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Ahoi Ashtami Shubh Muhurat: अहोई माता से करें संतान की दीर्घायु की कामना, इस शुभ मुहूर्त पर करें मां की पूजा

Ahoi Ashtami 2022: हिंदू शास्त्रों में अहोई अष्टमी व्रत को लेकर ये मान्यता है कि अहोई माता की पूजा और व्रत करने से संतान के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं उसकी सेहत अच्छी रहती है और वो उज्जवल भविष्य की तरफ अग्रसर होता है।

Vidushi Mishra
Published on: 17 Oct 2022 1:46 AM GMT (Updated on: 17 Oct 2022 1:46 AM GMT)
ahoi ashtami shubh muhurat
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अहोई अष्टमी (फोटो-सोशल मीडिया)

Ahoi Ashtami 2022: अहोई अष्टमी व्रत की हिंदू धर्म में बहुत मान्यता है। ये व्रत मां अपनी संतान की दीर्घायु की कामना करती है और अच्छी सेहत तरक्की के लिए रखती हैं। हर साल कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और करवा चौथ के चौथे दिन अहोई अष्टमी व्रत मनाया जाता है। इस साल अहोई अष्टमी 17 अक्टूबर को है। ये व्रत अहोई देवी को समर्पित होता है। अहोई अष्टमी के व्रत में महिलाएं अपनी संतान के लिए पूरे दिन निर्जला व्रत रखती है, फिर शाम को पकवान बनाने के बाद अहोई माता की पूजा खूब धूम-धाम से करती हैं।

हिंदू शास्त्रों में अहोई अष्टमी व्रत को लेकर ये मान्यता है कि अहोई माता की पूजा और व्रत करने से संतान के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं उसकी सेहत अच्छी रहती है और वो उज्जवल भविष्य की तरफ अग्रसर होता है। ऐसे में आइए आपको बताते हैं कि अहोई माता की पूजा की विधि और अहोई अष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त कब है।

अहोई अष्टमी की तिथि और शुभ मुहूर्त
(Ahoi Ashtami Puja Shubh Muhurt 2022)

अहोई अष्टमी व्रत कब है

अहोई अष्टमी व्रत 17 अक्टूबर 2022 को है।

अहोई अष्टमी शुभ मुहुर्त
(Ahoi Ashtami Shubh Muhurt 2022)

अहोई अष्टमी तिथि शुरू -17 अक्टूबर 2022 को सुबह 09 बजकर 29 मिनट से

अहोई अष्टमी तिथि का समाप्त - 18 अक्टूबर 2022 को सुबह 11 बजकर 57 मिनट पर

अहोई अष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त
Auspicious time for Ahoi Ashtami Puja

17 अक्टूबर शाम 05:57 से रात 07:12 तक

तारों के दर्शन का शुभ समय

17 अक्टूबर, शाम 06.20

अहोई अष्टमी पर चंद्रोदय समय

17 अक्टूबर, रात्रि 11.35

अहोई अष्टमी पूजा विधि
Ahoi Ashtami Puja Vidhi

अहोई अष्टमी के दिन व्रत रखने वाली महिलाएं सुबह स्नान आदि करके साफ वस्त्र धारण करके भगवान की पूजा के समय अहोई अष्टमी व्रत का संकल्प करना चाहिए।

अहोई अष्टमी व्रत में महिलाओं को निर्जला व्रत करना होता है।

इस दिन महिलाएं घर के पूजा कक्ष में अहोई माता और उनके सात पुत्रों की तस्वीर बनाएं या फिर आजकल बाजार में बने-बनाए कैलेंडर आते हैं उन्हें लगा लें।

बता दें, ज्योतिष विद्या में अहोई माता को मां पार्वती (मां पार्वती के मंत्र) का रूप माना गया है। ऐसे में पूजा शुरू करने से पहले मां की तस्वीर के सामने घी का दीपक प्रज्ज्वलित करें।

इसके पुष्प, धूप, भोग, मिष्ठान चढ़ाने के बाद अहोई व्रत कथा पढ़े। अहोई व्रत कथा की बहुत महत्ता है। कथा पूरी होने पर अहोई माता की आरती करें।

अब पूजन के बाद चंद्रमा और तारों को अर्घ्य देते हुए संतान की दीर्घायु की कामना करें।

इसके बाद अहोई मां के सामने बैठकर अपना व्रत खोले और कुछ मीठा प्रसाद खाकर जल ग्रहण कीजे।


Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

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