×

Sanjay Singh: मोदी पर विवादित टिप्पणी से बढ़ सकती हैं आप सांसद संजय सिंह की मुश्किलें? जानिये कौन हैं सुल्तानपुर के ये ठाकुर नेता

Sanjay Singh: मंगलवार को राज्यसभा में संविधान पर चल रही बहस के दौरान आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर एक विवादित टिप्पणी कर दी, जो अब उनके लिए मुश्किलें खड़ी करती नजर आ रही है।

Shivam Srivastava
Published on: 18 Dec 2024 10:32 AM IST (Updated on: 18 Dec 2024 10:59 AM IST)
Sanjay Singh
X

संजय सिंह जेल से हुए रिहा (Photo - Social Media)

Sanjay Singh: मंगलवार को राज्यसभा में संविधान पर चल रही बहस के दौरान आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर एक विवादित टिप्पणी कर दी, जो अब उनके लिए मुश्किलें खड़ी करती नजर आ रही है। संजय सिंह दिल्ली के विकास कार्यों का जिक्र कर रहे थे, जब बीजेपी के एक नेता ने आप संयोजक अरविंद केजरीवाल को 'चोर' कहकर संबोधित किया। इस पर संजय सिंह ने अपना आपा खो दिया और प्रधानमंत्री मोदी को भी 'चोर' कह डाला। उनका बयान था, "गली गली में शोर है, नरेंद्र मोदी चोर है।"

यह बयान एक राजनीतिक तकरार का हिस्सा था, लेकिन, कुछ ही महीनों पहले जेल से बाहर आये आप सांसद के लिये यह बयान कहीं दोबारा कानूनी और राजनीतिक दोनों ही दृष्टिकोण से समस्याएं फिर न बढ़ा दे। इसी बीच, उन पर गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत की पत्नी सुलक्षणा सावंत ने संजय सिंह के खिलाफ ₹100 करोड़ का मानहानि का मुकदमा दायर किया है। संजय सिंह ने इस महीने की शुरुआत में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान गोवा में "कैश-फॉर-जॉब्स घोटाले" में कथित तौर पर सुलक्षणा सावंत का नाम लिया था। सुलक्षणा सावंत ने संजय सिंह के खिलाफ गोवा के बिचोलिम में सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट में मानहानि का मुकदमा दायर किया।एक आधिकारिक प्रेस नोट के अनुसार संजय सिंह ने सुलक्षणा सावंत को गोवा में "कैश-फॉर-जॉब्स घोटाले" से जोड़ा, जिसमें दावा किया गया कि वह भ्रष्ट आचरण में शामिल थीं। आरोपों में कहा गया है, "इन बयानों को कई राष्ट्रीय और क्षेत्रीय समाचार चैनलों पर लाइव प्रसारित किया गया और YouTube जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर व्यापक रूप से शेयर किया गया, जहां उन्हें काफी देखा गया।" मानहानि के मुकदमे में दावा किया गया है कि ये झूठे आरोप बिना किसी विश्वसनीय सबूत के लगाए गए थे, जिससे सुलक्षणा सावंत की ईमानदारी और सार्वजनिक छवि को नुकसान पहुंचा है।

कैसे हुई राजनीतिक करियर की शरूआत

संजय सिंह का नाम आज राजनीति में चर्चित है, लेकिन उनकी यात्रा एक साधारण से गांव सुल्तानपुर से शुरू होकर सामाजिक सेवा और राजनीति के ऊंचे मंच तक पहुंची। 1972 में सुल्तानपुर में जन्मे संजय ने 1994 में सुल्तानपुर समाज सेवा संगठन की स्थापना की और फेरीवालों जैसे वंचित वर्ग के अधिकारों के लिए संघर्ष करना शुरू किया। 90 के दशक में, जब सुल्तानपुर की गलियों में आवाज उठाने की जरूरत थी, संजय सिंह ने उन आवाजों को मजबूती दी। उनके सामाजिक काम ने उन्हें एक समर्पित समाजसेवी के रूप में पहचान दिलाई।

इस सेवा की राह में संजय सिंह का रुझान राजनीति की ओर बढ़ा, लेकिन उन्होंने उस समय के प्रमुख दलों के बजाय एक ऐसे दल का चुनाव किया जिसका न तो बड़ा जनाधार था और न ही सत्ता में आने की कोई उम्मीद। यह दल था लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी, जिसके राष्ट्रीय अध्यक्ष समाजवादी चिंतक रघु ठाकुर थे। 1998 में रघु ठाकुर के एक कार्यक्रम में शामिल होने पर संजय सिंह को पार्टी ने सुल्तानपुर इकाई का अध्यक्ष बना दिया, और यहीं से उनका राजनीतिक सफर शुरू हुआ।

संजय सिंह ने समाजसेवा और राजनीति दोनों ही मोर्चों पर जनता की आवाज उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उनके साथ जुड़कर अनूप संडा, जो एक प्रख्यात समाजवादी नेता त्रिभुवन नाथ संडा के पुत्र थे, ने सुल्तानपुर में भ्रष्टाचार के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी। दोनों ने नगर पालिका, अस्पताल, पुलिस प्रशासन और बिजली विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ कई मोर्चे खोले। संजय और अनूप की जोड़ी सुल्तानपुर में हर वर्ग के लोगों के लिए एक मसीहा बन गई, खासकर फेरीवालों और गुमटी-पटरी दुकानदारों के अधिकारों के लिए उनकी आवाज हमेशा बुलंद रही।

2006 में जब अनूप संडा नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव लड़े, तो पूरी चुनावी कमान संजय सिंह ने संभाली। हालांकि, संडा चुनाव हार गए, लेकिन उनकी और संजय की जोड़ी को सुल्तानपुर में पहचान मिल गई। इसके बाद अनूप संडा ने समाजवादी पार्टी जॉइन की और संजय भी उनके साथ सपा में शामिल हो गए। 2007 के विधानसभा चुनाव में, सपा ने अनूप संडा को सुल्तानपुर से टिकट दिया, और वह विधायक बने। संजय सिंह ने उनके प्रतिनिधि के रूप में कार्य करना शुरू किया और युवजन सभा के प्रदेश सचिव के रूप में अपनी भूमिका निभाई।

समाजसेवा की ओर उनका झुकाव 2011 में और भी गहरा हुआ, जब वह अन्ना हजारे के इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन से जुड़ गए। अन्ना के करीबी सहयोगी अरविंद केजरीवाल से उनका संपर्क हुआ, और इसके बाद उनका सियासी सफर दिल्ली की ओर मोड़ा। 2012 में जब आम आदमी पार्टी का गठन हुआ, तो संजय सिंह ने पार्टी में शामिल होकर दिल्ली में बड़े नेताओं के साथ मंच साझा किया। पार्टी में उनकी मेहनत रंग लाई, और उन्हें राष्ट्रीय प्रवक्ता के तौर पर जिम्मेदारी मिली। आम आदमी पार्टी में उनकी भूमिका केवल एक प्रवक्ता तक सीमित नहीं रही। उन्हें उत्तर प्रदेश और पंजाब जैसे राज्यों का प्रभारी बनाया गया और वह विपक्षी राजनीति के चर्चित चेहरों में शामिल हो गए। संजय सिंह ने अपनी राजनीति के जरिए अपनी पहचान बनाई, और आज वह आम आदमी पार्टी के प्रमुख नेताओं में से एक माने जाते हैं।

Shivam Srivastava

Shivam Srivastava

Next Story