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AAP Sansad Sanjay Singh: सड़क से संसद तक काफी दिलचस्प रहा है संजय सिंह का सफर, AAP को मजबूत बनाने में निभाई प्रमुख भूमिका
AAP Sansad Sanjay Singh: उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में पैदा होने वाले संजय सिंह ने राजनीति में काफी लंबा सफर तय किया है। ऐसे में सुल्तानपुर से आम आदमी पार्टी का प्रमुख चेहरा बनने तक संजय सिंह का राजनीतिक सफर भी जानना जरूरी है।
AAP Sansad Sanjay Singh: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दिल्ली शराब घोटाले में बड़ी कार्रवाई करते हुए आम आदमी पार्टी के नेता और सांसद संजय सिंह को गिरफ्तार कर लिया है। दिल्ली के शराब घोटाले (Liquor Policy Case) में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही ईडी ने बुधवार की सुबह संजय सिंह (Sanjay Singh) के आवास पर छापेमारी की थी। ईडी (ED Raid) की ओर से पिछले दिनों दाखिल की गई चार्जशीट में संजय सिंह का नाम भी शामिल है।
आप सांसद संजय सिंह (AAP Sansad Sanjay Singh) को कई घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया है। आम आदमी पार्टी को मजबूत बनाने में संजय सिंह की प्रमुख भूमिका मानी जाती रही है। 2012 में पार्टी के गठन के बाद से ही वे पार्टी के प्रमुख स्तंभ बने हुए हैं। यही कारण है कि पार्टी ने 2018 में उन्हें राज्यसभा भेजा था। उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में पैदा होने वाले संजय सिंह ने राजनीति में काफी लंबा सफर तय किया है। ऐसे में सुल्तानपुर से आम आदमी पार्टी का प्रमुख चेहरा बनने तक संजय सिंह का राजनीतिक सफर भी जानना जरूरी है।
सुल्तानपुर में हुआ जन्म, इंजीनियरिंग की पढ़ाई
आप नेता संजय सिंह का जन्म 22 मार्च 1972 को उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में हुआ था। उनके पिता का नाम दिनेश सिंह और मां का नाम राधिका सिंह है। शुरुआती पढ़ाई-लिखाई के बाद उन्होंने 1993 में माइनिंग इंजीनियरिंग में ओड़िसा स्कूल ऑफ माइनिंग इंजीनियरिंग के क्योंझर से डिप्लोमा लिया। इंजीनियरिंग का डिप्लोमा लेने के बाद उन्होंने धनबाद में जॉब शुरू किया मगर कुछ ही समय बाद वे जॉब छोड़कर घर चले आए और उन्होंने सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में कार्य करना शुरू कर दिया। उन्होंने फुटपाथ पर जिंदगी बिताने वालों की आवाज में आवाज मिलाने का फैसला किया। शुरुआत में उन्होंने बिना किसी राजनीतिक पार्टी का सदस्य बने हुए राजनीतिक गतिविधियों में भी सक्रियता दिखाई।
सड़क किनारे दुकान लगाने वालों के लिए संघर्ष
संजय सिंह ने शुरुआती दिनों में सड़क के किनारे दुकान लगाने वाले रेहड़ी-पटरी वालों के हितों के लिए लड़ाई लड़ी। वे उनके अधिकारों और हितों से जुड़े हुए मुद्दों को लेकर आवाज उठाया करते थे। इसके लिए उन्होंने कई आंदोलन भी छेड़े और जल्द ही उन्होंने सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में लोगों के दिलोदिमाग में जगह बना ली। सियासी मैदान में उतरने से पहले संजय सिंह ने सोशलिस्ट पार्टी के रघु ठाकुर के साथ भी काम किया। उन्होंने रघु ठाकुर के साथ विभिन्न सामाजिक सम्मेलनों और आंदोलनों में हिस्सा लिया।
उन्होंने करीब 16 वर्षों तक स्ट्रीट वेंडर्स के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष किया। इस मामले में काफी मुखरता से आवाज उठाने के कारण उन्हें लोकप्रियता भी हासिल हुई। इसके अलावा उन्होंने गुजरात, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, तमिलनाडु और नेपाल आदि में आपदा के दिनों में राहत सेवाओं में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। बाद में वे 2011 में दिल्ली में हुए अन्ना हजारे के बहुचर्चित आंदोलन से जुड़ गए।
अन्ना आंदोलन के बाद मिली प्रसिद्ध
अन्ना हजारे के आंदोलन से जुड़ने के बाद संजय सिंह को और ज्यादा प्रसिद्धि हासिल हुई। इस आंदोलन के दौर में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, कुमार विश्वास और किरण बेदी के साथ संजय सिंह का नाम भी काफी चर्चाओं में रहा। उन्होंने अन्ना आंदोलन के दौरान अरविंद केजरीवाल का कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग किया।
बाद में 26 नवंबर 2012 को अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में आम आदमी पार्टी का गठन किया गया तो संजय सिंह भी इस पार्टी के सदस्य बन गए। अपनी राजनीतिक सूझबूझ के कारण धीरे-धीरे वे पार्टी के महत्वपूर्ण आधार स्तंभ बन गए। पार्टी की सारी प्रमुख कमेटियों के सदस्य के रूप में पार्टी की नीतियों का फैसला करने में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मौजूदा समय में वे पार्टी की कोर कमेटी के सदस्य हैं और विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर पार्टी की नीतियां तय करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
2018 में बने राज्यसभा के सदस्य
वैसे संजय सिंह ने अभी तक आम आदमी की पार्टी के टिकट पर कोई चुनाव नहीं लड़ा है। पार्टी के लिए समर्पित भाव से काम करने का उन्हें 2018 में ईनाम भी मिला जब पार्टी ने उन्हें राज्यसभा का सदस्य बनाया। मौजूदा समय में वे आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद होने के साथ ही पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी हैं। वे विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर पार्टी की राय सबके सामने रखते रहे हैं। इसके साथ ही वे आम आदमी पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति के सदस्य भी हैं।
यूपी में आप को मजबूत बनाने की जिम्मेदारी
देश के सामने मौजूद राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर वे खुलकर अपनी राय रखते रहे हैं। विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर सदन में होने वाली बहसों में भी संजय सिंह पूरी सक्रियता के साथ हिस्सा लेते रहे हैं। उन्हें भाजपा के खिलाफ तीखे तेवर के लिए जाना जाता है। अडानी मुद्दे पर भी उन्होंने भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ संसद और सदन के बाहर तीखा हमला बोला था।
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने उत्तर प्रदेश में पार्टी को मजबूत बनाने की जिम्मेदारी संजय सिंह को ही सौंप रखी है। हालांकि अभी तक आम आदमी पार्टी अपेक्षा के अनुरूप उत्तर प्रदेश में सियासी मजबूती नहीं हासिल कर सकी है मगर संजय सिंह पार्टी को मजबूत बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
मानसून सत्र में हुई थी निलंबन की कार्रवाई
संसद के मानसून छात्रों के दौरान संजय सिंह को राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया था जिसे लेकर सदन में भारी हंगामा हुआ था। दरअसल मानसून सत्र के दौरान मणिपुर के मुद्दे पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्ष ने दिखे तेवर दिखाए थे। आप नेता संजय सिंह मणिपुर मुद्दे पर चर्चा की मांग को लेकर वेल में पहुंच गए थे और उन्होंने आसन की ओर इशारा किया था। इससे पूर्व भी राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने संजय सिंह को उनके अनियंत्रित व्यवहार के लिए आगाह किया था।
बाद में सदन के नेता पीयूष गोयल ने सदन में संजय सिंह को निलंबित करने का प्रस्ताव रखा जिसे सदन ने ध्वनिमत से स्वीकार कर लिया। विपक्षी दलों ने सभापति की ओर से उठाए गए इस कदम का तीखा विरोध किया था और सरकार पर विपक्ष की आवाज दबाने का आरोप लगाया था। इस मुद्दे को लेकर कई दिनों तक विपक्ष की ओर से धरना भी दिया गया था।