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Twin Tower Demolition: 80 हजार टन मलबा निकलेगा, साफ करने में लगेंगे तीन महीने

Twin Tower Demolition: ट्विन टावर टावर ढहने के बाद लगभग 80,000 टन मलबा निकलेगा। जिसमें से 50,000 से 55,000 टन का उपयोग साइट को भरने के लिए किया जाएगा ।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 28 Aug 2022 6:51 AM GMT
80 thousand tons of debris will come out, it will take three months to clean it
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नोएडा: ट्विन टावर ध्वस्तीकरण के बाद 80 हजार टन मलबा निकलेगा: Photo- Social Media

Noida News: ट्विन टावर इमारतों को चंद सेकेंडों में ध्वस्त (twin tower demolition) कर दिया जाएगा, लेकिन उसके बाद सभी मलबे को हटाने में कम से कम तीन महीने लग सकते हैं। दोनों टावर ढहने के बाद लगभग 80,000 टन मलबा (twin tower wreckage) निकलेगा। जिसमें से 50,000 से 55,000 टन का उपयोग साइट को भरने के लिए किया जाएगा और बाकी को प्रोसेसिंग के लिए एक निर्माण और विध्वंस प्लांट में भेजा जाएगा।

नोएडा योजना प्राधिकरण के अनुसार, 21,000 क्यूबिक मीटर मलबे को शहर के वर्क सर्कल 7 सीमा में चिन्हित एक अलग स्थान पर ले जाकर डंप किया जाएगा। एक रिपोर्ट के अनुसार, चिन्हित भूखंड छह हेक्टेयर का है। शेष कचरे को ट्विन टावरों की साइट पर रखा जाएगा जहां मलबे को दफनाने या भंडारण करने के लिए विशाल गड्ढा बनाया गया है।

मलबे से कम से कम 4000 टन लोहा और इस्पात

इमारत के मलबे से जो कुछ भी काम का हो सकता है, उसे निकाल लिया जाएगा। मलबे से कम से कम 4000 टन लोहा और इस्पात निकलने की उम्मीद है, जिसका उपयोग बिल्डिंग गिराने वाली कम्पनी आंशिक रूप से विध्वंस लागत की वसूली के लिए करेगी।

कचरे का एक हिस्सा नोएडा प्राधिकरण के सेक्टर 80 में निर्माण और विध्वंस अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र में ले जाने की संभावना है। इस संयंत्र की क्षमता प्रति दिन 300 टन है। यह स्पष्ट नहीं है कि इस साइट पर मलबे को संसाधित किया जाएगा या नहीं।

क्या क्या रीसायकल हो पायेगा

किसी भी परियोजना में उपयोग की जाने वाली चार प्रमुख निर्माण सामग्री होती हैं - स्टील, कांच, कंक्रीट और फ्लोरिंग। विध्वंस के मलबे से लगभग सभी स्टील को रीसायकल किया जाता है। यह दुनिया में सबसे अधिक रीसायकल की जाने वाली सामग्री है।

आर्किटेक्चरल ग्लास भी एक अत्यधिक लचीला और रिसाइकिल करने योग्य सामग्री है, लेकिन इसका कुछ हिस्सा लैंडफिल में भी समाप्त हो जाता है।आमतौर पर रंगीन कांच को बेकार माना जाता है।

फ्लोरिंग मैटेरियल की रीसाइक्लिंग (material recycling) भी काफी हद तक मिश्रित होती है। आमतौर पर कारपेट टाइल्स को रीसायकल करना मुश्किल होता है क्योंकि इन्हें लेटेक्स और कैल्शियम कार्बोनेट बैकिंग से चिपकाया जाता है जिसे छुड़ाना बेहद कठिन होता है।

कंक्रीट निकालना मुख्य रूप से चुनौतीपूर्ण होता है। क्योंकि निर्माण में कंक्रीट के संग मोर्टार पेस्ट और जिप्सम के अलावा प्लास्टिक, धातु और लकड़ी के भी अंश उसमें मिल जाते हैं। कंक्रीट को डाउनसाइकिल किया जा सकता है और सड़क निर्माण, रिटेनिंग वॉल और भराव के रूप में उपयोग किया जा सकता है। ध्वस्त इमारत से बालू और गिट्टी का इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन इसके लिए मलबे को प्रोसेस करना जरूरी होता है।

Shashi kant gautam

Shashi kant gautam

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