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बैकफुट पर AIMPLB, कहा- तीन तलाक का ना हो इस्तेमाल, काजी दूल्हों को दें ऐसी सलाह
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने सुप्रीम कोर्ट में सोमवार (22 मई) एक नया हलफनामा दायर किया है।
नई दिल्ली: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने सुप्रीम कोर्ट में सोमवार (22 मई) को एक नया हलफनामा दाखिल है। 13 पेज के हलफनामें में बोर्ड ने कहा है कि अब वह तीन तलाक पर लोगों को जागरूक करेंगे। बोर्ड काजियों से कहेगा कि वो दूल्हों को तीन तलाक का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दें। बोर्ड ने कहा है कि वह अपनी वेबसाइट, विभिन्न प्रकाशनों और सोशल मीडिया के जरिए लोगों को एडवाइजरी जारी करेगा और तीन तलाक के खिलाफ जागरूक करेगा।
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ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने मंगलवार (16 मई) को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि तीन तलाक एक ‘गुनाह और आपत्तिजनक’ प्रथा है, फिर भी इसे जायज ठहराया गया है और इसके दुरुपयोग के खिलाफ समुदाय को जागरूक करने का प्रयास जारी है।
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बोर्ड द्वारा दाखिल हलफनामे के के मुताबिक़, निकाह करवाने वाला शख्स सुझाव देगा कि किसी तरह के मतभेद की स्थिति में एक बार में तीन तलाक देने से बचा जाए क्योंकि शरियत और निकाहनामे में तीन तलाक एक गलत प्रथा है, ऐसे किसी प्रोविजन की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। निकाह कराने वाला शख्स 'निकाहनामे' में यह शर्त डालने का सुझाव देगा कि पति एक बार में तीन तलाक नहीं देगा।
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बता दें, कि तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (18 मई) को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस मुद्दे से जुड़ी सुनवाई पूरी हो चुकी है। 6 दिनों तक चली इस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। 17 मई को सुप्रीम कोर्ट ने आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआइएमपीएलबी) से पूछा था कि क्या महिलाओं को निकाहनामा के समय तीन तलाक को ‘ना’ कहने का विकल्प दिया जा सकता है।
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सुनवाई के दौरान भी कोर्ट के सामने एआईएमपीएलबी ने माना था कि वह सभी काजियों को एडवाइजरी जारी करेगा कि वे तीन तलाक पर न केवल महिलाओं की राय लें, बल्कि उसे निकाहनामे में शामिल भी करें।
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