपड़गंज विधानसभा सीट अवध ओझा के लिए छोड़ने का प्रस्ताव रखा था। आप की ओर से भले ही यह दावा किया जा रहा हो मगर सिसोदिया की सीट बदलने के पीछे सोची समझी रणनीति मानी जा रही है।



Shashi kant gautam

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