Venus Orbiter Mission : चंद्रयान और मंगलयान की सफलता के बाद अब शुक्रयान, केंद्र सरकार ने वीनस ऑर्बिटर मिशन को दी मंजूरी

Venus Orbiter Mission : केंद्र सरकार ने चंद्रयान और मंगलयान की सफलता के बाद शुक्रयान को मंजूरी दी है। वीनस ऑर्बिटर मिशन के तहत शुक्र ग्रह का अध्ययन किया जाएगा।

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Newstrack Network
Published on: 18 Sep 2024 11:47 AM GMT (Updated on: 18 Sep 2024 12:17 PM GMT)
Venus Orbiter Mission : चंद्रयान और मंगलयान की सफलता के बाद अब शुक्रयान, केंद्र सरकार ने वीनस ऑर्बिटर मिशन को दी मंजूरी
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सांकेतिक तस्वीर (Pic Social Media)

Venus Orbiter Mission : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वीनस ऑर्बिटर मिशन (वीओएम) को मंजूरी प्रदान दी है। यह चंद्रमा और मंगल से परे शुक्र ग्रह के अन्वेषण और अध्ययन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा। बता दें कि शुक्र, पृथ्वी का सबसे निकटतम ग्रह है। इसका निर्माण पृथ्वी जैसी ही परिस्थितियों में हुआ होगा, इसलिए इसे समझने के लिए यह मिशन कारगर साबित हो सकता है।

ग्रहों के विकास को समझने में होगा सहायक

‘वीनस ऑर्बिटर मिशन’ शुक्र ग्रह की कक्षा में एक वैज्ञानिक अंतरिक्ष यान की परिक्रमा करने के लिए परिकल्पित है, ताकि शुक्र की सतह और उपसतह, वायुमंडलीय प्रक्रियाओं और शुक्र के वायुमंडल पर सूर्य के प्रभाव को बेहतर ढंग से समझा जा सके। शुक्र, जिसके बारे में माना जाता है कि यह कभी रहने योग्य हुआ करता था और काफी हद तक पृथ्वी के समान था, ऐसे में शुक्र के परिवर्तन के अंतर्निहित कारणों का अध्ययन शुक्र और पृथ्वी दोनों ग्रहों के विकास को समझने में महत्वपूर्ण रूप से सहायक होगा।

इसरो की निगरानी में होगा काम

इसरो इस अंतरिक्ष यान के विकास और प्रक्षेपण के लिए उत्तरदायी होगा। इस परियोजना का प्रबंधन और निगरानी इसरो में स्थापित प्रचलित प्रथाओं के माध्यम से प्रभावी ढंग से की जाएगी। इस मिशन से उत्पन्न डेटा को मौजूदा तंत्रों के माध्यम से वैज्ञानिक समुदाय तक पहुंचाया जाएगा। इस मिशन के मार्च 2028 तक पूरा होने की संभावना है। भारतीय शुक्र मिशन से कुछ अनसुलझे वैज्ञानिक प्रश्नों के उत्तर मिलने की संभावना है, जिनकी परिणति विभिन्न वैज्ञानिक परिणामों में होगी।

मिशन के लिए 1236 करोड़ रुपए स्वीकृत

अंतरिक्ष यान और प्रक्षेपण यान का निर्माण विभिन्न उद्योगों के माध्यम से किया जा रहा है और इस बात की परिकल्पना की गई है कि इससे बड़ी संख्या में रोजगार के अवसरों का सृजन होगा और अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी का प्रसार होगा। वीनस ऑर्बिटर मिशन (वीओएम) के लिए स्वीकृत कुल निधि 1236 करोड़ रुपए है, जिसमें से 824 करोड़ रुपए अंतरिक्ष यान पर खर्च किए जाएंगे। इस लागत में अंतरिक्ष यान का विकास और प्राप्ति, इसके विशिष्ट पेलोड और प्रौद्योगिकी तत्व, नेविगेशन और नेटवर्क के लिए ग्लोबल ग्राउंड स्टेशन सपोर्ट की लागत और प्रक्षेपण यान की लागत शामिल है।

छात्रों को नए अवसर प्रदान करेगा

यह मिशन भारत को विशालतम पेलोड, इष्टतम ऑर्बिट इन्सर्शन अप्रोच सहित भविष्य के ग्रह संबंधी मिशनों में सक्षम बनाएगा। अंतरिक्ष यान और प्रक्षेपण यान के विकास के दौरान भारतीय उद्योग की महत्वपूर्ण भागीदारी होगी। प्रक्षेपण से पहले के चरण- जिसमें डिजाइन, विकास, परीक्षण, टेस्ट डेटा रिडक्शन, कैलीब्रेशन आदि शामिल हैं, में विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों की भागीदारी और छात्रों के प्रशिक्षण की भी परिकल्पना की गई है। अपने अनूठे उपकरणों के माध्यम से यह मिशन भारतीय विज्ञान समुदाय को नए और महत्वपूर्ण विज्ञान डेटा प्रदान करता है और इस प्रकार उभरते हुए और नवीन अवसर प्रदान करता है।

Rajnish Verma

Rajnish Verma

Content Writer

वर्तमान में न्यूज ट्रैक के साथ सफर जारी है। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की। मैने अपने पत्रकारिता सफर की शुरुआत इंडिया एलाइव मैगजीन के साथ की। इसके बाद अमृत प्रभात, कैनविज टाइम्स, श्री टाइम्स अखबार में कई साल अपनी सेवाएं दी। इसके बाद न्यूज टाइम्स वेब पोर्टल, पाक्षिक मैगजीन के साथ सफर जारी रहा। विद्या भारती प्रचार विभाग के लिए मीडिया कोआर्डीनेटर के रूप में लगभग तीन साल सेवाएं दीं। पत्रकारिता में लगभग 12 साल का अनुभव है। राजनीति, क्राइम, हेल्थ और समाज से जुड़े मुद्दों पर खास दिलचस्पी है।

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