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Ban on Chinese Goods: तवांग प्रकरण के बाद चीन को आर्थिक चोट देने की तैयारी, सरकार और व्यापारी संगठनों की बड़ी योजना
Ban on Chinese Goods: अरुणाचल प्रदेश के तवांग में चीनी सेना की ओर से की गई शरारत के बाद ड्रैगन पर आर्थिक शिकंजा कसने की तैयारियां शुरू हो गई हैं।
Ban on Chinese Goods: अरुणाचल प्रदेश के तवांग में चीनी सेना की ओर से की गई शरारत के बाद ड्रैगन पर आर्थिक शिकंजा कसने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। सरकार की ओर से अगले साल के बजट में चीनी सामानों के आयात पर प्रतिबंध (ban the import of Chinese goods) लगाने की तैयारी है। जानकारों का मानना है कि आत्मनिर्भर भारत की मुहिम को आगे बढ़ाते हुए मोदी सरकार (Modi Government) की ओर से कड़े उपायों की घोषणा की जा सकती है। दूसरी ओर व्यापारी संगठनों ने भी चीनी सामानों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआई) ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से आयात और ई-कॉमर्स नीति में बदलाव करने की मांग की है। संगठन ने मांग की है कि हर सामान पर उसका उत्पादन करने वाले देश का नाम अनिवार्य रूप से दर्ज किया जाए ताकि उपभोक्ता चीन में उत्पादित सामान का बहिष्कार कर सके। संगठन का मानना है कि इसके जरिए चीन को बड़ी आर्थिक चोट दी जा सकती है।
सामान बनाने वाले देश का नाम दर्ज हो
दिल्ली के कनॉट प्लेस में व्यापारियों की ओर से चीनी सामानों के खिलाफ मोर्चा खोले जाने के बाद सीटीआई ने भी चीनी उत्पादों के खिलाफ बड़ी पहल की है। संगठन की ओर से मांग की गई है कि हर सामान पर उसका उत्पादन करने वाले मूल देश का नाम लिखना अनिवार्य किया जाए। संगठन का कहना है कि इससे उपभोक्ता को यह जानने में मदद मिलेगी कि किसी भी सामान का उत्पादन आखिर किस देश में किया गया है।
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री को लिखे पत्र में सीटीआई की ओर से कहा गया है कि अभी मौजूदा समय में उपभोक्ता को कई सामानों के बारे में पूरी जानकारी नहीं मिल पाती। विशेष रूप से ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर उपभोक्ता इस बात से अनजान रहता है।
चीनी उत्पादों के बहिष्कार में मिलेगी मदद
सीटीआई के अध्यक्ष बृजेश गोयल का कहना है कि कई बार उपभोक्ताओं को यह पता ही नहीं चल पाता कि जो सामान वह खरीद रहा है, वह किस देश में बना हुआ है। देश में काफी संख्या में लोग ऐसे हैं जो चीनी उत्पादों को नहीं खरीदना चाहते मगर जानकारी के अभाव में वे उन्हें खरीद लेते हैं। इसका कारण यह है कि कई सामानों पर मूल देश का नाम अंकित नहीं होता।
उन्होंने कहा कि अगर सरकार की ओर से मूल देश का नाम लिखना अनिवार्य कर दिया जाए तो चीन को बड़ी आर्थिक चोट दी जा सकती है। उन्होंने सरकार की ई-कॉमर्स और आयात नीति में बदलाव करने की भी मांग की।
भारतीय कारोबारियों को हो रहा नुकसान
सीटीआई अध्यक्ष ने कहा कि अगर भारतीय व्यापारी और उपभोक्ता चीनी सामानों का बहिष्कार करने लगें तो निश्चित रूप से चीन का होश ठिकाने लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारत से चीन को निर्यात सिर्फ 13.97 अरब डालर का किया गया है और इसमें लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। चीनी सामानों के भारतीय बाजार में आने के कारण भारतीय कारोबारियों को भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि इसलिए इस दिशा में ठोस कदम उठाया जाना जरूरी है।
चीन को बड़ी आर्थिक चोट देने की तैयारी
तवांग प्रकरण के बाद केंद्र सरकार की ओर से भी चीन को करारा झटका देने की तैयारी है। जानकार सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार चीन के खिलाफ कड़े आर्थिक फैसले लेने का मन बना चुकी है। 2023-24 के बजट में इसकी झलक देखने को मिल सकती है। इस बजट में चीन से भारत की आयात निर्भरता घटाने की दिशा में कदम उठाए जा सकते हैं। मोदी सरकार पहले ही आत्मनिर्भर भारत के अभियान को बढ़ावा देने में जुटी हुई है। ऐसे में माना जा रहा है कि केंद्र सरकार चीन में तैयार उत्पादों के सीधे आयात पर प्रतिबंध का ऐलान कर सकती है।
आर्थिक जानकारों का मानना है कि अगर केंद्र सरकार की ओर से यह कदम उठाया गया तो यह चीन के खिलाफ किसी सर्जिकल स्ट्राइक से कम नहीं होगा क्योंकि चीन के सामानों के लिए भारत को काफी बड़ा बाजार माना जाता रहा है। सूत्रों का कहना है कि कई चीजों के सीमा शुल्क को भी पुनर्गठित करने की तैयारी है। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार भी अब चीन को बड़ी आर्थिक चोट देने की कोशिश में जुट गई है।