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वित्त मंत्री से आप के इस नेता ने की मुलाकात, जाने क्या रहा इसमें खास

दिल्ली की सत्ता पर तीसरी बार काबिज होने के बाद अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी मनीष सिसोदिया के कंधों पर डाल दी है।

Deepak Raj
Published on: 21 Feb 2020 3:56 PM IST
वित्त मंत्री से आप के इस नेता ने की मुलाकात, जाने क्या रहा इसमें खास
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नई दिल्ली। दिल्ली की सत्ता पर तीसरी बार काबिज होने के बाद अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी मनीष सिसोदिया के कंधों पर डाल दी है।

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इसी क्रम में आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया ने दिल्ली के वित्त मंत्री का पदभार संभालने के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की है। इस मुलाकात की जानकारी सिसोदिया ने ट्विट्टर पर साझा की है।

सिसोदिया ने सिससिलेवार कई ट्वीट की

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मिलने के बाद सिसोदिया ने सिससिलेवार कई ट्वीट किए। अपने पहले ट्वीट में मनीष ने लिखा, "दिल्ली के वित्तमंत्री का पद पुनः सम्भालने के बाद आज केंद्रीय वित्त मंत्री @nsitharaman जी से मुलाक़ात की। उनके साथ दिल्ली के आर्थिक विकास के लिए सहयोग पर सकारात्मक चर्चा हुई।" इस ट्वीट के साथ नेताओं की मुलाकात की तस्वीरें भी शेयर की गई हैं।

एमसीडी के लिए मनीष सिसोदिया ने मांगा पैसा

अपने अगले ट्वीट में मनीष सिसोदिया ने बताया है कि उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री से एमसीडी के लिए फंड की मांग की है। सिसोदिया ने ट्विटर पर लिखा, "केंद्रीय वित्तमंत्री के साथ बैठक में मैंने MCD के लिए भी उसी तरह फंड दिए जाने की भी मांग की जिस प्रकार केंद्र सरकार अन्य राज्यों के निगमों को (488/- प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष के हिसाब से) देती है।

अभी दिल्ली नगर निगम के लिए केंद्र सरकार से कोई फंड नहीं मिलता है।" इसके बाद अगले ट्वीट में मनीष सिसोदिया ने लिखा, "केंद्रीय वित्तमंत्री से मैंने केंद्रीय करों में दिल्ली के लिए भी हिस्सा दिए जाने की मांग की ताकि दिल्ली में स्कूल-अस्पताल खोलने, यमुना को साफ करने, बिजली-पानी की व्यवस्था करने आदि के लिए काम और तेज़ी से किए जा सकें।"

अंतिम ट्वीट में लगाया केंद्र सरकार पर अनदेखी का आरोप

चौथे और अंतिम ट्ववीट में उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए लिखा, "केंद्र सरकार की ओर से वर्ष 2001 से केंद्रीय करों में दिल्ली को कोई हिस्सा नहीं दिया जाता है। जबकि केंद्रीय करों का 42 फीसदी हिस्सा वित्त आयोग की सिफ़ारिशों के आधार पर अन्य सभी राज्यों को दिया जाता है। 2001 से पहले दिल्ली को भी इसमें हिस्सा मिलता था।"



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