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सोशल मीडिया से हटा प्रतिबन्ध: J&K में 2जी स्पीड का कर सकेंगे इस्तेमाल

जम्मू-कश्मीर में धारा 370 खत्म करने के बाद से ही सुरक्षा कारणों से सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिता गया था। जिसको आखिरकार बुधवार को हटा लिया गया।

SK Gautam
Published on: 4 March 2020 3:01 PM GMT
सोशल मीडिया से हटा प्रतिबन्ध: J&K में 2जी स्पीड का कर सकेंगे इस्तेमाल
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जम्मू-कश्मीरः भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर में धारा 370 खत्म करने के बाद से ही सुरक्षा कारणों से सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिता गया था। जिसको आखिरकार बुधवार को हटा लिया गया। प्रशासन ने इस बात की जानकारी देते हुए बताया कि अभी ये सुविधा सिर्फ 2जी स्पीड तक ही लागू होगी।

केवल 2जी स्पीड का ही इस्तेमाल कर सकेंगे

बता दें कि केंद्र सरकार ने पिछले साल पांच अगस्त से घाटी में सोशल मीडिया पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा रखा था, जिसे करीब सात महीने बाद हटा लिया गया है। हालांकि अभी यह प्रतिबंध सिर्फ 17 मार्च तक ही हटाया गया है। इंटरनेट को केवल 2जी स्पीड का ही इस्तेमाल कर सकेंगे।

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आगे यह भी बताया गया कि गृह विभाग संचार व्यवस्था की समीक्षा करने के बाद इसकी अवधि आगे बढ़ाने के बारे में विचार करेगा। पिछले आदेश के मुताबिक 2जी इंटरनेट स्पीड की अवधि पांच फरवरी तक बढ़ाई गई थी, जिस पर आज समीक्षा करने के बाद इसे अब 17 मार्च तक बढ़ाने का आदेश जारी कर दिया है।

केंद्र सरकार की गई थी ये घोषणा

जम्‍मू-कश्‍मीर को लेकर राज्‍य सभा में भारत के गृह मंत्री ने तीन महत्‍वपूर्ण घोषणा की। पहली घोषणा जम्‍मू-कश्‍मीर से धारा 370 खत्‍म करने की थी। दूसरी घोषणा लद्दाख को जम्‍मू-कश्‍मीर से अलग करने की थी और तीसरी घोषणा जम्‍मू-कश्‍मीर और लद्दाख को अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश की थी। धारा 370 हटने के साथ ही जम्‍मू-कश्‍मीर भारत के किसी दूसरे प्रदेश की तरह ही हो जाएगा। वहां से दोहरी नागरिकता जैसे प्रावधान खत्‍म हो जाएंगे।

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अनुच्छेद 370 के क्या थे मायने

अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार था, लेकिन किसी अन्य विषय से संबंधित कानून को लागू करवाने के लिए केंद्र को राज्य सरकार की मंजूरी चाहिए थी।

इस विशेष दर्जे के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती थी। राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं था। 1976 का शहरी भूमि कानून राज्य पर लागू नहीं है।

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