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Adani Group: विदेशी निवेशकों के बिदकने का खतरा, विश्वसनीयता पर सवाल
Adani Group: हिंडनबर्ग रिसर्च की लगभग 100 पन्नों की रिपोर्ट के नतीजों से भारत के प्रति तथा खासतौर पर देश के नियामक ढांचे में निवेशकों का विश्वास कम होने का खतरा है।
Adani Group: एक छोटे अमेरिकी शॉर्ट सेलर ने अडानी ग्रुप के बारे में ऐसे आरोप लगा दिए हैं कि भारतीय स्टॉक मार्केट में भूचाल तो आया ही साथ ही साथ भारत में कॉरपोरेट गवर्नेंस के बारे में संदेह उठ खड़े हुए हैं।
भरोसा बने रहना जरूरी
हिंडनबर्ग रिसर्च की लगभग 100 पन्नों की रिपोर्ट के नतीजों से भारत के प्रति तथा खासतौर पर देश के नियामक ढांचे में निवेशकों का विश्वास कम होने का खतरा है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि "अंतरराष्ट्रीय निवेशकों द्वारा भारतीय इक्विटी में निवेश के जोखिमों के संभावित बड़े पुनर्मूल्यांकन के साथ बाजार में चीजें बहुत तेजी से आगे बढ़ रही हैं। उस पुनर्मूल्यांकन में शासन, कॉर्पोरेट पारदर्शिता, भाई-भतीजावाद और ऋणग्रस्तता शामिल है।"
विदेशी निवेशकों की नज़र
कुछ जानकारों का कहना है कि अडानी का मामला ऐसे समय में आया है जब चीन फिर से खुल रहा है। विदेशी निवेशक स्पष्ट रूप से ये देख रहे हैं। ज्यूरिख-आधारित जीएएम इन्वेस्टमेंट के फंड मैनेजर, जियान शी कॉर्टेसी का कहना है कि - "अडानी-संबंधित सुर्खियां नकारात्मक ध्यान आकर्षित कर रही हैं जो भारतीय शेयरों के लिए निवेशकों की भूख को कम कर सकती हैं। ये सही है कि अडानी की वजह से पूरा भारतीय शेयर बाजार नीचे नहीं जाएगा लेकिन इससे एक चोट अवश्य लग सकती है।
असर चारों तरफ
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, अडानी ग्रुप के शेयरों में नुकसान से फैले संक्रमण ने एमएससीआई इंडिया इंडेक्स को तकनीकी सुधार के कगार पर धकेल दिया है। इस अवधि के दौरान रुपया अपने सभी एशियाई समकक्षों के मुकाबले गिर गया है।
होल्डिंग पर असर
अडानी कंपनियों के शेयरों में गिरावट का एक असर ये है कि निवेशकों को अपनी होल्डिंग कम करने के लिए महंगे मूल्यांकन के बारे में शिकायत करने का बहाना मिल गया है। इसके कई नतीजे हो सकते हैं। डेनमार्क में सक्सो बैंक एएस में इक्विटी रणनीति के प्रमुख पीटर गैरी के अनुसार, यह संभावित रूप से भारतीय इक्विटी के लिए एक बड़ी समस्या है, जिसने महामारी के दौरान बेहतरीन प्रदर्शन किया था। अब दीर्घकालिक असर काफी नकारात्मक हो सकता है। बहरहाल, अभी तस्वीर स्पष्ट होना बाकी है। बाजार लगातार बदल रहा है। वैसे तो बैंकों आदि ने कहा है कि उनका ऋण जोखिम में नहीं है लेकिन अभी सेबी की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।