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Adani-Hindenburg case: हिंडनबर्ग-अडानी की जांच एक्सपर्ट कमेटी में कौन छह सदस्य, जानिए उनके बारे में
Adani-Hindenburg case: सुप्रीम कोर्ट ने इस एक्सपर्ट कमेटी का जिम्मारिटायर पूर्व जजिस्ट अभय मनोहर सप्रे के हाथों में सौंपा है। इसके अलावा 5 अन्य सदस्यों का शामिल किया गया है।
Adani-Hindenburg case: अमेरिकी शार्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग द्वारा अडानी ग्रुप पर लगाए गए आरोपों के बारे में दूध का दूध पानी का पानी पता करने के लिए पूर्व न्यायाधीश के नेतृत्व में एक छह सदस्यीय विशेष कमेटी का गठन हो गया है। यह विशेष कमेटी अब अगले दो महीनों तक अडानी ग्रुप और हिंडनबर्ग के मामले जांच करेगी। उसके बाद इस जांच की रिपोर्ट बाजार नियामक सेबी को सौंपेगी। दरअसल, हिंडनबर्ग और अडानी ग्रुप के मामले को लेकर डाली गई हैं चार अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया। इस फैसला में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर जांच करने के एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन करने के आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस एक्सपर्ट कमेटी का जिम्मा रिटायर पूर्व जजिस्ट अभय मनोहर सप्रे के हाथों में सौंपा है। इसके अलावा इस कमेटी कोर्ट ने पांच अन्य लोगों को और शामिल किया है,जोकि ओपी भट, न्यायमूर्ति जेपी देवधर और नंदन नीलेकणि, केवी कामथ और सोमशेखर सुंदरेसन हैं। बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने यह कमेटी का गठन भारतीय निवेशकों की सुरक्षा के मद्देनजर किया गया है। तो आइये जनाते हैं कि आखिर वे कौन लोग हैं,जिसको सुप्रीम कोर्ट की ओर से इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है और वे लोग किसी क्षेत्रों में काम किया है।
छह सदस्यीय समिति में शामिल लोगे के बारे में:
अभय मनोहर सप्रे
हिंडनबर्ग और अडानी ग्रुप के मामलें की जांच की कमेटी की अध्यक्षता अभय मनोहर सप्रे के नेतृत्व में होगी। सप्रे 2019 में पूर्व न्यायाधीश के रुप में रिटायर हुए थे। 2014 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्ता किया गया था। साल 1978 में सप्रे ने में बार काउंसिल में एडवोकेट के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया था। उसके बाद वे हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने लगे और साल 1999 में उन्हें एमपी हाईकोर्ट में एडिशनल जज के पद पर नियुक्त हुए। उसके बाद वे राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मणिपुर हाईकोर्ट के जज भी रहे।
नंदन नीलेकणि
नंदन नीलेकणि इंफोसिस के को-फाउंडर हैं। उन्होंने आधार कार्ड, यूपीआई, फास्टैग और जीएसटी जैसी तकनीकी में अपना अहम योगदान किया है। अब कोर्ट ने अडानी ग्रुप के जांच के मामले में छह सदस्यी टीम में शामिल किया है।
के. वी. कामथ
केवी कामथ के बैंकिंग क्षेत्र के अनुभव को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हिंडनबर्ग और अडानी ग्रुप की जांच टीम में शामिल किया है। वे नेशनल बैंक फॉर फाइनेंसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट के अध्यक्ष और ICICI बैंक के एमडी-सीईओ जैसे महत्वपूर्ण भूमिका में काम कर चुके हैं। कामथ की गिनती देश के मशहूर बैंकर के रूप में की जाती है। ICICI बैंक ने कामथ अपने कैरियर की शुरुआत की थी।
ओम प्रकाश भट्ट
ओम प्रकास भट्ट देश की कई महत्वपूर्ण वित्तीय संस्थाओं का नेतृत्व कर चुके हैं। इसमें एसबीआई, ओएनजीसी, टाटा स्टील और हिन्दुस्तानलीवर शामिल है। भट्ट जून 2006 से लेकर 31 मार्च 2011 तक एसबीआई के चेयरमैन रहे। मौजूदा समय भट्ट ओएनजीसी, टाटा स्टील और हिन्दुस्तानलीवर लिमिटेड के बोर्ड में इंडिपेंडेंट डायरेक्टर की भूमिका निभा रहे हैं।
रिटायर जस्टिस जे पी देवधर
रिटायर जस्टिस जे जी देवधर बंबई उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश रह चुके हैं। इसके अलावा वे प्रतिभूति अपील अधिकरण के पूर्व पीठासीन अधिकारी भी रह चुके हैं। रिटायर जस्टिस देवधर ने 1997 में हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करना शुरू की थी। वे 1982 से यूनियन ऑफ इंडिया के वकील भी हैं।
सोमशेखर सुंदरेसन
अडानी ग्रुप की जांच कमेटी में सोमशेखर सुंदरेसन का भी नाम शामिल है। वह अधिवक्ता हैं और उनके पास वाणिज्यिक कानून की महारथ हासिल है।
गौतम अडानी फैसले का किया स्वागत
हिंडनर्बग और अडानी ग्रुप के मामले की जांच करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई एक्सपर्ट कमेटी पर दिग्गज उद्योगपति व अडानी ग्रुप के अध्यक्ष गौतम अडानी का बयान आया है। गौतम अडानी ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। यह समयबद्ध तरीके से अंतिम रूप देगा। सच्चाई की जीत होगी।"
सेबी क्या जांच करेगा?
एक्सपर्ट कमेटी गठित होने के बाद भी सेबी इस मामले पर अपनी चांज जारी रखेगा। सेबी तेजी से जांच पूरी करेगा और 2 महीने में स्टेटस रिपोर्ट फाइल करेगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि विशेषज्ञ समिति का गठन सेबी को बाजार में अस्थिरता की जांच के अपने कर्तव्य से वंचित नहीं करता है।