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'अबुल कलाम' से जुड़ी वो बातें जो शायद ही जानते होंगे आप
भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की पुण्यतिथि संपूर्ण राष्ट्र मना रहा है। आज ही के दिन कलाम ने अपनी आखिरी सांस ली थी। उनका निधन आज ही के...
नई दिल्ली। भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की पुण्यतिथि संपूर्ण राष्ट्र मना रहा है। आज ही के दिन कलाम ने अपनी आखिरी सांस ली थी। उनका निधन आज ही के दिन यानी की 22 फरवरी, 1958 को हुआ था।
मौलाना अबुल कलाम आजाद का असली नाम अबुल कलाम गुलाम मोहिउद्दीन था, लेकिन आज भी दुनिया उन्हें मौलाना आजाद के नाम से ही जानती है।
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वह महात्मा गांधी के सिद्धांतों का समर्थन करते थे। उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए काफी काम किया था। आपको बता दें, वह अलग मुस्लिम राष्ट्र (पाकिस्तान) के सिद्धांत का विरोध करने वाले मुस्लिम नेताओ में से एक थे। मौलाना आजाद जिन्ना की टू नेशन थ्योरी के पक्ष में नहीं थे। वह पाकिस्तान बनने के खिलाफ थे। कहा जाता उस समय मौलाना अबुल कलाम आजाद जैसा दूसरा कोई विरोधी नहीं था।
जिन्ना और उनके विचारों का दृढ़ता से विरोध किया था
जब आजादी के लिए संघर्ष चल रहा था, तब मुस्लिम लीग के नेता मुहम्मद अली जिन्ना अपना घातक सिद्धांत (टू नेशन थ्योरी) को लेकर आगे बढ़ रहे थे और मुसलमानों के लिए अलग पाकिस्तान की मांग करने लगे। उनके इस फैसले से मौलाना अबुल कलाम बिल्कुल सहमत नहीं थे। उन्होंने जिन्ना और उनके विचारों का दृढ़ता से विरोध किया था।
मौलाना अबुल कलाम भारत के पहले शिक्षा मंत्री बने थे
मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्म 11 नवंबर 1888 को हुआ था। आजाद उर्दू में कविताएं भी लिखते थे। इन्हें लोग कलम के सिपाही के नाम से भी जानते हैं। भारत की आजादी के बाद मौलाना अबुल कलाम भारत के पहले शिक्षा मंत्री बने थे।
उन्होंने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की स्थापना की थी। मौलाना आजाद 35 साल की उम्र में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सबसे नौजवान अध्यक्ष बने थे। साल 1992 में उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। उन्होंने हमेशा सादगी का जीवन पसंद किया था।
आपको जानकर हैरानी होगी जब उनका निधन हुआ था, उस दौरान भी उनके पास कोई संपत्ति नहीं थी और न ही कोई बैंक खाता था। उनकी निजी अलमारी में कुछ सूती अचकन, एक दर्जन खादी के कुर्ते-पायजामे, दो जोड़ी सैंडल, एक पुराना ड्रेसिंग गाउन और एक उपयोग किया हुआ ब्रश मिला। इसके साथ ही अनेक दुर्लभ पुस्तकें थीं जो अब राष्ट्र की संपत्ति हैं।
की थी IIT की स्थापना
स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री रहे मौलाना आजाद ने शिक्षा के क्षेत्र में कई अतुल्य कार्य किए। भारत के पहले शिक्षा मंत्री बनने पर उन्होंने नि:शुल्क शिक्षा, उच्च शिक्षा संस्थानों की स्थापना में अत्यधिक कार्य किया। मौलाना आजाद को ही 'भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान' (IIT) और 'विश्वविद्यालय अनुदान आयोग' (UGC) की स्थापना की थी।