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अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला: इटली कोर्ट ने कहा-नहीं हुआ भ्रष्टाचार, आरोपी बरी

suman
Published on: 9 Jan 2018 11:28 AM IST
अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला: इटली कोर्ट ने कहा-नहीं हुआ भ्रष्टाचार, आरोपी बरी
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नई दिल्ली: देश के सबसे चर्चित घोटाला वीवीआईपी हेलिकॉप्टर अगस्ता वेस्टलैंड मामले में इटली कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। इटली की मिलान कोर्ट में अगस्ता वेस्टलैंड और फिनमैकनिका के पूर्व चीफ गिसेपी ओरसी, बिचौलिए क्रिश्चन मिशेल, अगस्ता वेस्टलैंड के पूर्व शीर्ष अधिकारियों गियूसेपे ओरसी और ब्रूनो स्पेगनोलिनी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है।

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3600 करोड़ रुपये का हेलीकॉप्टर सौदा इटली की कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड से हुआ था। कंपनी पर घूस देकर डील डन करने का आरोप लगा था।कल मामले पर इटली की अदालत में फैसला आया और घूस देने के मुख्य आरोपियों और कपंनी के बड़े अधिकारियों को बरी कर दिया गया।

इटली की मिलान कोर्ट ने दो आरोपियों जी. ओरसी और ब्रूनो स्पैगोलिनी को घूस देने के आरोप में सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है. जी.ओरसी फेनमेकानिका के पूर्व प्रेसिडेंट हैं और ब्रूनो स्पैगोलिनी अगस्ता वेस्टलैंड के पूर्व सीईओ हैं। यानि जिन पर घूस देने का आरोप था वो बरी हो गए।

अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर के 3600 करोड़ के सौदे के मामले में तत्कालीन एयरफोर्स चीफ एसपी त्यागी और उनके तीन रिश्तेदारों समेत छह अधिकारियों पर घोटाले का आरोप लगा है। सीबीआई नौ लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर चुकी है।

इटली में फैसला आने के बाद सीबीआई के प्रवक्ता अभिषेक दयाल का कहना है भारत में फैसले का कोई असर नहीं होगा, क्योंकि यहां जांच स्वतंत्र तरीके से की गई है। सीबीआई ने बयान दिया, हमने पूरी तरह अलग जांच की है। हमारा मामला बहुत मजबूत है। ओरसी और स्पेगनोलिनी के खिलाफ मामला 2012 में इटली के अधिकारियों द्वारा शुरू की गई जांच के बाद दर्ज किया गया।’ इटली के अधिकारी भारत को 12 हेलीकॉप्टरों की बिक्री के लिए 3600 करोड़ रुपये के सौदे में कथित भ्रष्टाचार की जांच कर रहे थे।

पूरा मामला

भारत ने हेलिकॉप्टर बनाने वाली इटली की कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड की सहयोगी कंपनी फिनमेकानिका से साल 2010 में 12 वीआईपी हेलिकॉप्टर खरीदने का सौदा किया था. अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर सौदे में घोटाले की बात सामने आई थी। 3600 करोड़ रुपये के सौदे में 10% हिस्सा घूस देने का आरोप लगा. आरोप लगा कि हेलिकॉप्टर बेचने के लिए भारतीय अधिकारियों को 360 करोड़ रुपये घूस दी गई। घोटाले की बात तब की मनमोहन सिंह सरकार ने भी मानी और 2013 में डील को तत्कालीन रक्षा मंत्री ने रद्द कर दिया था।

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