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Aditya L-1 Mission: भारत ने रचा एक और इतिहास, फाइनल आर्बिट में पहुंचा आदित्य एल-1, पीएम ने दी बधाई, बताया वैज्ञानिकों की असाधारण उपलब्धि
Aditya L-1 Mission: आदित्य - एल1 में सूर्य और सौर तूफानों का अध्ययन करने के लिए 7 उपकरण हैं, और एल1 सूर्य का अबाधित दृश्य प्रस्तुत करता है। एल1 तक पहुंचना एक चुनौतीपूर्ण यात्रा है और वहां रहना भी मुश्किल है।
Aditya L-1 Mission: चांद पर उतरने के बाद आज भारत ने एक और इतिहास उस समय रच दिया जब सूर्य मिशन पर निकला भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का आदित्य एल-1 ने अपनी मंजिल लैग्रेंज प्वाइंट-1 (एल1) पर पहुंच। इसके साथ ही एक कीर्तिमान हासिल कर लिया है। इसी के साथ आदित्य-एल 1 अंतिम कक्षा में स्थापित हो गया। आदित्य एल-1 यहां दो वर्षों तक सूर्य का अध्ययन करेगा और महत्वपूर्ण आंकड़े जुटाएगा। बता दें कि भारत के इस पहले सूर्य अध्ययन अभियान को इसरो ने 2 सितंबर 2023 को लॉन्च किया था।
पीएम मोदी ने किया ट्वीट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो की इस सफलता पर खुशी जाहिर की है। उन्होंने ट्वीट कर इसरो की प्रशंसा करते हुए लिखा कि ‘भारत ने एक और मील का पत्थर हासिल किया। भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य-एल 1 अपने गंतव्य तक पहुंच गया। उन्होंने कहा, सबसे जटिल अंतरिक्ष मिशनों में से एक को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है। यह असाधारण उपलब्धि सराहना योग्य है। हम मानवता के लाभ के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे।‘
चांद पर विजय के बाद भारत की स्पेस एजेंसी इसरो (ISRO) ने अब सूर्य तक पहुंच बना ली है। शनिवार यानी 06 जनवरी 2024 को ‘आदित्य एल-1’ मिशन को इसरो ने सफलतापूर्वक पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर ‘लैग्रेंज प्वाइंट’ पर स्थापित करने में सफलता हासिल कर ली है। बता दें कि ‘लैग्रेंज प्वाइंट’ वह क्षेत्र है जहां पृथ्वी और सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण निष्क्रिय हो जाता है। आदित्य एल-1 मिशन की सफलता पीएम मोदी ने पूरे देश और इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी है।
सफलता पर क्या बोला इसरो?
इसरो अधिकारियों ने इस मिशन की सफलता पर कहा कि आदित्य एल-1 पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के ‘लैग्रेंज प्वाइंट-1’ (एल 1) पहुंच गया। ‘एल-1 प्वाइंट’ पृथ्वी और सूर्य के बीच की कुल दूरी का लगभग एक प्रतिशत है। मिशन की सफलता के बाद अब ‘एल-1 प्वाइंट’ के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा में उपग्रह से सूर्य को लगातार देखा जा सकेगा। इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव का अवलोकन करने में अधिक लाभ मिलेगा।
‘लैग्रेंज प्वाइंट’ पर पहुंचा आदित्य एल-1
प्रभामंडल कक्षा, एल-1, एल-2 या एल-3 ‘लैग्रेंज प्वाइंट’ में से एक के पास एक आवधिक, त्रि-आयामी कक्षा है। शनिवार शाम चार बजे के बाद आदित्य-एल-1 को एल-1 के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में पहुंचा दिया गया। इसरो के ध्रवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी-सी-57) ने दो सितंबर 2023 को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) के दूसरे प्रक्षेपण केंद्र से आदित्य-एल-1 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया था। आदित्य - एल-1 में सूर्य और सौर तूफानों का अध्ययन करने के लिए 7 उपकरण हैं, और एल-1 सूर्य का अबाधित दृश्य प्रस्तुत करता है।
मिशन का क्या है उद्देश्य?
-आदित्य-एल-1 को पीएसएलवी ने 63 मिनट और 20 सेकंड की उड़ान के बाद पृथ्वी की आसपास की अंडाकार कक्षा में स्थापित किया था। ‘आदित्य एल-1’ को सूर्य परिमंडल के दूरस्थ अवलोकन और पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर ‘एल-1’ (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर वायु का वास्तविक अवलोकन करने के लिए डिजाइन किया गया है।
-इसरो के अधिकारियों ने बताया कि इस मिशन का मुख्य उद्देश्य सौर वातावरण में गतिशीलता, सूर्य के परिमंडल की गर्मी, सूर्य की सतह पर सौर भूकंप या ‘कोरोनल मास इजेक्शन’ (सीएमई), सूर्य के धधकने संबंधी गतिविधियों और उनकी विशेषताओं और पृथ्वी के करीब अंतरिक्ष में मौसम संबंधी समस्याओं को समझना है।