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आदि शंकराचार्य की फिल्म देखकर मोक्ष की खोज में निकला ये एयरोनॉटिकल इंजीनियर
अम्बाला: आदि शंकराचार्य एयरोनॉटिकल इंजीनियर अरुण कुमार के आदर्श हैं। अरुण ने उनके जीवन पर बनी संस्कृत फिल्म देखी। इसके बाद उनका अध्यात्म की ओर ऐसा झुकाव हुआ कि मोक्ष प्राप्ति के लिए भारत भ्रमण पर निकल पड़े। इसके लिए उन्होंने अमेरिका स्थित कंपनी से अवकाश ले लिया है। उनकी कंपनी नासा (नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) से संबद्ध है। वह रोज 20 किलोमीटर की यात्रा करते हैं। अब तक तीन हजार किलोमीटर की यात्रा पूरी कर चुके है।
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छह महीने पहले निकले थे घर से
वह छह महीने पहले घर से निकले थे। अब तक महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश के मनाली तक की यात्रा कर चुके हैं। वहां से वापस लौटते हुए अंबाला पहुंचे हैं। अरुण को हिंदी काम चलाऊ ही आती है। लेकिन कन्नड़ और अंग्रेजी पर उनका समान अधिकार है। उन्होंने बेंगलुरू से इंजीनियरिग की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्हें अमेरिकी कंपनी में जॉब मिल गया। नौकरी के दौरान ही उन्होंने आदि शंकराचार्य पर बनी संस्कृत फिल्म देखी। इस फिल्म से वह इतने प्रभावित हुए कि शंकराचार्य के समान ही पैदल भारत यात्रा करने की ठान ली।
गुरु की आज्ञा का पालन, नहीं रखते फोन
अरुण कुमार जब घर से निकलने लगे तो उनके गुरु ने कहा कि सेलफोन न लेकर जाओ। इससे तुम्हारा मन इधर-उधर भटकेगा नहीं। तुम्हारा लक्ष्य मोक्ष की खोज है। सिर्फ उसी पर ध्यान केंद्रित रखना। गुरु ने उन्हें यह भी निर्देश दिया कि कोई भोजन करा दे तो कर लेना, पर आर्थिक सहायता मत स्वीकार करना। अरुण बताते हैं कि इसीलिए वह आर्थिक मदद की पेशकश विनम्रता से अस्वीकार कर देते हैं।
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मंदिर या रैन बसेरे में करते है विश्राम
अरुण को मार्ग में जहां भी रात हो जाती है, वहीं पर मंदिर या रेन बसेरे की तलाश कर उसमें रुक जाते हैं। वहां पर लोगों से मदद मांगते है। वहीं लोग उनके खाने पीने का प्रबंध करते है हैं।