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Asaduddin Owaisi: खास नेता हैं असदुद्दीन ओवैसी, कुछ भी बोल कर निकल जाते हैं

Asaduddin Owaisi Latest News: एक मुस्लिम की आदर्श छवि पेश करने वाले असदुद्दीन ओवैसी एक महत्वाकांक्षी नेता हैं।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 11 Jun 2022 6:54 AM IST (Updated on: 11 Jun 2022 6:55 AM IST)
AIMIM Asaduddin Owaisi
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Asaduddin Owaisi  (फोटो साभार- ट्विटर)

Asaduddin Owaisi Latest News: करीने से कटी दाढ़ी, सिर पर टोपी, बढ़िया शेरवानी और चूड़ीदार पैजामा पहने हुए असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) एक मुस्लिम की आदर्श छवि के रूप में नजर आते हैं। टीवी चैनलों में बातचीत के दौरान वे संविधान, कानून और धर्म ग्रंथों को धड़ल्ले से कोट करते हैं। विदेश से कानून की डिग्री के साथ उर्दू और अंग्रेजी पर उनका बराबर से अधिकार है। लेकिन यही असदुद्दीन और उनकी आल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुसलमीन (AIMIM) के नेता भड़काऊ भाषण और बयान भी धड़ल्ले से देते रहते हैं और सीबीआई, ईडी, इनकम टैक्स आदि एजेंसियों के शिकंजे से भी बचे रहते हैं।

ओवैसी के खिलाफ मामले (Asaduddin Owaisi Cases)

ओवैसी मुख्य रूप से मुस्लिमों पर केंद्रित अपनी राजनीति के कारण विवादों और खबरों में रहे हैं।

- ओवैसी और उनके छोटे भाई अकबरुद्दीन के खिलाफ 2005 में मेडक जिला कलेक्टर के साथ मारपीट करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था। 20 जनवरी 2013 को। उन्हें 14 दिनों के लिए भेज दिया गया था। ओवैसी बन्धु मेडक जिले में एक सड़क चौड़ीकरण परियोजना के लिए एक मस्जिद गिराए जाने के खिलाफ विरोध करने पहुंचे थे।पुलिस ने उन पर आपराधिक धमकी, दंगा करने और धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने सहित विभिन्न आरोपों के तहत मामला दर्ज किया।

- 2009 में भारत के चुनाव आयोग के आदेश पर ओवैसी के खिलाफ मुगलपुरा इलाके में तेलुगु देशम पार्टी के एक पोलिंग एजेंट सैयद सलीमुद्दीन की पिटाई करने का मामला दर्ज किया गया था।

-.मार्च 2013 में, उन्हें कर्नाटक के बीदर में बिना अनुमति के एक रैली आयोजित करने और बिना लाइसेंस के बंदूक ले जाने के लिए हिरासत में लिया गया था।

- जून 2014 में, ओवैसी ने अपनी पार्टी के लिए मुस्लिम समुदाय के समर्थन की मांग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग किया था।

- तेलंगाना कांग्रेस विधायकों पर हमला करने वाली भीड़ का नेतृत्व करने पर ओवैसी के खिलाफ़ मामला दर्ज हुआ। 7 फरवरी 2016 को।ओवैसी ने हैदराबाद पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

1926 में हैदराबाद रियासत में मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन की स्थापना हुई थी। नवाब बहादुर यार जंग 1938 में इसके अध्यक्ष के रूप में चुने गए। पार्टी की स्थापना निज़ाम की रियासत में रहने वाले मुसलमानों को एक सांस्कृतिक और धार्मिक मंच प्रदान करने के लिए की गई थी। 1944 में जंग की अचानक मृत्यु हो गई। कहा जाता है कि उन्हें जहर दिया गया था। उनके बाद कासिम रज़वी एमआईएम के नेता बन गए। कासिम रज़वी खूंखार मुस्लिम मिलिशिया "रजाकार" का सरगना था, जिसका गठन भारत के साथ हैदराबाद के विलय का विरोध करने के लिए किया गया था।

1947 में अंग्रेजों के जाने के बाद, हैदराबाद के निज़ाम ने एमआईएम और रज़ाकारों के समर्थन से, हैदराबाद को अपने क्षेत्र में शामिल करने की भारत सरकार की योजनाओं की अवहेलना की। निजाम ने रज़ाकारों के दम पर अपनी रियासत को पाकिस्तान में विलय की घोषणा तक कर दी। इसके बाद रज़ाकारों ने काफी हिंसा फैलाई। इतिहास में दर्ज है कि रजाकारों ने हिंदुओं, प्रगतिशील मुसलमानों और कम्युनिस्टों पर जानलेवा हमलों की एक लहर शुरू कर दी थी।

उनकी इस हरकत के खिलाफ भारत सरकार ने सैन्य कार्रवाई की और 5 दिनों में हैदराबाद को अपने नियंत्रण में ले लिया। एक अनुमान के अनुसार हिंसा में 27,000 से 40,000 लोगों की मौत हुई थी। बहरहाल, सेना की कार्रवाई में रजाकारों को कुचल दिया गया और कासिम रजवी को कैद कर लिया गया। एमआईएम के मुख्यालय, दार-उ-सलाम को जब्त कर लिया गया था, और बाद में इसे एक फायर स्टेशन में तब्दील कर दिया गया।

रजाकर नेता का मानना था कि मुसलमान एक बार फिर भारत के शासक और दिल्ली के बादशाह निजाम बनेंगे। बहरहाल, रज़वी को 1957 में इस शर्त पर रिहा कर दिया गया कि वह पाकिस्तान चला जाएगा। इसके बाद असदुद्दीन के दादा अब्दुल वहीद ओवैसी ने एमआईएम की कमान संभाली और इसे एआईएमआईएम नाम दिया।

(फोटो साभार- ट्विटर)

चुनावी सफर

एआईएमआईएम ने 1960 में हैदराबाद नगर निगम (Hyderabad Municipal Corporation) के लिए चुनाव लड़ा और 19 सीटों पर जीत हासिल की, जिसमें एक दलितों के लिए आरक्षित सीट शामिल थी। 1962 में, एआईएमआईएम ने अपना पहला विधानसभा चुनाव जीता, जब ओवैसी के पिता सलाहुद्दीन हैदराबाद की पाथेरगट्टी सीट से चुने गए।

सलाहुद्दीन अपने पिता अब्दुल वहीद की मृत्यु के बाद 1975 में एआईएमआईएम अध्यक्ष बने और 1984 में हैदराबाद से लोकसभा के लिए चुने गए और 2004 तक ये सीट जीतना जारी रखा। उनके बाद असदुद्दीन ओवैसी ने विरासत संभाली और तब से इस सीट को बरकरार रखे हुए हैं। सलाहुद्दीन का 2008 में निधन हो गया।

असदुद्दीन के दादा और पिता ने पार्टी को हैदराबाद के मुस्लिम बहुल इलाकों तक ही सीमित रखा था लेकिन उन्होंने एआईएमआईएम के आधार को तत्कालीन आंध्र प्रदेश और अन्य राज्यों में अन्य मुस्लिम इलाकों में विस्तारित किया।

असदुद्दीन के सिपहसालार

एआईएमआईएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के पास बहुत ज्यादा सिपहसालार नहीं हैं। उनके पिता सलाहुद्दीन ओवैसी के भरोसेमंद और करीबी दोस्त, सैयद अहमद पाशा क़ादरी, पार्टी के महासचिव तथा हैदराबाद में याकूतपुरा के विधायक हैं।

असदुद्दीन ओवैसी के भाई, अकबरुद्दीन ओवैसी, तेलंगाना विधानसभा में एआईएमआईएम विधायक दल के नेता हैं। उनके दूसरे भाई बुरहानुद्दीन ओवैसी दार-यू-सलाम बैंक का प्रबंधन करते हैं और उर्दू दैनिक एतमाद का संपादन करते हैं।

इनके अलावा, एआईएमआईएम में महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक और उत्तराखंड में राज्य इकाइयों के अध्यक्ष हैं। बस यही ओवैसी की पार्टी के प्रमुख लोग हैं।

(फोटो साभार- ट्विटर)

बैरिस्टर हैं असदुद्दीन

असदुद्दीन ओवैसी ने हैदराबाद के निज़ाम कॉलेज (उस्मानिया विश्वविद्यालय) से बीए की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने 1994 में विज्जी ट्रॉफी में तेज गेंदबाज के रूप में दक्षिण क्षेत्र अंतर-विश्वविद्यालय अंडर -25 क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व किया और बाद में दक्षिण क्षेत्र विश्वविद्यालय टीम में चुने गए। वे पेशे से एक बैरिस्टर हैं और उन्होंने लंदन के सम्मानित लिंकन इन में कानून की पढ़ाई की है।

असदुद्दीन ओवैसी ने 1994 में आंध्र प्रदेश विधान सभा चुनाव में अपनी राजनीतिक शुरुआत की। चारमीनार निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ते हुए उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी मजलिस बचाओ तहरीक के उम्मीदवार को हराया था।

बहरहाल, असदुद्दीन ओवैसी एक महत्वाकांक्षी नेता हैं। अपने बड़बोलेपन और मुंहफट अंदाज़ से उनको सुर्खियों में बने रहना बखूबी आता है।

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Shreya

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