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निर्भया की चौथी बरसी से पहले दिल्ली को एक और दाग, टैक्सी ड्राइवर ने किया महिला से रेप, अरेस्ट
नई दिल्ली: साल के अखिरी महीने में निर्भया की चौथी बरसी से पहले दिल्ली को एक और दाग लग गया है। दक्षिण दिल्ली के मोती बाग के पास एक 20 साल की महिला ने एक कार ड्राइवर पर रेप का आरोप लगाया है। कार ड्राइवर को अरेस्ट कर लिया गया है। यह कार सीआईएसएफ के एक अधिकारी की बताई जा रही है।
महिला नोएडा की रहने वाली है वह दिल्ली जॉब की तलाश में आई थी। गुरुवार की रात घर जाते समय वह टैक्सी के इंतजार में खड़ी थी। आरोपी टैक्सी चालक ने उसके सामने गाड़ी रोकी और उसे ड्राप करने को कहा।
महिला कार में बैठ गई। इसके बाद ड्राइवर उसे शार्ट कट की बात कहकर सुुनसान गली में ले गया। वहां पर उसने महिला के साथ रेप किया। इस दौरान महिला ने विरोध किया और चिल्लाई तो आरोपी फरार हो गया। मौके पर पुलिस पेट्रोलिंग टीम वहां पहुंची और महिला को हॉस्पिटल में एडमिट करवाया।
मेडिकल जांच के बाद रेप की पुष्टि हो गई है। आरोपी ड्राइवर अमन कुमार मौके से गाड़ी छोड़कर भाग गया था। इसके बाद आरोपी को उसके दोस्त के घर से दबोच लिया गया है। रेप में इस्तेमाल कार CISF के एक अधिकारी की बताई जा रही है, कार पर गृह मंत्रालय का स्टिकर लगा है।
2012 ने दिल्ली को दिया सबसे बड़ा दाग
2012 का 16 दिसंबर महिलाओं के प्रति समाज की सोच को बदलने वाला साबित हुआ। 16 दिसंबर 2012 को दिल वालों की दिल्ली में दौड़ती एक बस में मानवता को शर्मसार करने वाला वो चेहरा सामने आया, जिसने हमें ये सोचने पर मजबूर कर दिया कि हम किस समाज में रह रहे है। देश और दुनिया में निर्भया काण्ड के नाम से चर्चित इस काण्ड ने बलात्कारियों और महिलाओं के प्रति गन्दी सोच रखने वालों के लिये एक सख्त कानून बनाये जाने की जरुरत को उजागर किया।
देश भर में हुआ आंदोलन
युवाओ में उबाल था, देश के सभी शहरो में इस काण्ड को लेकर जनाक्रोश चरम पर था कोग सड़क पर उतर आए थे। दिल्ली से लेकर सिक्किम तक आंदोलन चल रहे थे। आम आदमी के गुस्से ने सरकार को मजबूर किया की वो बलात्कार के क़ानून में संशोधन करे।
लेकिन कड़े कानून के बाद भी देश में रेप की घटनाओं में कोई कमी नहीं आई। दिल्ली में 2013 में 1121 मामले दर्ज हुये। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के मुताबिक यूपी में तो महिलायें देश भर में सबसे ज्यादा असुरक्षित है। 2012 में प्रदेश में 23 हज़ार 569 मामले दर्ज हुये जो करीब देश में दर्ज मामलों का 10 % है। पश्चिम बंगाल में 30 हज़ार 942, आंध्र प्रदेश में 28 हज़ार 171 मामले दर्ज हुये।
दिल्ली पुलिस का दर्ज हो रहे केस में बढ़ोतरी पर मानना है कि अब लड़कियों की ऐसे मामलों में शर्म के दिन खत्म हो गये। महिलाओं ने झिझक छोड़कर थानो का रुख कर लिया है।
आज भी महिलाओं के प्रति समाज को अपनी सोच में बदलाव लाने की जरुरत है। नहीं तो आने वाले समय में सैकड़ो निर्भयाओं की जरुरत पड़ेगी जो इस कुत्सित सोच को बदलने के लिये सड़कों पर निकलेंगी।