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भारतीय हर्बल औषधि की प्रगति के लिए आयुष मंत्रालय और CSIR के बीच हुआ समझौता
मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि दोनों संगठनों के बीच हुए समझौता ज्ञापन (एमओयू) के अनुसार अनुसंधान और विकास, आयुष-विशिष्ट निदान उपकरण, बहु-घटक हर्बल तरीकों और उनके मानकीकरण पर जोर दिया जाएगा।
नयी दिल्ली: आयुष मंत्रालय और देश की प्रमुख अनुसंधान एजेंसी, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने वैश्विक बाजार में भारतीय हर्बल उत्पादों की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए परंपरागत औषधि के जरिये आधुनिक वैज्ञानिक तरीकों का पता लगाने के लिए एक समझौता किया है।
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मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि दोनों संगठनों के बीच हुए समझौता ज्ञापन (एमओयू) के अनुसार अनुसंधान और विकास, आयुष-विशिष्ट निदान उपकरण, बहु-घटक हर्बल तरीकों और उनके मानकीकरण पर जोर दिया जाएगा।
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि विभिन्न सीएसआईआर प्रयोगशालाओं ने पहले भी इस दिशा में पहल की है। उदाहरण के लिए केन्द्रीय औषधीय एव सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) और राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआई) के वैज्ञानिकों ने संयुक्त रूप से कुछ वर्ष पहले मधुमेह रोधी हर्बल दवा बीजीआर-34 विकसित की थी।
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केन्द्रीय आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा और महानिदेशक, सीएसआईआर डा.शेखर सी मांडे ने हाल में एमओयू पर हस्ताक्षर किये थे।
(भाषा)