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Aditya L1 Solar Mission Live: आदित्य-L 1 लॉन्च, लैरेंज प्वाइंट तक पहुंचने में लगेंगे 125 दिन
Aditya L1 Solar Mission Launch Live: आदित्य एल-1 को लैंरेंज प्लाइंट तक पहुंचने के लिए 125 दिन लगेंगे। इसके बाद ये सैटेलाइट सूर्य पर होने वाली गतिविधियों को लगातार 24 घंटे अध्यन करेगा। एल 1 सैटेलाइट को पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर स्थापित किया जाएगा।
Aditya L1 Solar Mission भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने पहले सूर्य मिशन आदित्य एल 1 को लांच कर दिया है। आदित्य एल 1 को आज शनिवार (2 सितंबर) को 11 बजकर 50 मिनट पर श्रीहरिकोटा से लांच किया गया है। भारत के इस पहले सौर मिशन के माध्यम से इसरो के वैज्ञानिक सूर्य का अध्यन करेंगे। इसरो के सूर्य मिशन आदित्य एल-1 के प्रक्षेपण को देखने के लिए सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC) श्रीहरिकोटा में बड़ी संख्या में लोग मौजूद हैं। आदित्य एल 1 की लॉन्चिंग पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बधाई दी है।
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मिशन आदित्य L-1 की सफलता के लिए काशी में हवन पूजन
सूर्य मिशन की सफलता के लिए वाराणसी मंदिर में हवन पूजन किया जा रहा है। हवन-पूजन कर रहे लोगों ने कहा हमारे वैज्ञानिकों की मेहनत रंग लाए, इसलिए मंदिर में पूजा कर रहे हैं। मंदिर में सामूहिक तौर पर लोगों ने हनुमान चालीसा का पाठ किया। मिशन आदित्य L -1 की सफलता के लिए लोगों नें ISRO और भारतीय वैज्ञानिकों को शुभकामनाएं दी।
पृथ्वी से लाख किमी दूर स्थापित किया जाएगा आदित्य एल-1
आदित्य एल-1 को अंतरिक्ष में लैंरेंज प्वाइंट यानी कि एल-1 कक्षा में स्थापित किया जाएगा। आदित्य एल-1 को लैंरेंज प्लाइंट तक पहुंचने के लिए 125 दिन लगेंगे। इसके बाद ये सैटेलाइट सूर्य पर होने वाली गतिविधियों को लगातार 24 घंटे अध्यन करेगा। एल 1 सैटेलाइट को पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर स्थापित किया जाएगा।
क्या है लैंरेंज प्वाइंट जहां जाएगा आदित्य एल-1
वैज्ञानिक आदित्य एल-1 को लैरेंज प्वाइंट पर स्थापित करेंगे। लेकिन लोग समझना चाह रहे हैं कि आखिर क्या है लैरेंज प्वाइंट। जानकारी के मुताबिक अंतरिक्ष में मौजूद यह ऐसी जगह है जो धरती और सूरज के बीच सीधी रेखा में पड़ती है। धरती से इसकी दूरी 15 लाख किलोमीटर है। सूरज की अपनी गुरुत्वाकर्षण शक्ति है और धरती की अपनी गुरूत्वाकर्षण शक्ति है। अंतरिक्ष में जहां पर दोनों की गुरुत्वाकर्षण शक्ति आपस में टकराती है, या फिर ये कहें कि जहां पर धरती की गुरुत्वाकर्णष शक्ति का असर खत्म होता है वहां से सूरज की गुरूत्वाकर्षण शक्ति का असर शुरू होता है। इस बीच के प्वाइंड को ही लैरेंज प्वाइंज कहा जाता है। धरती और सूरज के बीच में ऐसे पांच लैरेंज प्वाइंट स्थापित किए गए है। भारत का आदित्य एल-1 लैरेंज प्वाइंड यानी कि एल-1 पर स्थापित किया जाएगा। यहां पर कोई भी चीज लंबे समत तक रह सकती है क्योंकि दोनों की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के बीच फंसी रहेगी।
आदित्य एल-1 लैरेंज प्वाइंट पर क्या करेगा?
मीडिया रिपोर्ट के मुातबिक सूरज की सतह से थोड़ा ऊपर यानी फोटोस्फेयर का तापमान करीब 55 सौ डिग्री सेल्सियस रहता है। वहीं उसके केंद्र का तापमान करीब 1.50 करोड़ डिग्री सेल्सिय होता है। ऐसे में किसी भी यान का वहां पर जाना संभव नहीं है। सरल शब्दों में अगर इस बात को समझें तो धरती पर ऐसी कोई चीज नहीं है जो सूर्य की गर्मी को बर्दाश्त कर सके। इसलिए स्पेसक्राफ्टस को सूरज से दूरी पर रखा जाता है। इसरो आज आदित्य एल- 1 मिशन लांच कर रहा है। यह भारत की पहली अंतरिक्ष आधारित ऑब्जरवेटरी है। आदित्य एल-1 को सूर्य से इतनी दूरी पर स्थापित किया जाएगा कि उसे गर्मी लगे तो वह खराब न हो उसे इस हिसाब से डिजाइन किया गया है। लांचिंग के लिए PSLV-XL रॉ़केट का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिसका नंबर PSLV-C57 है।
आदित्य एल-1 के साथ कौन-कौन से पेलोड जा रहे है हैं?
PAPA : पीएपीए यानी कि प्लाज्मा एलालाइजर पैकेज फॉर आदित्य यह सूर्य की गर्म हवाओं में मौजूद इलेक्ट्रॉंस और भारी आयन की दिशाओं और उनकी स्टडी करेगा। कितनी गर्मी है इन हवाओं में इसका भी पता लगाएगा। इसके अलावा चार्ज्ड कणों यानी कि आयंस के वजन का भी पता लगाएगा।
VELC: वीईएलसी (विजिबल लाइन एमिशन कोरोनाग्राफ) को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्टोफिजिक्स ने बनाया है। सूर्यमान में लगा वीईएलसी सूरज की एचडी फोटो क्लिक करेगा। इस स्पेक्राफ्ट को पीएसएलवी रॉकेट से लांच किया जाएगा।
SUIT: एसयूआईटी ( सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलिस्कोप) सूरज की वेवलेंथ की तस्वीरें लेने का काम करेगा। साथ की ही सूरज के फोटोस्फेयर और क्रोमोस्फेयर की तस्वीरें लेगा यानी कि नैरो और ब्रॉजबैंड की इमेजिंग होगी।
SoLEXS: एसओएलईएक्सएस (सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर) सूरज से निकलने वाले एक्स-रे और उसमें आने वाले बदलावों की स्टडी करेगा। साथ ही सूरज से निकलने वाली सौर लहरों का भी अध्ययन करेगा।
HEL10S: हाई एनर्जी L1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर यह एक हार्ड एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर है। यह हार्ड एक्स-रे किरणों की स्टडी करेगा। यानी सौर लहरों से निकलने वाले हाई-एनर्जी एक्स-रे का अध्ययन करेगा।
ASPEX: एसपीईएक्स (आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट) इसमें दो सब-पेलोड्स हैं। पहला SWIS यानी सोलर विंड आयन स्पेक्ट्रोमीटर जो कम ऊर्जा वाला स्पेक्ट्रोमीटर है। यह सूरज की हवाओं में आने वाले प्रोटोन्स और अल्फा पार्टिकल्स की स्टडी करेगा। दूसरा STEPS यानी सुपरथर्म एंड एनर्जेटिक पार्टिकल स्पेक्ट्रोमीटर। यह सौर हवाओं में आने वाले ज्यादा ऊर्जा वाले आयंस की स्टडी करेगा।