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Agneepath Scheme: बड़ा सामाजिक बदलाव लाएंगे अग्निवीर
Agneepath Scheme: सेना में भर्ती की अग्निपथ स्कीम के दूरगामी सामाजिक प्रभाव देखने को मिलेंगे। इसका सोशल इम्पैक्ट काफी बड़ा होगा और भारतीय समाज, खासकर युवकों में काफी हद तक अनुशासन लाएगा, जिसकी देश को अत्यंत जरूरत भी है।
Agneepath Scheme: सेना में भर्ती की अग्निपथ स्कीम (Agneepath Scheme) के दूरगामी सामाजिक प्रभाव देखने को मिलेंगे। ऐसा इसलिए कि जो अग्निवीर चार साल की सैन्य ड्यूटी करके समाज में वापस लौटेंगे वे जीवन की सबसे महत्वपूर्ण चीज - अनुशासन - सीख कर आएंगे। इसका सोशल इम्पैक्ट जबर्दस्त होगा।
हर साल 45 हजार अग्निवीर होंगे भर्ती
इसे यूं समझिए - अग्निपथ स्कीम के अनुसार, हर साल 45 हजार अग्निवीर भर्ती होंगे। इनमें से 75 फीसदी यानी करीब 33 हजार हर साल एक निश्चित फंड लेकर सेना से बाहर हो जाएंगे। बाकी 25 हजार स्थायी सेवा में रखे जाएंगे। पहली भर्ती अगर 2022 में होती है तो 2026 से ये क्रम चालू हो जाएगा। हर साल जो 33 हजार युवक सेना से नागरिक जीवन में लौटेंगे, वे अधिकतम 25 वर्ष आयु के होंगे, क्योंकि अग्निवीरों की भर्ती उम्र 17 से 21 वर्ष रखी गई है।
युवकों में काफी हद तक लाएगा अनुशासन
सेना से नागरिक जीवन में लौटे 21 से 25 वर्ष के ये युवा एक कठिन अनुशासन वाले चार साल बिता कर आये हुए होंगे। इसका सोशल इम्पैक्ट काफी बड़ा होगा और भारतीय समाज, खासकर युवकों में काफी हद तक अनुशासन लाएगा, जिसकी देश को अत्यंत जरूरत भी है। चूंकि ये युवक सेना में टूर ऑफ ड्यूटी बिता कर आएंगे सो राष्ट्रीयता की भावना, फिटनेस की जागरूकता, आत्मसम्मान, समयबद्धता, श्रम की महत्ता की भावना से ओतप्रोत होंगे।
इससे समाज में काफी बदलाव देखने को मिलेगा, भले ही इसे नजर आने में कुछ साल लग जाएं। यूं तो भारत में इजरायल की तरह सेना में युवकों की अनिवार्य सेवा नहीं है लेकिन हर साल एक बड़ी संख्या में युवाओं की सैन्य ट्रेनिंग और कुछ वर्षों की सैन्य सेवा का कुछ वैसा ही आउटकम हो सकता है। इजरायल में अनिवार्य सैन्य सेवा का योगदान है कि वहां के समाज में अनुशासन और राष्ट्रीयता बहुत ऊंचे लेवल पर है।
सैन्य प्रशिक्षित युवाओं की बड़ी संख्या तैयार
टूर ऑफ ड्यूटी का एक लाभ ये भी है कि सैन्य प्रशिक्षित युवाओं की बड़ी संख्या तैयार होगी जिनका इस्तेमाल किसी भी अपरिहार्य स्थिति में किया जा सकता है। आखिर किसी संकट के समय कौन पूर्व सैनिक कॉल ऑफ ड्यूटी से इनकार कर सकता है? 25 वर्ष की आयु में सेना में काम करने का प्रमाणपत्र बेहद उपयोगी होगा। कोई भी संस्थान ऐसे युवकों को अपने यहां काम देना चाहेगा। ऐसे प्रशिक्षित युवक मेहनती और फोकस्ड होंगे और बेहतरीन योगदान देंगे।
खासकर पुलिस और अर्धसैनिक बलों में ऐसे युवक अच्छा प्रदर्शन कर पाएंगे। वैसे तो एनसीसी और सैनिक स्कूलों का कांसेप्ट भी युवाओं में अनुशासन लाना था लेकिन उनमें और सेना में वास्तविक रूप से काम करने में बहुत फर्क है। सेना में सैनिक सिर्फ सैनिक होता है। वह कोई स्टूडेंट नहीं होता। सो, टूर ऑफ ड्यूटी का इम्पैक्ट किसी भी अन्य चीज से एकदम अलग होगा।